Mughal Harem की सबसे अहम महिला! ये खूबी होने पर ही बादशाह बनाता था पादशाह बेगम
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Mughal Harem की सबसे अहम महिला! ये खूबी होने पर ही बादशाह बनाता था पादशाह बेगम

Mughal Harem Stories: मुगल हरम (Mughal Harem) में एक खास पदवी पादशाह बेगम (Padshah Begum) की होती थी. आइए जानते हैं कि मुगल बादशाह किसे और क्यों पादशाह बेगम बनाता था?

Mughal Harem की सबसे अहम महिला! ये खूबी होने पर ही बादशाह बनाता था पादशाह बेगम

Mughal Harem Dark Secrets: मुगलों (Mughals) ने 300 से ज्यादा साल तक भारत में राज किया. उनसे जुड़े तमाम किस्से आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बने रहते हैं. लेकिन सबसे ज्यादा बात मुगल हरम (Mughal Harem) की होती है. हर कोई मुगल हरम से जुड़ी जानकारी जानने में दिलचस्पी लेता है. मुगल हरम में एक खास पद होता था, जिसे पादशाह बेगम (Padshah Begum) कहा जाता है. पादशाह बेगम की पदवी किसी ना किसी महिला को ही मिलती थी और ये पदवी खुद मुगल बादशाह देता था. मुगलिया हरम में पादशाह की पदवी पर कई बेगम रहीं और एक ऐसी मुगल शहजादी भी थी, जिसे मुगल हरम पादशाह बेगम बनाया गया था. आइए जानते हैं मुगलिया सल्तनत में ऐसी कौन सी ताकतवर महिलाएं थीं, जिन्हें पादशाह बेगम के पद पर रहने का मौका मिला.

कौन होती थीं पादशाह बेगम?

बता दें कि मुगल बादशाह के समय में महाम अंगा और रुकैया बेगम जैसी कई ताकतवर महिलाएं थीं. पादशाह बेगम बनने की बात करें तो मुगल बादशाह जहांगीर ने अपनी बेगम नूरजहां को पादशाह बेगम की पदवी दी थी. यह एक तरह से शाही पदवी थी. पादशाह बेगम को सल्तनत की प्रथम महिला भी माना जाता था.

पादशाह बेगम किसे चुना जाता था?

जहांगीर के बाद बादशाह शाहजहां ने पादशाह बेगम का पद अपनी चहेती बीवी मुमताज को दिया था. लेकिन जब मुमताज की मृत्यु हो गई तो शाहजहां ने ये पद मुगल राजकुमारी और अपनी बेटी जहांआरा बेगम को दे दिया था. दिलचस्प है कि जो भी महिला पादशाह बेगम के पद पर रहती थी वह शासन में बादशाह का हाथ बंटाने के अलावा हरम की अदालत का काम भी करती थी. जिसमें ये सब करने की खूबी होती थी उसे ही पादशाह बेगम की पदवी के लिए चुना जाता था.

किस पादशाह बेगम को मिला सबसे ज्यादा वजीफा?

गौरतलब है कि जो महिला पादशाह बेगम बनती थी उसे वजीफा भी दिया था. ये एक तरह की आर्थिक सहायता होती थी. जानकारी के मुताबिक, पादशाह बेगम बनने पर सबसे ज्यादा वजीफा जहांआरा बेगम को ही मिला था. जहांआरा का वार्षिक वजीफा करीब 6 लाख रुपये तय हुआ था.

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