आखिर राजस्थान में बेणेश्वर मेले को क्यों कहा जाता है आदिवासियों का महाकुंभ? जानकर आप भी हो जाएंगे इनके दिवानें
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आखिर राजस्थान में बेणेश्वर मेले को क्यों कहा जाता है आदिवासियों का महाकुंभ? जानकर आप भी हो जाएंगे इनके दिवानें

Beneshwar Mela: राजस्थान के डूंगरपुर जिले का  बेणेश्वर मेला सबसे लोकप्रिय है, इस मेले में सबसे ज्यादा आदिवासियों की सहभागिता रहती है, इसलिए आदिवासियों का महाकुंभ भी कहा जाता है, आपको बता दें कि यह मेला माघ शुक्ल पूर्णिमा के अवसर पर बेणेश्वर नामक स्थान पर लगता है, ये मेला भगवान शिव को समर्पित होता है.

 

आखिर राजस्थान में बेणेश्वर मेले को क्यों कहा जाता है आदिवासियों का महाकुंभ? जानकर आप भी हो जाएंगे इनके दिवानें

Beneshwar Mela: डूंगरपुर जिले के पवित्र त्रिवेणी संगम बेणेश्वर धाम पर बेणेश्वर मेले के तहत बीती रात जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में स्थानीय प्रतिभाओं का हुनर देखने को मिला.

अपनी प्रस्तुतियों से स्थानीय प्रतिभाओं ने लोगों का मन जीत लिया. कलाकारों ने राजस्थानी, फोक व देशभक्ति गानों पर अपनी प्रस्तुतियां दी और जन समूह को देर रात तक बांधे रखा.

आदिवासियों का महाकुंभ कहे जाने वाला बेणेश्वर मेला अपने आगाज के साथ अब परवान चढ़ने लगा है. दिनभर जहां पर बेणेश्वर मेले में मेलार्थियों की भीड़ रहती है. वहीं, रात को मेलार्थियों के मनोरंजन के लिए जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित सांस्क्रतिक कार्यक्रम मेले के आनंद को दुगुना कर रहे हैं. इसी के तहत बीती रात को बेणेश्वर धाम पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया.

 इस दौरान स्थानीय कलाकारों की ओर से लोकरंगों में रची-बसी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से ओर भी सुरमई हो गई. डूंगरपुर जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रमों के दौरान स्थानीय कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए.

इस दौरान अपनी मनमोहक व रंगारंग प्रस्तुतियों के माध्यम से स्थानीय प्रतिभाओं ने अपना हुनर दिखाया. इस मौके पर राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय घाटडा के विद्यार्थियों ने लोक नृत्य लघु फिल्म की प्रस्तुति दी. 

वहीं, महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय साबला के विद्यार्थियों ने पिरामिड व  लघु नाटिका की प्रस्तुति दी. इधर  शान्ता किड्स साबला के विद्यार्थियों ने देश भक्ति गीतों, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सागोट की ओर से सांस्कृतिक नृत्य, मुस्कान संस्थान डूंगरपुर, राउमावि पिण्डावल,नारायण  व दल भोमवाड़ा,  कमलेश बामनिया कतीसोर, अमृत मीणा खेरवाड़ा लाला बंजारा के द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई. इस दौरान उपस्थित जन समूह ने स्थानीय कलाकारों की हौसला अफजाई भी की.

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