Mahabharat Krishna Arjun Astra Shastra: महाभारत का युद्ध मानव जाति के इतिहास में सबसे बड़ा युद्ध माना जाता है. इस लड़ाई में शूरवीरों ने कई प्रकार के अस्त्र-शस्त्र का उपयोग किया था. कहते हैं प्राचीन काल के ये विध्वंसकारी हथियार एक ही वार में पृथ्वी पर प्रलय लाने की क्षमता रखते थे. आइए जानते हैं महाभारत युद्ध के दौरान किन भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त और सखा अर्जुन के पास कौन-कौन से अस्त्र थे.
महाभारत के युद्ध में अगर अर्जुन ना होते तो शायद इतिहास की ये सबसे भयानक लड़ाई जीतना पांडवों के लिए आसान नहीं होता. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि माना जाता है कि अर्जुन के पास जो दिव्यास्त्र थे वो पूरे युद्ध में मौजूद रहे कुछ चुनिंदा योद्धाओं के पास ही थे.
पुराणों के अनुसार जिन हथियारों को मंत्रों के जरिए दूर से दुश्मन पर हमला किया जाता है वह अस्त्र कहलाते हैं. ये अग्नि, गैस, विद्युत तथा यांत्रिक उपायों से संचालित होते थे. गरूड़ास्त्र, आग्नेयास्त्र, ब्रह्मास्त्र, पाशुपतास्त्र, महादेव का त्रिशूल, भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र आदि अस्त्र की श्रेणी में आते हैं. वहीं जो हथियार हाथों से चलाए जाते हैं, यानी कि जिसे हाथ में पकड़कर शत्रु पर प्रहार किया जाता है वह शस्त्र कहलाते हैं. तलवार, गदा, परशु, भाला, आदि शस्त्र के अंतर्गत आते हैं.
अगर आपने महाभारत की पौराणिक कहानियों को ध्यान से पढ़ा होगा तो आप इस युद्ध के बारे में बहुत सी बातें जानते होंगे. वैसे अभी तक तो लोगों को सिर्फ अर्जुन के ब्रह्मास्त्र के बारे में ही पता है, लेकिन ब्रह्मास्त्र से इतर अर्जुन के पास कई और खतरनाक हथियार थे, जिनके बारे में आपको बताते हैं.
भगवान शिव का दिया हुआ अस्त्र पशुपतास्त्र भी अर्जुन के पास था. ये ऐसा अमोघ अस्त्र था जिसके बारे में कहा जाता है कि वो मंत्र उच्चारण के साथ प्रकट होते ही आंख, दिल और शब्दों को नियंत्रित कर सकता था.
अर्जुन के पास दूसरा सबसे घातक हथियार ब्रह्मास्त्र (Brahmastra) था. जिसे एटम बम के समान घातक माना जाता है. ये ब्रह्मा जी का शक्तिशाली अस्त्र था. कहते हैं कि महाभारत में अर्जुन, कर्ण , श्रीकृष्ण, युधिष्ठिर, अश्वत्थामा और द्रोणाचार्य ब्रह्मास्त्र चलाने का ज्ञान रखते थे. महाभारत युद्ध में जब अश्वथामा ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया गया तब गर्भ में पल रहे शिशुओं तक की मौत हो गई थी. अश्वथामा इसे चलाना जानता था लेकिन उसे इसे वापस लेने की जानकारी नहीं थी. शास्त्रों में बताया गया है इस अस्त्र के विनाश को तभी रोका जा सकता है जब जवाब में दूसरा ब्रह्मास्त्र छोड़ा जाए.
अर्जुन के पास देवराज इन्द्र का ‘वज्र अस्त्र’ भी था. देवताओं के राजा इंद्र ने अर्जुन की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें महेंद्र अस्त्र और शक्ति अस्त्र भी दिया था. इन्द्र समेत अन्य देवताओं के पास मौजूद अस्त्र भी उनके आशीर्वाद से अर्जुन के पास आह्वान मात्र करने से आ जाते थे. महाभारत युद्ध में शामिल सभी योद्धाओं में से यमदंड नाम के अस्त्र का ज्ञान सिर्फ अर्जुन के पास था. कहा जाता है कि मृत्यु के देवता यमराज ने अर्जुन को खुद ये अस्त्र दिया था. इस अस्त्र का प्रयोग तभी किया जाता है जब योद्धा के पास और कोई चारा न बचे.
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