सत्संग का नशा भी बड़ा अद्भुत है. यह नशा या तो किसी पर चढ़ता नहीं है और यदि एक बार चढ़ जाए तो फिर उतरता नहीं है. संत ने कहा कि समुद्र किनारे बैठोगे तो ठंडी हवा जरूर लगेगी.
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Beawar: शहर के अजमेरी गेट स्थित रामस्नेही संप्रदाय के रामद्वारा में संत गोपालराम महाराज ने सर्व पितृ अमावस्या के अवसर पर राजा गोपीचंद-मां मेनावती की कथा सुनाते हुए कहा कि सत्संग में बीता एक-एक पल प्रार्थना जैसा है.
सत्संग का नशा भी बड़ा अद्भुत है. यह नशा या तो किसी पर चढ़ता नहीं है और यदि एक बार चढ़ जाए तो फिर उतरता नहीं है. संत ने कहा कि समुद्र किनारे बैठोगे तो ठंडी हवा जरूर लगेगी. सत्संग में जाकर बस इतना ही याद रखना है कि हमें दुनिया में सिर्फ दिल खोलकर ही नहीं जीना है, बल्कि आंख खोलकर भी जीना है. दुनिया में सबसे बड़ा मंच प्रेम का है, परंतु आज इस प्रेम के अभाव में संसार में आग की लपटें फैलती जा रही हैं. कल तक परिवार जितना भी बड़ा हो, मगर एकत्रित रहता था. आज एक जगह तो रहते हैं, मगर एकत्रित नहीं रहते. हमारा पता तो एक होता है, मगर हमें एक-दूसरे के बारे में कुछ पता नहीं होता.
संत ने कहा कि हमारा परिवार का स्थान मेरे परिवार ने ले लिया है. अब लोगों की जिन्दगी एक कमरे में सिमट कर रह गई है. इस दौरान भक्तों ने गुरुवाणी का पूजन करके संतों को माला पहनाकर स्वागत किया. आरती के पश्चात प्रसाद वितरित किया गया. कथा के दौरान बड़ी संख्या में पुरूष तथा महिला श्रद्धालु उपस्थित थे.
Reporter-Dilip Chouhan
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