DMD Awareness Campaign: दिल्ली के जंतर-मंतर पर 'हम बच्चों की एक ही मांग, जीवनदान, जीवनदान' जैसे नारे लगाते व्हील चेयर पर बैठे कुछ बच्चे और 'सेव अवर सन्स' के बैज पहने हुए उनके माता-पिता ने 24 मार्च को एक रैली निकाली. यह रैली ‘ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी' (Duchenne Muscular Dystrophy - DMD) नाम की घातक बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से निकाली गई है.
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Duchenne Muscular Dystrophy Awareness Campaign: दिल्ली के जंतर-मंतर को आमतौर पर धरना प्रदर्शन, रैली और आंदोलनों के लिए जाना जाता है. इस जंतर-मंतर पर कई मां-बाप ने अपने बच्चों के लिए जागरूकता रैली निकाली. आपको बता दें कि 24 मार्च के दिन यहां ‘ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी' (Duchenne Muscular Dystrophy - DMD) नामक घातक बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एक रैली का आयोजन किया गया जिसमें 'हम बच्चों की एक ही मांग, जीवनदान, जीवनदान' जैसे नारे लगाते व्हील चेयर पर बैठे कुछ बच्चे और 'सेव अवर सन्स' के बैज पहने हुए उनके माता-पिता शामिल थे.
21 राज्यों से तकरीबन 500 पेरेंट्स हुए शामिल
इस रैली में देशभर के 21 राज्यों से तकरीबन 500 पेरेंट्स मौजूद रहें. इस कार्यक्रम में डीएमडी (DMD) से पीड़ित बच्चों के माता-पिता ने इन बच्चों की परवरिश से जुड़े अपने संघर्षों को सामने रखा. इसके साथ ही सरकार के सामने अपनी कुछ मांगे भी रखीं.
ये हैं प्रमुख मांगें
1. सरकार डीएमडी से पीड़ित बच्चों का एक डेटाबेस तैयार करे.
2. डीएमडी से पीड़ित बच्चों को मुफ्त दवाएं और फिजियोथेरेपी उपलब्ध कराई जाए.
3. डीएमडी को लेकर जो संस्थान रिसर्च कर रहे हैं, उन्हें हर सुविधा और फंड उपलब्ध कराया जाए.
4. सरकार एक ऐसे एम्पावर्ड पैनल का गठन करे जिसमें सरकार के प्रतिनिधि, कुछ मेडिकल एक्सपर्ट और इस बीमारी से पीड़ित कुछ बच्चों के माता-पिता शामिल हों. ऐसा करने से इस बीमारी से पीड़ित बच्चों के इलाज को लेकर चल रहे प्रयासों में तेजी आएगी.
5. सरकार ने दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति (NPRD-2021) के तहत सैकड़ों दुर्लभ बीमारियों की पहचान की है. इन दुर्लभ बीमारियों की इस लिस्ट में से 'जानलेवा दुर्लभ बीमारियों' (life threatening rare diseases) की एक अलग श्रेणी बनाई जाए.
समूह से जुड़े प्रवीण सिंगला सरकार से मांगी मदद
डीएमडी अभिभावकों के समूह से जुड़े प्रवीण सिंगला ने कहा कि डीएमडी का कोई इलाज नहीं है और इसके शिकार बच्चों के अभिभावक यही चाहते हैं कि इस बीमारी की दवा बनाने के लिए देश में ही शोध हो. इसके साथ ही जब तक इसका इलाज नहीं आता है, तब तक बच्चों की देखभाल करने में सरकारी सहयोग मिले.
कवि अरुण जैमिनी और चिराग जैन ने भी की शिरकत
इस मौके पर हरियाणा के कवि अरुण जैमिनी और चिराग जैन ने भी शिरकत की. अरुण जैमिनी ने कहा कि मुझे इन मासूम बच्चों की आंखों में हजारों सपने दिख रहे हैं. इनमें से कोई नरेंद्र मोदी बन सकता है तो कोई अब्दुल कलाम. सरकार को इनकी बीमारी की गंभीरता समझकर इनके इलाज का प्रबंध करना चाहिए. इस मौके पर रत्नेश वर्मा, रामगोपाल शर्मा, संतोष सिंह, घनश्याम आदि लोग मौजूद रहे.
क्या है ‘ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी'?
ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक जीन में गड़बड़ी की वजह से होने वाली दुर्लभ जेनेटिक बीमारी है. इसकी शुरुआत पांव के मांसपेशियों के कमजोर होने से होती है जिससे बच्चे को चलने में दिक्कत होने लगती है लेकिन जल्द ही यह रोग हृदय और फेफड़ों सहित शरीर के हर मांसपेशी को अपनी चपेट में ले लेता है. भारत में पैदा होने वाले प्रत्येक 3500 पुरुषों में से एक लड़का डीएमडी के साथ पैदा होता है. लड़कियों में ये बीमारी बहुत कम होती है.
ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के शोध पर एक्सपर्ट का बयान
दिल्ली एम्स की हेड ऑफ पीडिएट्रिक न्यूरोलॉजी डॉ. शेफाली गुलाटी ने बताया कि दुनिया के कई हिस्सों में इस बीमारी का इलाज तलाशने के मकसद से क्लिनिकल ट्रायल चल रहे हैं. कई जगह एग्जॉन स्किपिंग, जीन थेरेपी और स्किन सेल थेरेपी का भी सहारा लिया जा रहा है. हालांकि अभी तक इसका इलाज नहीं तलाशा जा सका है.
इलाज में है ये चुनौती
अभी तक दुनिया में कहीं भी इस बीमारी का कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है. फिलहाल डॉक्टर इलाज के नाम पर सिर्फ स्टेरॉयड की भारी डोज देते हैं. इससे बच्चे कुछ और सालों तक अपने पैरों पर चल तो पाते हैं लेकिन इसकी कीमत उन्हें स्टेरॉयड्स के गंभीर साइड इफेक्ट झेल कर चुकानी पड़ती है.
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