सिद्धपीठ बालाजी धाम में श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन लोकसभा अध्यक्ष ने की शिरकत
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सिद्धपीठ बालाजी धाम में श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन लोकसभा अध्यक्ष ने की शिरकत

Dausa News: जिले के सिद्धपीठ बालाजी धाम में महंत नरेशपुरी महाराज के सानिध्य में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन शनिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने शिरकत की. 

 

सिद्धपीठ बालाजी धाम में श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन लोकसभा अध्यक्ष ने की शिरकत

Dausa, Sikrai: जिले के सिद्धपीठ बालाजी धाम में महंत नरेशपुरी महाराज के सानिध्य में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन शनिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला व केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने शिरकत की. हेलीकॉप्टर से मेहंदीपुर बालाजी पहुंचे दोनों नेताओं ने सबसे पहले सीताराम मंदिर पहुंचकर राधा-कृष्ण के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लिया. 

इसके बाद उन्होंने बालाजी मंदिर में विशेष पूजा अर्चना कर खुशहाली की कामना की. दर्शनों के बाद लोकसभा स्पीकर व केंद्रीय मंत्री ने महंत के साथ भागवत कथा की आरती की. जहां लोकसभा अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री ने लोगों को संबोधित करते हुए बालाजी महाराज की महिमा का गुणगान किया. इससे पहले उदयपुरा रोड स्थित एक मैरिज गार्डन में भाजपा कार्यकर्ताओं ने लोकसभा अध्यक्ष का नागरिक अभिनंदन भी किया.

अंतिम दिन कथा व्यास मृदुल कृष्ण शास्त्री महाराज ने कहा कि शास्त्रों में श्रीमद् भागवत कथा का सर्वाधिक महत्व बताया गया है. इसके श्रवण से भक्ति, ज्ञान व वैराग्य तरुण होते हैं, साथ ही ईश्वर के स्वरूप का बोध होता है. उससे वैराग्य भाव प्राप्त होता है. उन्होंने कहा मेहंदीपुर बालाजी धाम में स्वयंभू हनुमानजी महाराज साक्षात विराजमान है, जिन्हें रसिक भी कहा गया है, वह भी कथा प्रेमी हैं. जो भगवान का ध्यान करते हैं भगवान उनका ध्यान रखते हैं. उन्होंने कहा भगवान राम-कृष्ण में कोई भेद नहीं है. 

ऐसे में कथा को पूर्ण मनोभाव, विनम्रतापूर्वक व भावुक बनकर सुनना चाहिए. उन्होंने कहा हम कितने भी ज्ञानी हों लेकिन कथा में श्रोता भाव ही रखना चाहिए, क्योंकि कथा में व्यास स्वयं का नहीं भगवान का परिचय करवाता है. मृदुल कृष्ण शास्त्री ने कहा पूर्ण मनोयोग से कथा सुनना ही सही मायने में कथा का भाव होता है. भाव से कथा सुनने से भगवान का उनके मन में वास हो जाता है. जिसके द्वारा इस संसार का पालन पोषण हो रहा है वही सबमे हैं. जिसके मन में इर्ष्या और कपट होती है, वह कभी कृपा का पात्र नहीं हो सकता. मनुष्य को हमेशा सबके मंगल का भाव रखना चाहिए. उन्होंने कहा यह कथा किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं, बल्कि सबके मंगल के भाव को लेकर की जा रही है. 

मनुष्य को बिना किसी स्वार्थ के निष्काम भक्ति करनी चाहिए. घाटा बालाजी में एक बार माथा टेककर देखिए सभी भक्तों के घाटे पूरे हो जाते हैं. शास्त्री ने कहा परिवार में बच्चों को सेवाभाव व विनम्रता भी सिखानी चाहिए, क्योंकि वर्तमान समय में प्रत्येक मनुष्य में यह अनिवार्य गुण होना चाहिए. यदि हम बच्चों को सही संस्कार देंगे तो भविष्य सुधरेगा, क्योंकि बचपन के संस्कार ही भविष्य बनाता है. कथा रसपान के बीच में शास्त्री ने गोविन्द मेरे है, राधे राधे जपो, बांके बिहारी लाल से जैसे सुन्दर भजनों का गायन कर श्रोताओं को झूमने के लिए मजबूर कर दिया. कथा में सबसे पहले महंत नरेशपुरी महाराज ने भागवत पोथी का पूजन कर महाआरती की. इस दौरान उन्होंने संत-महात्माओं का अभिनंदन किया.

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