Jaipur : प्रशासन शहरों के संग अभियान शिविर में गड़बड़झाला, एक ही परिवार को दो पट्टे दिए
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Jaipur : प्रशासन शहरों के संग अभियान शिविर में गड़बड़झाला, एक ही परिवार को दो पट्टे दिए

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Jaipur : प्रशासन शहरों के संग अभियान शिविर में गड़बड़झाला, एक ही परिवार को दो पट्टे दिए

Jaipur : प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत लगाए गए नियमन शिविर में दोहरे पट्टों का मामला सामने आया है. आधा दर्जन पट्टे होने का मामला सामने आने के बाद पीड़ित पक्ष ने अधिकारियों से जेडीए पट्टा जारी नहीं करने की मांग की है. कॉलोनी के अधिकांश पट्टे एक ही व्यक्ति परिवार जनों के नाम होने का मामला भी सामने आया है.

मानसरोवर पत्रकार कॉलोनी के सामुदायिक केंद्र में जेडीए की ओर से नियमन शिविर लगाया गया है. शिविर में आज सुबह निजी खातेदारी योजना पार्श्वनाथ नारायण सिटी विस्तार के करीब आधा दर्जन पट्टोकी दौरे मामले सामने आए.

यह है पूरा मामला
निजी विकासकर्ता ने योजना विकसित करते हुए, आवंटियों को पजेशन लेटर, साईट प्लान, देय राशि लेकर जारी किए और मौके पर काबिज कराया गया. जिसमें भूखण्ड संख्या 105 से 109, क्षेत्रफल प्रत्येक 138, 188 वर्गगज और 110 क्षेत्रफल 205.73 वर्गगज के आवासीय के पजेशन लेटर मय साईट प्लान के जारी कर दिये और काबिज करा दिया गया.

वही व्यवासयिक भूखण्ड संख्या सी- 004. क्षेत्रफल 555.55 वर्गगज का 200 फीट सेक्टर रोड पर जारी करते हुए, पजेजशन लेटर प्रार्थी के नाम से जारी किया गया और मौके पर प्रार्थी को कब्जा दे दिया गया. उक्त योजना सालों से यथावत स्थिति में रही है.

इस योजना में समान स्तर के अन्य पजेशन लेटर और दस्तावेजों के साथ दूसरे व्यक्तियों को पट्टा जारी कराने के लिए आवेदन किया गया है. योजना में डवलपर की तरफ से भूखण्ड के एक से अधिक पजेशन लेटर जारी किये गये और मौके पर स्वामित्व को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ है.

दूसरी ओर पता चला है कि कॉलोनी में ज्यादातर पट्टे एक व्यक्ति और उसके परिजनों के नाम सामने आए हैं. वैसे भी पीड़ित पक्ष ने मिलीभगत से नियमन शिविर आयोजित करने का आरोप लगाया है. लोगों ने कैंप के आयोजन पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि एक ही भूखण्ड पर एक से अधिक स्वामी होने के आधार पर विवादित भूमि के आयोजित नियमन शिविर आयोजित किये जाने का कोई आधार नहीं बनता है, जब तक की दूसरे व्यक्तियों की आपत्ति का निस्तारण ना हो.

आरोप है कि डवलपर ने मनमानी करके रिकार्ड पेश किया और बाद में रिकार्ड में परिवर्तन भी करके, मूल स्थिति को नजरदांज किया गया और अब विकास समिति के जरिए. जब योजना शिविर आयोजित करवाया जा रहा है तो मूल रिकार्ड डवलपर की तरफ से ही मान्य करार दिया जाएगा. पीड़ित पक्ष ने अधिकारियों से विवादित भूखंडों का नियमन कर मरते नहीं जारी करने की मांग की है. आपत्तियों का निस्तारण होने के बाद ही नियमन शिविर आयोजित करने की मांग की है.

रिपोर्टर- विष्णु शर्मा

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