सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी ने वेदों और गुरु ग्रंथ साहिब की वाणी के संयुक्त प्रचार-प्रसार के लिए निर्मल पंथ की स्थापना की थी. गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने पांच सिख भक्तों को निर्मल संत की संज्ञा दी और उन्हें संस्कृत के अध्ययन के लिए काशी रवाना किया।.
इसके बाद गुरू का अटूट लंगर का आयोजन हुआ. जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु महिला-पुरूष एवं बच्चों ने लंगर चखा. 17 जनवरी को सुबह दस बजे अखण्ड पाठ साहिब का समापन होगा. इसके बाद 11 बजे से कीर्तन दरबार सजाया जाएगा.
जगह-जगह नगर कीर्तन का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया. नगर कीर्तन कस्बे के कांकवाड़ी बाजार, चौपड़ बाजार, अनाज मण्डी, माचाड़ी चौक, गणेश पोल, नवीन बस स्टैण्ड, सराय बाजार, गोल सर्किल से गुजरता हुआ वापस गुरूद्वारा पहुंच कर सम्पन्न हुआ.
जगह-जगह नगर कीर्तन का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया. नगर कीर्तन कस्बे के कांकवाड़ी बाजार, चौपड़ बाजार, अनाज मण्डी, माचाड़ी चौक, गणेश पोल, नवीन बस स्टैण्ड, सराय बाजार, गोल सर्किल से गुजरता हुआ वापस गुरूद्वारा पहुंच कर सम्पन्न हुआ.
नगर कीर्तन में शब्द गायन करते हुए महिलाएं चल रही थी. इस मौके पर दिल्ली और भरतपुर की गतका अखाड़ा पार्टी की ओर से हैरत अंगेज करतब दिखाए गए.
गुरुद्वारा सिंह सभा की ओर से दसवें गुरु गुरु गोविन्द सिंह जी के प्रकाशोत्सव के अवसर पर कस्बे के कांकवाड़ी बाजार से पंज प्यारों और चार साहिबजादों की अगुवाई तथा बैण्ड-बाजों के साथ नगर कीर्तन निकाला गया.
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