हो जाइए सावधान, राजस्थान में इन सरकारी स्कूलों को मर्ज करने वाली है गहलोत सरकार
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हो जाइए सावधान, राजस्थान में इन सरकारी स्कूलों को मर्ज करने वाली है गहलोत सरकार

Dausa News: राजस्थान सरकार 1 से 25 तक के नामांकन वाली प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों को समीप की सरकारी स्कूलों में मर्ज करने की तैयारी ने सरकार की शिक्षा व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं. 

हो जाइए सावधान, राजस्थान में इन सरकारी स्कूलों को मर्ज करने वाली है गहलोत सरकार

Dausa: राजस्थान सरकार भले प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था सुधारने का ढोल पीट रही हो, लेकिन 1 से 25 तक के नामांकन वाली प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों को समीप की सरकारी स्कूलों में मर्ज करने की तैयारी ने सरकार की शिक्षा व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं बीकानेर शिक्षा निदेशालय द्वारा प्रदेश के सभी जिलों से मांगी गई सूचनाओं ने शिक्षक संगठनों में भी आक्रोश पैदा कर दिया.

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शिक्षक संगठनों का कहना है सरकार की प्रदेश में शिक्षा के प्रति दोहरी नीति उजागर हो गई. एक और सरकार विधायकों की मांग पर सरकारी स्कूल खोलने का ढिंढोरा पीट रही है, तो दूसरी ओर अंदर भीतर खुली हुई स्कूलों को बंद करने पर भी काम कर रही है.

दरअसल, बीकानेर शिक्षा निदेशालय द्वारा प्रदेश के सभी जिलों के शिक्षा विभागों से ऐसी सरकारी प्राइमरी ओर अपर प्राइमरी स्कूलों की सूचना मांगी गई है, जिनमें छात्र-छात्राओं का नामांकन 1 से 25 तक है प्रदेश भर में ऐसी 10000 से अधिक स्कूले हैं तो वहीं दौसा जिले में भी ऐसी 267 स्कूल चिह्नित की गई हैं, जिनमें नामांकन 25 तक हैं . सरकार की इस प्रक्रिया का जिले के शिक्षक संगठन भी विरोध कर रहे हैं. शिक्षक संगठनों का कहना है यूपीए सरकार के समय देश भर में स्कूल खोलने को लेकर एक नियम बनाया गया था, जिसमें गांव में ही स्कूल खोलने की बात कही गई थी, लेकिन राजस्थान सरकार उन नियमों को भी धत्ता बता रही है.

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दौसा जिले के शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है सरकार की इस प्रक्रिया से एक और जहां प्रदेश में शिक्षकों के हजारों पद खत्म होंगे तो यह बेरोजगारों के साथ भी कुठाराघात होगा. वहीं, शिक्षा से लाखों छात्र-छात्राएं भी वंचित रह जाएंगे. सरकार अगर इन स्कूलों को दूसरी स्कूलों में मर्ज करेगी तो उनकी दूरी गांव से 1 से 3 किलोमीटर तक होगी. ऐसे में बच्चे उन स्कूलों में पढ़ने नहीं जाएंगे और वह ड्रॉपआउट होकर शिक्षा से वंचित हो जाएंगे. शिक्षक संगठनों की मांग है सरकार द्वारा इन स्कूलों को बंद करने के बजाए आधारभूत ढांचे को सुधारने का काम करें और इन स्कूलों को यथावत रखा जाए सरकार कम नामांकन वाली स्कूलों को बंद करेगी तो निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा साथ ही कम नामांकन वाली स्कूलों में ऐसे बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं जिनके परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हैं.

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जब इस बारे में दौसा जिला मुख्य शिक्षा अधिकारी ओमप्रकाश शर्मा से बात की गई तो उनका कहना है बीकानेर शिक्षा निदेशालय द्वारा एक्सेल शीट भेज कर ऐसी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों की संख्या मांगी गई है, जिनमें छात्र-छात्राओं का नामांकन 1 से 25 तक है दौसा जिले में ऐसी 267 स्कूल चिह्नित की गई हैं, वहीं, इन स्कूलों के समीप की स्कूलों में मर्ज करने की बात पर सीडीईओ ने कहा यह निदेशालय तय करेगा कि इनका क्या करना है, लेकिन जिस तरीके से प्रदेश भर से सूचनाएं एकत्रित की जा रही है उससे लगता है शायद ये दूसरी स्कूलों में मर्ज होगी अब यह सरकार तय करेगी.

सरकार की इस प्रक्रिया को लेकर विपक्ष भी हमलावर हो रहा है सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने सरकार की मंशा पर बड़ा प्रश्न चिह्न खड़ा करते हुए कहा सरकार ने विद्या संबल योजना के तहत 93000 शिक्षकों की भर्ती अटका दी.

स्कूलों में शिक्षकों की कमी है तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजस्थान में शिक्षा की बदहाली क्या होगी ऐसे में स्कूलों में बच्चे क्या पड़ेंगे राज्य के स्कूली बच्चों का भविष्य पूरी तरह अंधकार में है. स्कूलों को मर्ज करने के सवाल पर किरोड़ी ने कहा सरकार कुछ भी कर सकती है मंत्री विधायक मनमानी पर उतर रहे हैं सीनियर आरएएस अफसरों को मंत्री बैठक से बेइज्जत कर गेट आउट कर दे ऐसे में सत्ताधारी दल के नेताओं का मनोबल इतना बड़ा हुआ है कि वे ब्यूरोक्रेसी के साथ भी बदसलूकी कर रहे हैं.

Reporter- Laxmi Sharma

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