डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज के पांच साल का समय पूरा हो गया है. इसी साल 100 एमबीबीएस स्टूडेंट का पांच साल की डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी कर उन्हे डिग्री मिलनी है, लेकिन इससे पहले एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) की मान्यता अटक गई है. एनएमसी ने मेडिकल कॉलेज में 6 कमियां गिनाई है.
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Dungarpur Medical College News: मेडिकल कॉलेज में इस साल एमबीबीएस की फाइनल मान्यता पर तलवार लटक गई है. एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) ने मेडिकल कॉलेज में 6 कमियां गिनाई है. वहीं मेडिकल कॉलेज प्रशासन को इन कमियों को 7 दिन में पूरी कर वापस रिपोर्ट करनी होगी. वहीं अगर एनएमसी इस रिपोर्ट को मानता है तो तब जाकर मान्यता मिल जाएगी, लेकिन कुछ भी कमी नजर आई तो एमबीबीएस फाइनल इयर के 100 स्टूडेंट इस बार डिग्री के लिए अटक सकते है.
डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज के पांच साल का समय पूरा हो गया है. इसी साल 100 एमबीबीएस स्टूडेंट का पांच साल की डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी कर उन्हे डिग्री मिलनी है, लेकिन इससे पहले एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) की मान्यता अटक गई है. मेडिकल एजुकेशन बोर्ड के डायरेक्टर शंभूशरण कुमार की और से 2 मई को जारी पत्र डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ महेश पुकार को 17 मई को मिला.
इस लेटर में डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज की मान्यता को लेकर 6 कमियां गिनाई गई है. इसमें सबसे बड़ी कमी टीचिंग फैकल्टी की है. मेडिकल कॉलेज में टीचिंग फैकल्टी के 110 पद है, लेकिन अभी केवल 70 पद भरे हुए है. 44.02 पर्सेंट से ज्यादा पोस्ट खाली बताई है. इसके अलावा रेजिडेंट डॉक्टर के 45.35 पर्सेंट पोस्ट वेकेंट बताई है. ये दो बड़े कारण है जिस वजह से मान्यता को लेकर बड़ा पेंच फंस गया है.
इसके अलावा आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट में आईपीडी के मरीजों की कम संख्या भी बड़ी वजह है. वहीं पैथोलॉजी डिपार्टमेंट में हिस्टोपैथोलोजी और माइक्रो बायलॉजी डिपार्टमेंट में कल्चर सेंसेटिविटी फैकल्टी की कमी भी बताई है. इसके अलावा स्टूडेंट होस्टल में पानी की कमी भी बड़ी वजह बताई गई है. डायरेक्टर शंभू शरण कुमार की और से जारी लेटर में 7 दिन में कमियों को पूरा करते हुए जवाब भेजने के लिए कहा है. एनएमसी मेडिकल कॉलेज के जवाब से संतुष्ट हुआ तो मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस 100 सीटों के लिए फाइनल मान्यता मिलेगी.
डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ महेश पुकार ने बताया की फाइनल अप्रूवल के लिए एनएमसी की टीम ने विजिट किया था. एनएमसी ने कुछ कमियां बताई है, जिसमे से फैकल्टी को छोड़कर दूसरी कमियां पूरी कर ली है. राजमेस से फैकल्टी की भर्ती की जा रही है. जिसे जल्दी भी पूरा कर लिया जाएगा. वहीं रेजिडेंट की कमी को स्थानीय स्तर पर पूरा कर दिया है. पैथोलॉजी और माइक्रो बायलॉजी में रियेजेंट के लिए टेंडर कर दिए है. हॉस्टल में पानी की समस्या भी दूर कर दी है. राजमेस ओर एनएमसी को ये रिपोर्ट बनाकर भेज देंगे. उम्मीद है की इस साल एमबीबीएस फाइनल डिग्री की अप्रूवल मिल जाएगी.
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बहरहाल मेडिकल कॉलेज प्रशासन एनएमसी की ओर से निकाली गई कमियों को दूर करने में लगा है. वहीं मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल कमियों को जल्द दूर कर रिपोर्ट एनएमसी को भेजने का दावा कर रहे है. खैर अब देखने वाली बात होगी कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन इन कमियों को दूर कर मान्यता लेने में सफल हो पाता है कि नहीं.