अनोखी पहल: बेटी को घोड़ी पर बैठाकर निकाली बिंदोरी, बेटा-बेटी में भेद मिटाने का दिया संदेश
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अनोखी पहल: बेटी को घोड़ी पर बैठाकर निकाली बिंदोरी, बेटा-बेटी में भेद मिटाने का दिया संदेश

नोहर विधानसभा क्षेत्र में अब बेटियों को भी बेटों के समान समझा जाने लगा हैं. जो देश व समाज के लिए अभिनव पहल हैं. ऐसा ही बेटा बेटी समानता का सन्देश सोनी परिवार ने देने का प्रयास किया है. जिसमें बेटी योगिता को घोड़ी पर बैठाकर गाजे बाजे के साथ बिंदोरी निकाली. 

 

अनोखी पहल: बेटी को घोड़ी पर बैठाकर निकाली बिंदोरी.

हनुमानगढ़: नोहर विधानसभा क्षेत्र के गांव फेफाना में एक परिवार ने रुढ़िवादी परंपरा को तोड़ते हुए बेटी की शादी की रस्मों को वैसे ही निभाया, जैसे बेटों की निभाई जाती है. दुल्हन के दादा ने घोड़ी पर बिठाकर बिंदोरी निकाली और बेटे-बेटी एक समान हैं, का संदेश दिया. फेफाना के वार्ड 08 में रहने वाले ओमप्रकाश सोनी और विनोद कुमार सोनी के परिवार ने समाज की रूढ़िवादी परंपरा को त्यागते हुए बेटी योगिता की रविवार को होने वाली शादी से पहले उसके सारे रस्म-रिवाज लड़कों की भांति किए. बेटी योगिता के दादा ओमप्रकाश सोनी, पिता विनोद कुमार व चाचा मुकेश कुमार ने बताया कि वर्तमान में बेटियों के प्रति समाज में जागृति आई हैं.

 अब बेटियों को भी बेटों के समान समझा जाने लगा हैं. जो देश व समाज के लिए अभिनव पहल हैं. ऐसा ही बेटा बेटी समानता का सन्देश सोनी परिवार ने देने का प्रयास किया है. जिसमें बेटी योगिता को घोड़ी पर बैठाकर गाजे बाजे के साथ बिंदोरी निकाली. परिवार जनों ने बताया कि बिटिया की बिंदोरी निकालने का एक मात्र उद्देश्य समाज में बेटा-बेटी के भेद को मिटाकर समानता का सन्देश देना हैं. बिंदोरी में योगिता की सहेलियों, भाई बहनों, परिवार जनों सहित रिश्तेदारों ने नाच गा कर खुशियां मनाई.

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योगिता की दादी चन्द्रपति और माता सिलोचना देवी ने बताया कि समाज के बदलते परिवेश और शिक्षा के विकास के कारण अब रुढ़िवादी परंपराओं को जनता धीरे-धीरे तिलांजलि देने लगी है. जहां पहले बेटियों को समाज में बोझ समझा जाता था, वहीं अब शिक्षा और जागरुकता की वजह से जनता की सोच में बदलाव देखने को मिल रहा है. आधुनिक दौर में शिक्षा के प्रसार प्रचार से समाज में आई जागरुकता से बेटियों को भी बेटों के बराबर सम्मान मिलने लगा है. फेफाना गांव इन बातों के लिए अपनी विशेष पहचान रख रहा है.

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