ड्रैगन फ्रूट (Dragon fruit ) काफी समय से चर्चा में है. भारत में इसके खेती बहुत ही कम समय में लोकप्रियता हासिल कर चुकी है. जैसा कि ड्रैगन फ्रूट के नाम से पता चल रहा है कि यह विदेशी फल है. ये फल रसीला और औषधीय गुणों से भरपूर है और अब इसे राजस्थान में उगाया जा रहा है.
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Jahajpur Kotri Bhilwara News : ड्रैगन फ्रूट भीलवाड़ा जिले के कोटड़ी उपखंड क्षेत्र आकोला ग्राम पंचायत के खजीना गांव में किसान रामेश्वर लाल जाट ने करीब डेढ़ बीघा क्षेत्र में पांच प्रकार के ड्रैगन फ्रूट की बुवाई कर रखी है, रामेश्वर लाल ने दो साल पहले खेती शुरू की, ये ड्रैगन फ्रूट की भीलवाड़ा जिले में पहली खेती है.
डेढ़ बीघा में दो हजार पौधे लगा रखे, रामेश्वर लाल ने बताया कि वह गुजरात गए तो वहां पर ड्रैगन फ्रूड के पौधे देखें और किसान से इस फसल के बारे में जानकारी ली और मन में एक ख्याल आया कि क्यों ना इस खेती को अपने गांव में भी किया जाए. इसके बाद गुजरात, श्रीलंका, भूटान, स्वीटजरलैंड से इसकी बारीकी से जानकारी ली. सन 2020 में इसकी बुवाई की, जिसमें तकरीबन 6 लाख का खर्चा आया. पहली बार गत वर्ष दो सौ से तीन सौ फल प्राप्त हुए. एक बार में करीब 15 लाख रुपए तक का उत्पादन ले सकते हैं. एक पौधे से 25 से 30 किलो तक फल प्राप्त होता है. एक बार पौधा लगने पर 20 साल तक उत्पादन देता है. यह मुख्य रूप से दक्षिणी अमेरिका में पाया जाता है.
ड्रैगन फ्रूट (Dragon fruit ) गुजरात के कच्छ, नवसारी और सौराष्ट्र क्षेत्र में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है. इसकी करीब 150 वैरायटी में सी वैरायटी की बुवाई की गई, जो महंगी बिकती हैं. स्वीटजरलैंड, भूटान और इजरायल देशों में भी बुवाई होती है. ड्रैगन फ्रूट से जैम, आइसक्रीम, जेली, जूस और वाइन बनाई जाती है, दवाईयों में भी उपयोग किया जाता है. ड्रैगन फ्रूट (Dragon fruit ) किसानों को ज्यादा मुनाफा देने वाली नकदी फसल है. भारत के कई राज्यों के प्रगतिशील किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती करना शुरू कर चुके हैं. लेकिन बहुत ही कम किसानों को इसकी खेती के बारे में जानकारी है.
ड्रैगन फ्रूट (Dragon fruit ) एक रसीला, मीठा फल है, दिखने में ये गुलाबी होता है, लेकिन इसके किस्म के आधार पर और भी रंग की होते है. ड्रैगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम हिलोकेरेस अंडटस और हिन्दी नाम पिताया या स्ट्रॉबेरी पीयर है. इसका पौधा नागफनी पौधे की तरह का होता है. बाजार में यह फल 300 से 800 रुपए प्रतिकिलो की दर से बिकता है.
बता दें ड्रैगन फ्रूट थाइलैंड, वियतनाम, इज़रायल और श्रीलंका में बहुत ही लोकप्रिय है. वहां इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. वहां के मार्केट में किसान इसे अच्छे दामों में बेच कर लाखों कमाते हैं. इस फल की मांग और भाव के कारण भारत के किसान भी इसे व्यवसाय के रूप मे अपनाकर अच्छा मुनाफा कमा रहे है. ड्रैगन फ्रूट के खाने से मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित किया जा सकता हैं. इसके फल में बीज किवी की तरह काफी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं.
ड्रैगन फ्रूट (Dragon fruit ) नम और गर्म जलवायु का पौधा है. भारत में इसकी आसानी से की जा सकती है. इसकी खेती ज्यादा बर्फबारी वाले इलाके में नहीं की जा सकती है. तापमान की बात करें तो अधिकतम 40 डिग्री सेन्टीग्रेड और न्यूनतम 10 डिग्री सेल्सियस तक इस पौधे के लिए लाभप्रद होता है.
ड्रैगन फ्रूट की खेती में लगभग 7-8 PH मान वाली मिट्टी मे इसकी खेती आसानी से की जा सकती है. इसके लिए सभी प्रकार की उपजाऊ मिट्टी अनुकूल है. जलजमाव वाले इलाके में इसकी खेती नहीं करनी चाहिए. इसकी खेती जहां भी करें जलनिकासी अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए.
ड्रैगन फ्रूट (Dragon fruit ) की खेती
भारत में ये फल नया है, अतः किसानों को इसकी खेती की पूरी जानकारी होनी चाहिए. ड्रैगन फ्रूट के पौधे बीज और पौध दोनों प्रकार से इसकी खेती की जाती है. इसके पौधों को पौध (कलम) के से लगाना बेहतर होता है. कलम के रूप में लगाने पर पौधा 2 साल बाद पैदावार देना शुरू कर देता है. जबकि बीज से लगाने यह समय 4-5 साल लग जाते हैं. जब भी कलम या बीज खरीदें, प्रमाणित या विश्वसनीय दुकान से ही खरीदें. सदैव इन्हें किसी रजिस्टर्ड नर्सरी से खरीदें.
इस फल की खेती करने में ज्यादा पानी की अवश्यकता नहीं होती है. कम पानी में भी ड्रैगन फ्रूट की खेती आसानी से कर सकते हैं. सर्दियों के मौसम में इसके पौधे को महीने में दो बार सिंचाई की जरूरत होती है, जबकि गर्मियों में 8-12 दिन में सिंचाई की जरूरत होती है.
उर्वरक और खाद की बात करें तो ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए जैविक खाद सबसे अच्छा होता है. इसमें 10 से 15 किलो गोबर की खाद और 50 से 70 ग्राम एनपीके की मात्रा को मिट्टी में मिलाकर पौधे की रोपाई से पहले तैयार किए गए गड्डों में भर कर सिंचाई करें.
ड्रैगन फ्रूट की किस्में
ड्रैगन फ्रूट की मुख्यतः 3 किस्में हैं
सफेद गूदा वाला, गुलाबी रंग का फल
लाल गूदा वाला, गुलाबी रंग का फल
सफेद गूदा वाला पीले रंग का फल
ड्रैगन फ्रूट की खेती में लागत और कमाई
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इस ड्रैगन की फसल में केवल एक बार पूंजी लगाने की आवश्यकता होती है. पारंपरिक खेती के मुकाबले इससे 25 वर्षों तक आमदनी ले सकते हैं. लागत की बात करें तो इसके पौधे कैक्टस की तरह होता है. इसके फलन के लिए पौधों को सहारे की जरुरत पड़ती है. इसके स्ट्रेक्चर को खड़़ा करने के लिए प्रति एकड़ ढ़ाई से तीन लाख रुपए खर्च होते हैं. एक एकड़ में 10 फीट की दूरी पर खंभा खड़ा कर उसके सहारे पौध लगाए जाते हैं. प्रति एकड़ करीब 17 सौ पौधे की आवश्यकता होती है. एक बार मोटी रकम खर्च के बाद उसी स्ट्रेक्चर पर यह 25 वर्षो तक उपज देता है.
रिपोर्टर- दिलशाद खान, दिनेश पारीक
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