नाबालिग बच्चे बने दौसा पुलिस का सिरदर्द, मौज मस्ती के लिए रच रहे हैं अपहरण की कहानियां
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नाबालिग बच्चे बने दौसा पुलिस का सिरदर्द, मौज मस्ती के लिए रच रहे हैं अपहरण की कहानियां

दौसा पुलिस के लिए नाबालिग बच्चे इन दिनों सिरदर्द बने हुए हैं. जिले में बच्चे मौज मस्ती  करने के लिए अपहरण जैसी कहानियां रचने लगे हैं. वह मौज मस्ती करने अपने  परिजनों को बिना बताए घर से फरार होने से भी चूकते.

नाबालिग बच्चे बने दौसा पुलिस का सिरदर्द, मौज मस्ती के लिए रच रहे हैं अपहरण की कहानियां

Dausa: दौसा पुलिस के लिए नाबालिग बच्चे इन दिनों सिरदर्द बने हुए हैं. जिले में बच्चे मौज मस्ती  करने के लिए अपहरण जैसी कहानियां रचने लगे हैं. वह मौज मस्ती करने अपने  परिजनों को बिना बताए घर से फरार होने से भी चूकते. मौका लगते ही घर से नगदी भी पार कर रहे हैं साथ ही फोन कर परिजनों को अपहरण जैसी बात करके गुमराह कर रहे हैं, जिसके चलते नाबालिगों के परिजन भी परेशान हैं. बच्चों की इन हरकतं से  पुलिस भी सकते में है. हालांकि, परिजनों की तत्काल सूचना पर पुलिस समय रहते बच्चों को खोज भी कर रही है. 

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ताजा मामले दौसा जिले के बांदीकुई पुलिस थाना क्षेत्र का हैं, जहां बीते दिन अलग अलग बच्चों के गुम होने के पांच प्रकरण बांदीकुई थाने में आए. हालांकि, लापता हुए सभी बच्चे अलग-अलग घरों के थे और अलग अलग तरीके से घर से फरार हुए थे, लेकिन एक थाना क्षेत्र में 5 बच्चों के लापता होने के प्रकरण  जब पुलिस के पास पहुंचे तो पुलिस भी सकते में आ गई. हालांकि पुलिस ने परिजनों द्वारा बच्चों के लापता होने की शिकायत देने के बाद तत्परता दिखाते हुए, सभी बच्चों को अलग-अलग क्षेत्रों से ढूंढ निकाला. और परिजनों के सुपुर्द कर दिया .

गौरतलब है कि, लापता हुए बच्चों में एक नवीं कक्षा का छात्र था, जिसे पुलिस ने अलवर के लक्ष्मणगढ़ से दस्तयाब किया, तो वहीं एक 17साल के बीए द्वितीय वर्ष का छात्र था, जिसने घर से फरार होने के बाद अपनी मां को फोन किया और कहा कुछ लोग मुझे जबरदस्ती ले जा रहे हैं और फोन स्विच ऑफ कर लिया. साथ ही नाबालिग ने मां के बैंक खाते से अपने खाते में पचास हजार रुपये भी ऑनलाइन ट्रांसफर किए थे.  वही तीन नाबालिग बच्चे अलग अलग तरीके से फरार हुए हालांकि पुलिस ने सभी बच्चों को सकुशल दस्तयाब कर लिया .

बांदीकुई में हुए 5 बच्चों के लापता प्रकरण के बाद एसपी राजकुमार गुप्ता ने परिजनों से अपील करते हुए कहा अपने नाबालिग बच्चों का विशेष ख्याल रखें साथ ही उनके साथ संवाद करें और उनकी गतिविधियों पर नजर रखें क्या सही है और क्या गलत है उन्हें इसकी जानकारी देते रहें जिससे बच्चे गलत रास्ते अख्तियार नहीं करें .
 मनोचिकित्सक की माने तो 18 वर्ष की उम्र तक के बच्चों का परिजन विशेष ध्यान रखें. उनकी कोई गलत गतिविधि दिखाई देती है तो, तत्काल उन्हें टोंके और बिना डाट फटकार के प्यार से समझाएं. जिससे वे गलत रास्ते पर नहीं जाये .

Reporter: Laxmi Avatar Sharma 

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