JCTSL प्रबंधन के आदेश के बाद लो फ्लोर बस चालकों का विरोध, जानिए पूरा मामला
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JCTSL प्रबंधन के आदेश के बाद लो फ्लोर बस चालकों का विरोध, जानिए पूरा मामला

जयपुर शहरी ट्रांसपोर्ट यानी लो फ्लोर बसों में चालको को अब सवारियों के टिकट काटने का काम करना होगा. 122 से ज्यादा चालको को लो-फ्लोर बसों में परिचालक का काम करने का आदेश जारी कर दिये हैं. जिसका विरोध बसों के ड्राइवरों ने कर दिया है. 

फाइल फोटो

Jaipur: जयपुर शहरी ट्रांसपोर्ट यानी लो फ्लोर बसों में चालको को अब सवारियों के टिकट काटने का काम करना होगा. 122 से ज्यादा चालको को लो-फ्लोर बसों में परिचालक का काम करने का आदेश जारी कर दिये हैं. जिसका विरोध बसों के ड्राइवरों ने कर दिया है. बस चालकों का कहना है कि JCTSL प्रबंधन ने सब कुछ नियम ताक पर रखकर सार्वजनिक परिवहन सुविधा उपलब्ध करवाने वाली लो फ्लोर बसों में अब बिना लाइसेंसधारी को परिचालक का काम सौप दिया गया है. नियमानुसार परिचालक का कार्य करने के लिए रेड क्रॉस से प्रशिक्षण लेना होता है उसी के बाद परिवहन विभाग परिचालक लाइसेंस जारी करता है, लेकिन जेसीटीएसएल प्रबंधन चालको से बिना रेड क्रॉस प्रशिक्षण और लाइसेंस परिचालक का काम करवाने पर जबरन आतुर है.

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पिछले 5 साल से इधर-उधर ड्यूटी कर रहे JCTSL की लो-फ्लोर बसों के 122 ड्राइवरों को परिचालक का काम करना होगा. हालांकि जेसीटीएसएल प्रबंधन के इस आदेश का लो फ्लोर बसों के ड्राइवरों ने विरोध करना शुरू कर दिया है. जेसीटीएसएल एमडी राजेन्द्र किशन का कहना है कि JCTSL में कुल 537 ड्राइवर है, जिनमें से 415 ड्राइवरों को जिला पुल और गैराज में प्रतिनियुक्ति पर भेज रखा है और 122 ड्राइवरों को बसों में परिचालक के काम में लगाने के आदेश दिए हैं. 

जयपुर शहर में वर्तमान में 305 लो फ्लोर बसों का संचालन हो रहा है. जिसका संचालन मातेश्वरी और पारस कंपनी कर रही है. मेन्टिनेस और चालक की जिम्मेदारी तो निजी फर्म को दे रखी है, लेकिन कंडक्टर जेसीटीएसएल प्रबंधन के ही होते है. ऐसे में 305 बसों पर करीब 750 से ज्यादा परिचालकों की जरूरत है, लेकिन JCTSL प्रबंधन के पास सिर्फ 588 ही कंडक्टर है. ऐसे में कंडक्टर की कमी के चलते चालको को बसों में परिचालकों की जिम्मेदारी दी गई है. उनको पहले ट्रेनिंग करवाई जा रही है उसके बाद उनको बसों में परिचालक का काम....राजेन्द्र किशन का कहना है कि परिचालकों की कमी के चलते बसों के संचालन में व्यवधान हो रहा था, लेकिन सवाल यह है कि जेसीटीएसएल के दफ्तर में कई सालों से 70 से ज्यादा परिचालक बसों की जगह ऑफिस में काम कर रहे हैं. सवाल ये है कि उनको क्यो बसों में परिचालक की ड्यूटी नही करवाई जा रही है?

जेसीटीएसएल प्रबंधन की ओर से आदेश जारी होने के बाद बसों के चालक पशोपेश में है. जेसीटीएसएल प्रबंधन ने चालको को प्रक्षिक्षण देकर ड्यूटी पर जाने के आदेश जारी कर दिए हैं. तो उधर चालकों का कहना है कि हमारे पास परिचालक का लाइसेंस नहीं है. तो हम कंडक्टर का काम कैसे करें? JCTSL के परिचालक जब ऑफिस में बैठे हैं तो उन्हें फील्ड में भेजकर परिचालक का काम क्यों नहीं करवाया जा रहा है. हमारी भर्ती चालक के पद पर हुई थी ऐसे में हम परिचालक का काम क्यों करें? चालकों का कहना है कि डिपो पर जाकर हाजिरी दे रहे हैं, लेकिन बसों पर परिचालक का काम नहीं कर रहे तो उनकी अनुपस्थिति दिखाई जा रही है.

बहरहाल, JCTSL प्रबंधन और चालकों के इस विवाद का असर शहरी ट्रांसपोर्ट पर पड़ रहा है. परिचालकों की कमी के चलते करीब प्रतिदिन 50 बसों पर ब्रेक लगे हुए हैं. जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. उधर रूट पर चलने वाले परिचालकों से दवाब बनाकर डबल ड्यूटी ली जा रही है.

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