Dungarpur News: डूंगरपुर में दिखी शिक्षा की धुंधली तस्वीर! भीषण गर्मी में बिना छत के चल रहा सरकारी स्कूल
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Dungarpur News: डूंगरपुर में दिखी शिक्षा की धुंधली तस्वीर! भीषण गर्मी में बिना छत के चल रहा सरकारी स्कूल

Dungarpur News: राजस्थान के डूंगरपुर जिले में गर्मी अपने चरम पर है. जिले में 40 डिग्री तापमान है. इधर भीषण गर्मी के बीच पंचायत समिति बिछीवाड़ा की पाल पादर ग्राम पंचायत के राप्रावि खानीमाल स्कूल के हालात यह है कि बच्चे खुले आसमान में एक कच्चे घर में  बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं. यह समस्या कुछ दिनों की नहीं बल्कि सालों से चली आ रही है.

Dungarpur News: डूंगरपुर में दिखी शिक्षा की धुंधली तस्वीर! भीषण गर्मी में बिना छत के चल रहा सरकारी स्कूल

Dungarpur latest News: राजस्थान के डूंगरपुर जिले में 40 डिग्री तापमान है. भीषण गर्मी के बीच पंचायत समिति बिछीवाड़ा की पाल पादर ग्राम पंचायत के राप्रावि खानीमाल स्कूल के हालात यह हैं कि बच्चे खुले आसमान में एक कच्चे घर में  बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं. 

राज्य सरकार प्रदेश में गुणवत्तायुक्त शिक्षा की बात करती है लेकिन प्रदेश के आदिवासी बाहुल डूंगरपुर जिले में शिक्षा की तस्वीर कुछ धुंधली सी नजर आती है. कुछ ऐसे ही हालात डूंगरपुर जिले के बिछीवाड़ा ब्लाक के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय खानिमाल के हैं. जहां पर स्कूल के खुद के भवन के अभाव में बच्चों को 40 डिग्री तापमान में बिना छत वाले कच्चे घर में चल रहे स्कूल में बैठकर पढ़ाई करनी पढ़ रही है.

25 साल से एक केलूपोश कच्चे घर में चल रहा शिक्षा का मंदिर

यह सरकारी स्कूल ऐसा है जो 25 सालों से एक कच्चे मिट्टी के बने केलू से ढके घर में चल रहा है. 2 महीने से हालात ये है कि अब घर की छत भी नहीं बची है. स्कूल टीचर से लेकर बच्चे अभी खुले आसमान के नीचे बैठकर ही पढ़ाई कर रहे हैं. सर्दी, गर्मी और बारिश ये मौसम स्कूल के बच्चों और टीचर के लिए मुश्किलों से भरा हो गया है. 

स्कूल के शिक्षक कांतिलाल असोड़ा ने बताया कि 1999 में राजीव गांधी स्कूल खुला था. तब से ये गांव के गंगाराम खराड़ी के केलूपोश घर में चल रहा है. स्कूल के नाम पर घर का एक 8 गुना 15 फीट का एक कमरा है. आगे का भाग खुला है, लेकिन टाट बांधकर दूसरा कमरा बनाया है. अंदर के कमरे में बच्चों के लिए रसोई बनती है. वहीं आगे के भाग में कक्षा 1 से 5 तक के 33 बच्चों को एक साथ बैठाकर पढ़ाई होती है. 

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घर के ठीक आगे एक नीम का पेड़ है उसके नीचे बैठकर भी कई बार पढ़ाई होती है. स्कूल के अध्यापक ने बताया कि खासकर बारिश के दिनों में परेशानी होती है. मिट्टी के केलू की छत होने से पानी टपकता था. ऐसे में कई बार छुट्टी करनी पड़ती थी. स्कूल तक पहुंचने के लिए परीक्षा देनी पड़ती है.

डूंगरियों के बीच 2 घरों के पास में ही ये स्कूल है. यहां तक आने जाने के लिए करीब 500 मीटर का कच्चा, पथरीला और कंटीली झाड़ियों वाला रास्ता है. इसी रास्ते से होकर टीचर, स्कूल के नन्हे बच्चे पढ़ने के लिए जाते हैं. रास्ते के दोनों तरफ काटेदार झाड़ियां उगी हुई हैं. बारिश के दिनों में आने जाने में बहुत परेशानी होती है. 

विवाद के चलते 4 बार स्कूल की जमीन के लिए हुआ आवंटन

डूंगरपुर जिले की बिछीवाड़ा पंचायत समिति के उपप्रधान लालशंकर पंडवाला ने बताया कि गांव में पक्का स्कूल बनाने के लिए कई बार जमीन देखी. लेकिन हर बार गांव का कोई न कोई व्यक्ति अपनी जमीन बताकर विवाद करने लगता है. एक बार स्कूल बनाने के लिए नीव भी भर दी गई. लेकिन वहां पर भी लोग विरोध में खड़े हो गए. लोगों के विरोध की वजह से स्कूल नहीं बन सका. अब जमीन मिल गई तो भवन का काम भी शुरू हो गया है. 

दो साल पहले विधायक  ने 25 लाख मंजूर किए

स्कूल की हालत देखकर डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा ने वर्ष 2022 में भवन निर्माण के लिए 25 लाख रुपए का बजट घोषित किया. स्कूल भवन बनाने के लिए ग्राम पंचायत पाल पादर कार्यकारी एजेंसी ने एक पहाड़ी पर भवन बनाने का काम शुरू कर दिया. लेकिन स्कूल के काम में धीमी रफ्तार की वजह से आज तक पूरा नहीं हुआ है. 

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स्कूल में 4 कमरे बनाए जा रहे हैं. भवन खड़ा करके छत डाल दी है. लेकिन फर्श और प्लास्टर का काम बाकी है. बिछीवाड़ा उपप्रधान लालशंकर पंडवाला ने स्कूल भवन अगले 15 दिनो में पूरी तरह से बनकर तैयार होने का दावा किया है. 

बहराल आज सरकारें विकसित भारत की बात कर रही हों लेकिन डूंगरपुर जिले में शिक्षा के मंदिर के इस तरह के हालात विकसित भारत के संकल्प में किसी दाग से कम नहीं है. खैर क्षेत्र के जनप्रतिनिधि नए सत्र में इन नोनिहालों को नया भवन उपलब्ध करवाने की बात जरूर कर रहे हैं. लेकिन खानिमाल स्कूल की ये दस्ता शासन और प्रशासन के दावों की भी पोल खोलती नजर आती है.

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