Rajasthan By-Election: विधानसभा उपचुनाव को लेकर चौरासी सीट पर सियासत तेज, जिसके साथ ST वोटर उसी के सर जीत का ताज!
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Rajasthan By-Election: विधानसभा उपचुनाव को लेकर चौरासी सीट पर सियासत तेज, जिसके साथ ST वोटर उसी के सर जीत का ताज!

Rajasthan By-Election: राजस्थान में विधानसभा उपचुनाव के तहत डूंगरपुर जिले के चौरासी विधानसभा सीट पर 13 नवंबर को मतदान होना है. नामांकन की प्रक्रिया के बाद राजनैतिक दल चुनाव प्रचार में जुटे हैं. इधर चौरासी विधानसभा सीट एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है. वहीं करीब 70 फीसदी एसटी होने से इस सीट पर जीत का फैसला एसटी वोटर ही करता है. 

Rajasthan By-Election

Rajasthan By-Election: राजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित आदिवासी बाहुल डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा पड़ोसी गुजरात राज्य से सटी हुई है. चौरासी के कई गांव डूंगरपुर मुख्यालय की जगह गुजरात में अपने कामकाज को लेकर आते जाते हैं. इस सीट पर 70 पर्सेंट एसटी वोटर्स हैं, जबकि 10 पर्सेंट ओबीसी और 20 पर्सेंट जनरल, अल्पसंख्यक और एससी वोटर्स हैं. 1967 से लेकर आज तक इस सीट पर 12 बार चुनाव हुए हैं. जिसमें से आधी बार (6 बार) कांग्रेस ही इस सीट पर काबिज रही. 

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जबकि भाजपा केवल 3 बार ही इस सीट पर जीत हासिल कर सकी है. वहीं 1 बार जेएनपी ने जीत हासिल की, लेकिन पिछली 2 बार से ये सीट राजकुमार रोत के कब्जे में रही. 2018 में बीटीपी (भारतीय ट्राइबल पार्टी) और इसके बाद 2023 में बीएपी (भारत आदिवासी पार्टी) से विधायक बने. दूसरी बार 69 हजार के बड़े अंतर से राजकुमार रोत जीते. इससे पहले कभी किसी ने इतने बड़े मार्जिन से जीत हासिल नहीं की थी. ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती भारत आदिवासी पार्टी की रहेगी.

पिछले दो चुनाव में बढ़ा भारत आदिवासी पार्टी का वोट बैंक

चौरासी विधानसभा सीट पर पिछले दो चुनावों के वोट प्रतिशत की बात करें, तो कांग्रेस और भाजपा के मुकाबले भारत आदिवासी पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ा है. वर्ष 2018 में बीटीपी से चुनाव लड़ने वाले राजकुमार रोत को 38.22 फीसदी वोट मिले थे. जबकि भाजपा को 30.41 फीसदी वोट मिले थे. वहीं 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में नई पार्टी बीएपी से चुनाव लड़े राजकुमार रोत को 53.92 फीसदी वोट मिले. 

जो कि पिछली बार से 15.07 फीसदी ज्यादा है. उसके पीछे का प्रमुख कारण एसटी वोटर्स रहा है. ऐसे में इन आंकड़ों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि चौरासी विधानसभा क्षेत्र का एसटी वोटर अब कांग्रेस और भाजपा से छिटककर आदिवासी समाज के नाम से चुनावी मैदान में आई बीएपी के प्रति ज्यादा विश्वास जता रही है.

बहरहाल चौरासी विधानसभा उपचुनाव की चुनावी चौसर बिछ चुकी है. चौरासी विधानसभा सीट पर एसटी वोटर्स की बाहुलता को देखते हुए सभी राजनैतिक दल अपने-अपने तरीके से वोटर्स को रिझाने में लगी हैं. कांग्रेस जहां आजादी के बाद से आदिवासियों के उत्थान के लिए आदिवासियों के दिए गए अधिकारों को भुना रही है. 

वहीं भाजपा नेता भाजपा द्वारा आदिवासियों को दिए गए सम्मान जैसे मुद्दों को लेकर वोटर्स के बीच जा रही है. इसके साथ ही भारत आदिवासी पार्टी आजादी के बाद से आदिवासी वोटर्स को केवल वोट बैंक मानकर शोषण करने के आरोप भाजपा और कांग्रेस पर लगाते हुए वोट मांग रही है. अब देखना होगा कि उपचुनाव में एसटी वोटर्स इस पार्टी पर अपना विश्वास जताते हुए जीत का ताज पहनाते हैं.

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