अस्पताल में इलाज कराने आने वाले मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इधर, नर्सिंगकर्मियों के अधिक पद रिक्त होने से चिकित्सकों को भी भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है. अस्पताल में मरीजों के उपचार के दौरान चिकित्सकों के साथ नर्सिंगकर्मियों का होना जरूरी है.
Trending Photos
Jaipur: कहने को तो बस्सी अस्पताल को एक वर्ष पहले सामुदायिक अस्पताल से उपजिला अस्पताल का दर्जा दे दिया, लेकिन क्रमोन्नत होने के एक वर्ष बाद भी यहां सुविधाओं का विस्तार नहीं हो पा रहा है, इससे यहां इलाज कराने आने वाले मरीजों को निजी अस्पताल या फिर जयपुर के अस्पतालों में जाना पड़ता है. उपजिला अस्पताल में नर्सिंगकर्मियों के 38 पद स्वीकृत है, जिनमें से मात्र 13 ही नर्सिंगकर्मी कार्यरत है.
पद रिक्त होने से चिकित्सकों को भी भारी परेशानी
ऐसे में अस्पताल में इलाज कराने आने वाले मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इधर, नर्सिंगकर्मियों के अधिक पद रिक्त होने से चिकित्सकों को भी भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है. अस्पताल में मरीजों के उपचार के दौरान चिकित्सकों के साथ नर्सिंगकर्मियों का होना जरूरी है, वार्ड में भी बार - बार मरीजों को दवा लगाना, इंजेक्शन लगाना, मरीजों को बाहर - बार सम्भालने सहित कई कार्य होते हैं, लेकिन नर्सिंगकर्मियों की कमी के कारण मरीजों का सही तरीके से उपचार नहीं हो पा रहा है.
ये भी पढ़ें- बून्दी में ग्रैंड वेलकम, रामगढ़ के राजा के लिए रणथम्भौर से आई रानी, टी 102 के आगमन के बाद बढ़ेगा कुनबा
यहां पर उचित उपचार नहीं मिलने से या तो शहर के ही निजी अस्पतालों या फिर मरीजों को जयपुर जाना पड़ता है. इससे उनका धन और समय दोनों ही खर्च हो रहे हैं. उल्लेखनीय है कि बस्सी उपजिला अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 1000 मरीजों का आउडडोर है, जो किसी भी छोटे जिले से कम नहीं है. मौसमी बीमारियों के वक्त तो यहां का आउडडोर 15 सौ मरीज प्रतिदिन पार कर जाता है. यदि आने वाले मौसमी बीमारियों के सीजन तक यहां पर नर्सिंगकर्मियों के पदों को नहीं भरा गया तो स्थिति बिगड़ सकती है.
कम स्टाफ से ही चलाना पड़ रहा काम
उपजिला अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ की कमी है. यहां 38 में से मात्र 13 ही नर्सिंगकर्मी कार्यरत है. उच्चाधिकारियों को अवगत भी कराया जा चुका है, लेकिन स्टाफ नहीं लगाया जा रहा है.
अपने जिले की खबरों के लिए यहां क्लिक करें.