आखिर बज्जू उपखंड मुख्यालय पर दमकल की मांग कब होगी पूर्ण, जंगल से लेकर खेत तक हो रहे स्वाहा?
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आखिर बज्जू उपखंड मुख्यालय पर दमकल की मांग कब होगी पूर्ण, जंगल से लेकर खेत तक हो रहे स्वाहा?

Kolayat, Bikaner News: उपखंड मुख्यालय बज्जू से बीकानेर की दूरी 100 किलोमीटर है तो बीकानेर से बज्जू दमकल आने में करीब 2 घंटे लग जाते हैं, और बज्जू से आगे घटनास्थल पर जाने के लिए भी एक से 2 घंटे का समय लग जाता है. इस दौरान मौके पर दमकल के पहुंचते-पहुंचते सब कुछ स्वाहा हो जाता है. 

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Kolayat, Bikaner News: जिला मुख्यालय बीकानेर से 100 किलोमीटर दूर उपखंड मुख्यालय पर वर्षों से दमकल की मांग पूरी नहीं रही है, जिससे रोजाना जंगल से लेकर खेत खलिहान और आशियाने तक स्वाह हो रहे हैं. जहां उपखंड मुख्यालय का क्षेत्र करीब 120 किलोमीटर क्षेत्र का है और बीकानेर से बज्जू क्षेत्र का अंतिम छोर 200 किलोमीटर से ज्यादा का है और जब भी आगजनी की घटना हो और दमकल बीकानेर से घटनास्थल पर पहुंचे तब तक सबकुछ स्वाहा हो जाता है. 

उपखंड क्षेत्र में गर्मियों के दिनों में आगजनी की घटनाओं का क्रम इतना बढ़ जाता है कि आये दिन कभी वन क्षेत्र, कभी ढाणियों तो कभी फसलों तक चौपट हो जाती हैं, मगर आजतक इस प्रमुख समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. पिछले वर्षों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर जनता का दवाब होने से कुछ समय के लिए अस्थाई दमकल बज्जू में उपलब्ध हुई, मगर कुछ दिनों बाद फिर से दमकल बीकानेर चली गई.

भलुरी में 100 घर तो गोडू में 3 जिंदगियां लील गई थी आग
वीओ: गर्मियों के दिनों में उपखंड क्षेत्र में हर बार बड़ी बड़ी आगजनी की घटनाएं होती हैं. विशेषकर वन क्षेत्र में तो दर्जनों आगजनी की घटनाएं क्षेत्र में होती हैं, जिससे जंगल को तो नुकसान होता ही है साथ साथ जीव भी जल जाते हैं. उपखंड भलुरी गांव में 23 अप्रैल 2016 को आगजनी की बड़ी घटना होने से करीब 100 परिवार बेघर हो गए थे और उस समय दमकल बीकानेर से बुलानी पड़ी थी और 2 दिन तक आधी दर्जन दमकलें मौके पर जमा रही तो गत वर्ष गोडू की रोही चक 9 जीएमआर में भी आगजनी से 3 जिंदगी समाप्त हो गई थी. जिस पर भी दमकल बीकानेर से बुलाई गई थी. तो आरडी 860 से बीक़मपुर तक वन क्षेत्र में आगजनी गर्मियों में आये दिन चलता रहता है, जिसमें भी जंगल व जीव समाप्त होते हैं.

बीकानेर से दमकल आते आते सबकुछ स्वाहा
उपखंड मुख्यालय बज्जू से बीकानेर की दूरी 100 किलोमीटर है तो बीकानेर से बज्जू दमकल आने में करीब 2 घंटे लग जाते हैं, और बज्जू से आगे घटनास्थल पर जाने के लिए भी एक से 2 घंटे का समय लग जाता है. इस दौरान मौके पर दमकल के पहुंचते-पहुंचते सब कुछ स्वाहा हो जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले एक दशक से बज्जू उपखंड मुख्यालय पर दमकल को लेकर आंदोलन किये जा चुके हैं, जिसके बाद पिछली सरकार में मात्र कुछ दिनों के लिए दमकल उपलब्ध हो पाई थी, मगर कुछ ही दिनों में बीकानेर भेज दी गई. इसबार एकबार फिर से ग्रामीणों की मुख से दमकल की आवाज उठने लगी है, फिर से शासन से लेकर प्रशासन तक को अवगत करवाने शुरू हो गए हैं.

विभाग के पास आग बुझाने का कोई जुगाड़ नहीं
बज्जू उपखंड में वन विभाग का बड़ा क्षेत्र होने के साथ-साथ यहां किसानों के फसलों और आमजन के आशियाने गर्मियों में जल जाते हैं लेकिन किसी के पास आग बुझाने का कोई संसाधन नहीं है. क्षेत्र में विशेषकर वन क्षेत्र में आगजनी की घटनाएं होती रहती हैं, मगर वन विभाग के पास कोई संसाधन नहीं है. विभाग आग लगने पर कुंआ खोदने की कहावत चरितार्थ करते हुए आमजन से पानी के टैंकर मांगता नजर आता है. सबसे मजेदार बात यह है कि आगजनी की घटनाओं के दौरान वन विभाग के अधिकारी मौके से नदारद ही रहते हैं.

आंखों के सामने जल कर स्वाहा होता आशियाना 
बज्जू क्षेत्र में हर वर्ष सैकड़ों पेड़ तो दर्जनों घर आग की चपेट में आते है. गरीब का आशियाना उसकी आंखों के सामने जल कर स्वाहा होता है. हर वर्ष कई परिवारों को रेत के टीलों पर बैठ कर रात बितानी पड़ रही है. लेकिन इस समस्या का स्थाई समाधान आज तक नहीं हुआ. ऐसा नहीं कि इस क्षेत्र को राज्य सरकार में प्रतिनिधि नहीं मिला हो. स्थानीय कई विधायक कैबिनेट मंत्री रह चुके है लेकिन घटना के समय मात्र लीपापोती कर बड़े बयान दे दिए जाते हैं. आखिर इस क्षेत्र के रहवासियों की सुनेगा कौन क्या ये सिर्फ मतदाता बन कर ही रह जायेंगे.

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