खाद को लेकर मिलीभगत का गंदा खेल, कृषि विभाग को भनक तक नहीं
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खाद को लेकर मिलीभगत का गंदा खेल, कृषि विभाग को भनक तक नहीं

Dungarpur: राजस्थान के डूंगरपुर जिले के रबी की बुवाई के बाद खाद की डिमांड बढ़ रही है, लेकिन डीएपी खाद की कमी के कारण अब लेम्प्स में खाद को लेकर मिलीभगत का खेल शुरू हो गया है. कृषि विभाग की मंजूरी के बिना ही जिले के कई लेम्प्स में कम्पनी विशेष का खाद पहुंच गया है, जिसे लेप्स व्यवथापकों ने बिना नियमों के ही बांट भी दिया. 

खाद को लेकर मिलीभगत का गंदा खेल, कृषि विभाग को भनक तक नहीं

Dungarpur: राजस्थान के डूंगरपुर जिले के रबी की बुवाई के बाद खाद की डिमांड बढ़ रही है, लेकिन डीएपी खाद की कमी के कारण अब लेम्प्स में खाद को लेकर मिलीभगत का खेल शुरू हो गया है. कृषि विभाग की मंजूरी के बिना ही जिले के कई लेम्प्स में कम्पनी विशेष का खाद पहुंच गया है, जिसे लेप्स व्यवथापकों ने बिना नियमों के ही बांट भी दिया. 

वहीं कृषि विभाग और क्रय-विक्रय सहकारी समिति को इसकी भनक तक नहीं है. अब मामला उजागर होने के बाद लैंप्स से लेकर सभी विभाग बचते नजर आ रहे है. वहीं केंद्रीय सहकारी बैंक (सीसीबी) के एमडी के मौखिक आदेशों पर खाद के लैंप्स में सप्लाई होने की बता बताई जा रही है. सर्दी का असर बढ़ने के साथ डूंगरपुर जिले में किसानों ने रबी की बुवाई कर दी है. 

बुवाई के साथ ही किसानों के खाद की डिमांड भी बढ़ गई है, लेकिन क्रय-विक्रय सहकारी समिति में डिमांड राशि भेजने के बाद भी डीएपी खाद मिल नहीं रहा है. खाद की कमी के चलते और किसानों की जरुरत को देखते हुए लेम्प्स व्यवस्थापकों ने कम्पनी विशेष से मिलीभगत कर बिना मंजूरी के खाद लेकर किसानों को महंगे दामों में 1100 रूपये में 50 किलों का एक बेग बांटना भी शुरू कर दिया है. 

केंद्रीय सहकारी बैंक (सीसीबी) एमडी के मौखिक आदेश पर ही वस्सी, धावडी, पिपलादा समेत कई लैंप्स में वंडर अर्थ कंपनी का खाद पहुंच गया. 50-50 किलों के इन बैग पर फास्फेट युक्त दानेदार ऑर्गेनिक खाद लिखा हुआ है, प्रत्येक लैंप्स में करीब 500-500 बैग खाद की सप्लाई की गई, जिसे लैंप्स व्यवस्थापकों ने बिना किसी नियम कायदे के बेच भी दिया.

जवाब देने से बच रहे अधिकारी
मामला सामने आने के बाद विभाग के अधिकारी खाद की खरीद और सप्लाई को लेकर बचते नजर आ रहे है. मामले में केंद्रीय सहकारी बैंक (सीसीबी) के एमडी विष्णु मीणा से ही बात करने का प्रयास किया, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया, लेकिन क्रय-विक्रय सहकारी समिति के अध्यक्ष रतनलाल पाटीदार से बात की, तो कहा कि क्रय विक्रय से किसी तरह के खाद की सप्लाई लैंप्स में नहीं की गई है, जबकि लैंप्स व्यवथापकों ने कहा कि एमडी के मौखिक आदेशों पर उन्हें ये खाद बेचने के लिए आया था.

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कृषि विभाग की मंजूरी जरूरी, लेकिन इसकी भी अनदेखी
मामले में कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर गौरीशंकर कटारा ने बताया कि लैंप्स को खाद खरीदने या बेचने से पहले विभाग की मंजूरी लेना जरूरी है. इस बार 6 लैंप्स ने खाद खरीद के लिए आवेदन किया है, लेकिन अभी तक किसी भी लैंप्स को खाद के लिए परमिशन नहीं दी गई है. ऐसे में नियमानुसार कोई भी लैंप्स खाद की खरीद और बेच नहीं सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि जो खाद सप्लाई हुआ है, उसकी गुणवत्ता जांच भी जरूरी है, लेकिन लैंप्स ने किसी तरह के नियमों का पालन नहीं किया गया है और नहीं कृषि विभाग को जानकारी दी है.

रबी की बुवाई के बाद किसानों को खाद की जरूरत है और डीएपी खाद नहीं मिलने का फायदा उठाते हुए लेम्प्स व्यवस्थापक एक कम्पनी विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए बड़ी मात्रा में खाद बिना कृषि विभाग की मंजूरी के महंगें दामों में किसानों को बटवा रहे है. वहीं इस पूरे मामले में केंद्रीय सहकारी बैंक (सीसीबी) के एमडी विष्णु मीणा की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है. खैर अब देखने वाली बात होगी कि मामले में विभाग के उच्चाधिकारी और सरकार क्या कार्रवाई करती है.

Reporter: Akhilesh Sharma

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