Sariska Tiger Reserve News: अलवर के सरिस्का वन क्षेत्र में बाघों का कुनबा बढने की खबर मिली है. सरिस्का वन अभ्यारण्य में बाघों के कुनबा बढ़ने से पर्यटकों में भी इजाफा देखा जा रहा है. अलवर रेंज में भी बाघों की बढ़ती साइटिंग पर्यटकों को अपनी और आकर्षित कर रही है.
Trending Photos
Sariska Tiger Reserve News: अलवर के सरिस्का वन क्षेत्र में बढ़ रहे बाघों के कुनबे से पर्यटकों की रौनक भी बढ़ने लगी है. अब बाघ ने सरिस्का के बफर जोन रेंज अलवर को अपनी टेरेटरी बनाने लगे हैं. हाल ही में सरिस्का के बफर जोन बाला किला क्षेत्र में बाघिन एसटी 19 का शावक की लगातार हो रही साइटिंग से पर्यटक सहित जिप्सी चालक भी रोमांचित हैं.
सरिस्का वन अभ्यारण्य में बाघों के कुनबा बढ़ने से पर्यटकों में भी इजाफा देखा जा रहा है. अब बाघों की साइटिंग बफर जोन में भी आसानी से होने लगी है. सरिस्का वन क्षेत्र के अलवर रेंज में बाला किला क्षेत्र के प्रतापबन्ध नाका पर मौजूद नाका प्रभारी धर्मवीर शर्मा ने बताया पिछले दो दिनों से बाघिन एसटी 19 के शावक पर्यटकों को नजर आ रहे हैं.
रविवार और सोमवार को बाला किला जाने वाले सड़क मार्ग पर शावक नजर आया, जो पहले तो झाड़ियों के पीछे था फिर आराम से टहलता हुआ सड़क क्रॉस करता हुआ बाउंड्री को फांदकर रावण देवरा गांव की तरफ चला गया. इस दौरान वहां से गुजर रहे किसी पर्यटक ने उसका वीडियो मोबाइल में कैद कर लिया. यह पर्यटकों के लिए खुशखबरी है. शावक यहां अपनी टेरेटरी बना रहे है इससे पर्यटन की दृष्टि से लाभ होगा.
बताया जा रहा है सरिस्का के अलवर बफर रेंज में एक बाघ ,एक बाघिन और दो शावक है. ये शावक पिछले काफी समय से इसी क्षेत्र में घूम रहे हैं. यहां सबसे पहले शावक को देखने वाले हिमांशु ने बताया यह पर्यटन की दृष्टि से अच्छा है ग्रामीणों को कोई खतरा नहीं है पर हमें भी वन्य जीवों का ध्यान रखना चाहिए .
सरिस्का बाघ परियोजना में मौजूदा समय मे 25 बाघ बाघिन है जिसमे 8 बाघ , 13 बाघिन और 4 शावक है , सरिस्का में बाघों की साइटिंग से साथ साथ अब बफर एरिया अलवर रेंज में भी बाघों की बढ़ती साइटिंग पर्यटकों को अपनी और आकर्षित कर रही है.
सरिस्का बफर जॉन के क्षेत्रीय निदेशक आर एन मीणा ने बताया अलवर रेंज बफर जोन में बाघ बाघिन ने टेरेटरी बनाई है . इसी क्षेत्र में दो शावकों को भी जन्म दिया है ,उन्होंने बताया बाघों के रहने से जंगल सुरक्षित और संरक्षित रहेगा. लोगों को प्रकृति से मिलने वाले फायदे होंगे. पर्यटक कम पैसों में नजदीकी एरिया में जंगल और जानवरों को देख सकेंगे.बफर जोन में अलवर रेंज में बाला किला में नाका प्रतापबन्द पर स्थित गेट पर चौकी बनाई गई है. जहां से पर्यटक जिप्सी से सफारी का आनन्द लेने जंगल जाते है.
सफारी में जयपोल ,बाला किला ,जय विलास ,सूरजकुंड से वापिस बालाकिला होते हुए 20 किलोमीटर की इस सफारी में करीब डेढ़ घण्टा लगता है , एक जिप्सी में 6 सवारियों का किराया 1942 रु है. यह रुट पर्यटकों के लिए सुबह 6 बजे से लेकर साढे तीन बजे तक खुला रहता है. यहां मौजूद जिप्सी चालक व गाइड भी रोमांचित थे क्योंकि पर्यटन बढ़ने से उनका व्यापार भी बढ़ता है ,क्षेत्र में बाघों के आने से पर्यटक भी बढ़ेंगे.
ये भी पढ़ें- alwar: सरिस्का में बाघिन ST-14 के साथ दिखे 2 नन्हे शावक, वन विभाग ने मॉनीटरिंग बढ़ाई
जिप्सी चालकों के साथ शहर के नजदीक जंगल सफारी के लिए नाका प्रतापबन्ध से ही दूसरा रुट अंधेरी की तरफ से होते हुए बारा लिवारी ,नीमली ,जोहड़ी ,लीलुन्डा तिराहा , कबतर खाना ,जम्मुसाना , माच का तिराहा होते हुए वापिस प्रतापबन्ध के इस 45 किलोमीटर के इस लिए जिप्सी में 6 सवारियों की सफारी का किराया 6 हजार 732 रु है. इस रूट पर दो पारियों में सफारी की जा सकती है ,पहली पारी सुबह 6:30 बजे से 10:30 बजे तक तथा दूसरी पारी दोपहर 2:30 से शाम 6 बजे तक है.