President Election: आखिर हर पांच साल में ही क्यों होता है राष्ट्रपति चुनाव? आम चुनाव से बिल्कुल अलग है प्रक्रिया
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President Election: आखिर हर पांच साल में ही क्यों होता है राष्ट्रपति चुनाव? आम चुनाव से बिल्कुल अलग है प्रक्रिया

President Election 2022: देश के नए राष्ट्रपति 25 जुलाई को शपथ लेंगे. राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया संविधान के तहत पूरी करवाई जाती है. इस बार 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान किया गया है.

वोटिंग

President Election in India: देश में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. सांसद और विधायक देश के 15वें राष्ट्रपति को चुनने के लिए मतदान कर चुके हैं. वहीं 21 जुलाई को इस मतदान की मतगणना की जाएगी. हर पांच साल में देश के राष्ट्रपति का चुनाव किया जाता है. राष्ट्रपति के चुनाव की खास बात यह है कि इस चुनाव में आम जनता भाग नहीं लेती है, बल्कि जनता के जरिए चुने गए प्रतिनिधि इस चुनाव में हिस्सा लेते हैं और राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान करते हैं. जनता के जरिए चुने गए प्रतिनिधियों में सांसद और विधायक शामिल रहते हैं.

संवैधानिक प्रक्रिया

हालांकि लोगों के मन में ये सवाल जरूर रहता है कि आखिर हर पांच साल में राष्ट्रपति का चुनाव किया जाना क्यों जरूरी है? साथ ही इस चुनाव में सांसद और विधायक अगर वोट न डालें तो उसका कितना असर पड़ता है? इन सवालों का जवाब देते हुए राजकीय विधि महाविद्यालय, चूरू के प्राचार्य डॉ. एसके सैनी ने बताया कि भारत के राष्ट्रपति का चुनाव एक संवैधानिक प्रक्रिया है.

राष्ट्रपति से जुड़े अनुच्छेद

एसके सैनी के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 52 से लेकर 78 तक राष्ट्रपति से संबंधित है. इन्हीं अनुच्छेद में राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रियाओं के बारे में भी बताया गया है. इन्हीं में राष्ट्रपति के कार्यकाल के बारे में भी बताया गया है. संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति पद ग्रहण करने की तारीख से अगले पांच वर्ष तक पद धारण करने का अधिकारी होगा.

संविधान का पालन

एसके सैनी ने बताया कि संविधान के तहत वर्तमान राष्ट्रपति भी दोबारा राष्ट्रपति का चुनाव लड़ सकता है लेकिन हर पांच साल में संविधान की प्रक्रियाओं का पालन करते हुए राष्ट्रपति का चुनाव करवाना जरूरी होता है. इसके लिए निर्वाचन आयोग राष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति के 6 महीने पहले ही राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर देता है.

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(फोटो- डॉ. एसके सैनी)

वैल्यू हो जाती है कम

वहीं अगर कोई विधायक या सांसद राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट नहीं डालता है तो इसके असर के बारे में बताते हुए एसके सैनी ने बताया है कि संविधान की प्रक्रिया के तहत राष्ट्रपति चुनाव में सांसद और विधायक वोट डालते हैं. अगर किसी राज्य का विधायक या सांसद वोट नहीं डालता है तो उससे वोटों की वैल्यू कम हो जाएगी, हालांकि इससे राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ेगा.

इस दिन नए राष्ट्रपति लेंगे शपथ

वहीं निर्वाचन आयोग ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए सोमवार 18 जुलाई सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे के बीच संसद भवन और राज्य विधानसभाओं के 30 केंद्रों सहित 31 स्थानों पर मतदान हुआ. अब मतगणना 21 जुलाई को होनी है और 25 जुलाई को अगले राष्ट्रपति शपथ लेंगे. इस बार द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति उम्मीदवार हैं.

इतना हुआ मतदान

देश में 776 सांसदों और 4033 विधायकों सहित कुल 4,809 मतदाता चुनाव में मतदान करने के हकदार थे, लेकिन मनोनीत सांसदों और विधायकों के अलावा विधान परिषद के सदस्यों को यह अधिकार नहीं है. मतदान समाप्त होने के बाद निर्वाचन आयोग ने बताया कि राष्ट्रपति चुनाव में कुल निर्वाचकों में से 99 प्रतिशत से अधिक ने मतदान किया. 

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