Ram Mandir Pran Pratishtha : अयोध्या में श्रीराम के विराजते ही 900 सालों से वीरान बाड़मेर के किराडू मंदिर में राम धुन की गूंज, 11 हजार दीपों से जगमगाया
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Ram Mandir Pran Pratishtha : अयोध्या में श्रीराम के विराजते ही 900 सालों से वीरान बाड़मेर के किराडू मंदिर में राम धुन की गूंज, 11 हजार दीपों से जगमगाया

अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर देश भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. आज पूरे देश के राम भक्तों का 500 साल का इंतजार खत्म हो गया है. आज भव्य राम मंदिर में प्रभु राम की बाल स्वरूप में मूर्ति विराजमान हो गई है.

Ram Mandir Pran Pratishtha : अयोध्या में श्रीराम के विराजते ही 900 सालों से वीरान बाड़मेर के किराडू मंदिर में राम धुन की गूंज, 11 हजार दीपों से जगमगाया

Ram Mandir Pran Pratishtha : अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर देश भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. आज पूरे देश के राम भक्तों का 500 साल का इंतजार खत्म हो गया है.

आज भव्य राम मंदिर में प्रभु राम की बाल स्वरूप में मूर्ति विराजमान हो गई है. ऐसे में पूरी अयोध्या नगरी समेत राजस्थान के बाड़मेर में भी राम नाम में डूबी हुई नजर आ रही है.

किराडू अपने मंदिरों कि शिल्प कला के लिया विख्यात

जिसके तहत सरहदी बाड़मेर जिले में भाजपा नेता स्वरूप सिंह खारा की ओर से राजस्थान के मिनी खजुराहो से विख्यात केराडू के मंदिरों में दीपमाला व राम धुन कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

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इस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में स्थानीय लोगों व सेना के जवानों ने भाग लिया. 12वीं शताब्दी के प्राचीन मंदिरों में 11 000 दीप प्रज्वलित कर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन यज्ञ किया गया.

मिनी खजुराहो से विख्यात केराडू के मंदिरों में दीपमाला व राम धुन कार्यक्रम

उसके बाद भव्य आतिशबाजी के साथ मंदिरों को रौशन किया गया. इस दौरान कार्यक्रम में बायतु वेद महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने वेदों का उच्चारण किया. इस दौरान कार सेवकों का भी सम्मान किया.

केराडू राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है. जानकारी के लिए बता दें कि किराडू अपने मंदिरों कि शिल्प कला के लिया विख्यात है. इन मंदिरों का निर्माण 11वी. शताब्दी में हुआ था. किराडू को राजस्थान का खजुराहों भी कहा जाता है.

लेकिन दुर्भाग्य से किराडू को खजुराहो जैसी ख्याति नहीं मिल पाई क्योंकि यह जगह पिछले 900 सालों से वीरान है. आज भी यहां पर दिन में कुछ पर्यटकों की चहल-पहल देखने को मिल जाती है. लेकिन शाम ढलते ही यह जगह वीरान हो जाती है. सूर्यास्त के बाद यहां पर कोई भी नहीं रुकने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है.

 

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