मुगल हरम में हिन्दू महिलाओं के साथ क्या होता था, बितानी पड़ती थी कैसी जिंदगी?
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मुगल हरम में हिन्दू महिलाओं के साथ क्या होता था, बितानी पड़ती थी कैसी जिंदगी?

Mughal Harem Hindu Women: मुगल साम्राज्य के दौरान हिन्दुस्तान पर शासन करने वाले शासकों ने ऐश की जिंदगी जीना पसंद की थी. मुगल शासकों के ऐशो-आराम में कोई कमी न हो, इसका विशेष ध्यान दिया जाता था.

मुगल हरम में हिन्दू महिलाओं के साथ क्या होता था, बितानी पड़ती थी कैसी जिंदगी?

Mughal Harem Hindu Women: मुगल साम्राज्य के दौरान हिन्दुस्तान पर शासन करने वाले शासकों ने ऐश की जिंदगी जीना पसंद की थी. मुगल शासकों के ऐशो-आराम में कोई कमी न हो, इसका विशेष ध्यान दिया जाता था. हिन्दुस्तान पर कई सौ साल तक शासन करने वाले मुगल शासकों ने देश के तौर-तरीकों को भी बदलने का प्रयास किया. इसमें मुगल हरम का चलन भी शामिल है.

अकबर शासनकाल के मुगल हरम के बारे में इतिहासकारों ने खूब लिखा है. कई किताबों में कहा गया है कि अकबर के शासनकाल में मुगल हरम में 5 हजार से भी ज्यादा मिहलाएं होती थीं. यहां ये जानना भी जरूरी है कि मुगल शासक बाबर ने मुगल हरम की शुरुआत की थी. पिता के पदचिन्हों का अनुसरण करते हुए अकबर ने मुगल हरम पर खास ध्यान देना शुरू किया.

हैरानी की बात यह है कि मुगल हरम में हिन्दू महिलाएं भी होती थीं. बताते चलें कि मुगल हरम में सभी महिलाओं को शाही व्यवस्था प्रदान की जाती थी. मुगल शासकों की बेगम भी हरम में ही रहती थीं. हरम में मुगल शासक के अलावा किसी और के जाने की हिम्मत नहीं होती थी. हरम की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी किन्नरों को सौंपी गई थी. यहां पुरुष सुरक्षाकर्मी नहीं होते थे.

मुगल हरम अरबी भाषा से लिया गया शब्द है. हरम का अर्थ है, वो जगह जहां सिर्फ राजा ही जा सकता है, दूसरा कोई नहीं. हरम में हिन्दू महिलाओं का भी उतना ही ध्यान दिया जाता था, जितना अन्य धर्म की महिलाओं का. कई मुगलों बादशाहों ने राजपूत व अन्य हिन्दू महिलाओं से शादी की थी. इन हिन्दू बेगमों को हरम में रखा गया था. हरखा बाई, हीर कुंवर, जगत गोसाई जैसी कई हिन्दू महिलाएं मुगल बादशाह की बेगम थीं.

हरखा बाई के लिए यह कहा जाता है कि वे अकबर की खास बेगमों में से एक थीं. हरम में हरखा बाई के लिए अन्य महिलाओं से अलग विशेष व्यवस्था की गई थी. वहां रहने वाली हर महिलाएं हरखा बाई को सम्मान देती थीं और उनकी इज्जत करती थीं. हरखा बाई को 'मरियम-उज़-ज़मानी' का दर्जा मिला हुआ था. हरम में हिन्दू महिलाएं भी वैसे ही रहती थीं, जैस अन्य धर्म की महिलाएं.

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