'मेरठ से आइसक्रीम खाने कनॉट प्लेस आते हैं..', गडकरी ने सुनाया एक्सप्रेसवे के फीडबैक का मजेदार किस्सा
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'मेरठ से आइसक्रीम खाने कनॉट प्लेस आते हैं..', गडकरी ने सुनाया एक्सप्रेसवे के फीडबैक का मजेदार किस्सा

Zee Real Heroes Awards: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की तारीफ समर्थक ही नहीं बल्कि विरोधी भी करते हैं. नाम से ज्यादा उनका काम बोलता है. गडकरी ने Zee Real Hero शो में अपने काम और खुद के बारे में कई खुलासे किए.

'मेरठ से आइसक्रीम खाने कनॉट प्लेस आते हैं..', गडकरी ने सुनाया एक्सप्रेसवे के फीडबैक का मजेदार किस्सा

Zee Real Heroes Awards: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की तारीफ समर्थक ही नहीं बल्कि विरोधी भी करते हैं. नाम से ज्यादा उनका काम बोलता है. गडकरी ने Zee Real Hero शो में अपने काम और खुद के बारे में कई खुलासे किए. उनसे जब हाईवे की बात हुई तो उन्होंने एक मजेदार किस्सा सुनाया. इसके साथ ही उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई से लेकर राजनीति पर भी बहुत सारी बातें कीं. आइये आपको बताते हैं नितिन गडकरी से हुई खास बातचीत के बारे में.

मेरठ से आइसक्रीम खाने कनॉट प्लेस आते हैं..

हमारे एंकर ने गडकरी से मेरठ एक्सप्रेसवे का जिक्र करते हुए कहा कि मेरे सास-ससुर मेरठ में रहते हैं. पहले वे छह महीने में एक बार आते थे. जब से आपने एक घंटे वाला हाईवे (मेरठ एक्सप्रेसवे) बनवाया है, वे हर वीकेंड पर आ जाते हैं. इसपर नितिन गडकरी ने भी मेरठ एक्सप्रेसवे पर मिले फीडबैक का मजेदार किस्सा सुनाया. उन्होंने कहा कि मुझे एक फैमिली मिली, उन लोगों ने मुझसे कहा कि वे अब आइसक्रीम खाने के लिए मेरठ से कनॉट प्लेस आते हैं. दूसरा किस्सा सुनाते हुए गडकरी ने कहा कि मुझे एक लड़का मिला वह जर्मनी छोड़कर भारत आया और दिल्ली में नौकरी करने लगा. वह गुड़गांव में मकान लेकर रह रहा था. उसने मुझसे बताया कि मेरठ एक्सप्रेसवे बनने के बाद वह गुड़गांव का मकान बेचकर मेरठ में बंगला बनाकर रह रहा है. और मेरठ से रोज दिल्ली आकर नौकरी करता है. गडकरी ने कहा कि ऐसे फीडबैक मिलते हैं तो और अच्छा काम करने की ताकत मिलती है.

मैं पढ़ाकू नहीं था..

इसके बाद जब उनसे स्कूलडेज़ की बात हुई तो उन्होंने कहा कि मैं पढ़ाकू नहीं था. मैं 1975 में 11th क्लास में था तब इमरजेंसी लग गई. उस समय मैं इमरजेंसी के खिलाफ जयप्रकाश जी के आंदोलन से जुड़ गया. मैंने पढ़ाई पर ध्यान दिया और इमरजेंसी के खिलाफ काम में जुटा रहा और रात दिन काम करता रहा. मुझे तब परीक्षा में लगभग 52 प्रतिशत मार्क्स मिले और साइंस ग्रुप में 49.26 मार्क्स मिले. मेरे घरवालों की इच्छा थी कि मैं इंजीनियरिंग करूं लेकिन 50 प्रतिशत मार्क्स मिलने पर इंजीनियरिंग में दाखिला मिलता था जिस वजह से मैं डिसक्वालिफाई हो गया. उन्होंने कहा कि अभी मेरे पास 7 डॉक्टरेट्स हैं लेकिन मैं पुराने दिनों को याद कर अपने नाम के आगे डॉक्टर नहीं लगाता.

नितिन गडकरी की फेवरेट फिल्म 'सड़क' और 'हाईवे'?

Zee Real Hero शो के स्विच का सामना सेगमेंट में नितिन गडकरी ने खुद से जुड़े तीन सवालों का जवाब भी दिया गया. उनसे पूछा गया कि आपकी फेवरेट फिल्म महेश भट्ट की सड़क और आलिया भट्ट की हाईवे है? मजेदार अंदाज में जवाब देते हुए गडकरी ने कहा कि मुझे फिल्में देखने का शौक था.. बचपन में मैं थर्ड क्लास का टिकट लेकर फिल्में देखता था. शशि कपूर की आदमी और इंसान का टिकट खरीदने के लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा था. लेकिन अब जेड प्लस सिक्योरिटी में रहते हैं तो वे फिल्में देखने नहीं जाते क्योंकि इससे लोगों को दिक्कत होती है. उन्होंने कहा कि अब वे घर में ही फिल्में देखते हैं. उन्होंने फेवरेट फिल्मों के सवाल पर कहा कि सड़क-हाईवे नहीं.. आनंद, जंजीर और दीवार मेरी फेवरेट फिल्में हैं. गडकरी ने कहा कि उन्हें फाइटिंग वाली फिल्में ज्यादा पसंद थीं.

ठेकेदार सही से काम नहीं कर रहा तो उसे रोड रोलर के नीचे डाल दो?

नितिन गडकरी से जब पूछा गया कि उन्होंने एक बार कहा था कि ठेकेदार सही से काम नहीं कर रहा तो उसे रोड रोलर के नीचे डाल दो? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ठेकेदार सब ऐसे नहीं होते लेकिन कुछ का संबंध बेईमानी से होता है.  बेईमान ठेकेदार क्वालिटी से खिलवाड़ कर प्रॉफिट कमाने की कोशिश करते हैं.. ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए. यह मेरे स्वभाव के खिलाफ है. बेईमान ठेकेदार सबको लक्ष्मी दर्शन देकर गलत काम करते हैं. ऐसे ठेकेदारों को मैं ठोकता हूं. उन्होंने कहा कि मेरा नजरिया साफ है.. क्वालिटी के साथ कोई कंप्रोमाइज नहीं. अच्छा काम करने वाले की मैं पब्लिकली तारीफ भी करता हूं.

देश के इंफ्रास्ट्रक्चर का फ्यूचर क्या है?

इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी बहुत काम होना बाकी है. प्रधानमंत्री मोदी जी की इच्छा है कि भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की इकनॉमी बने.. आत्मनिर्भ भारत बनें. इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हमें एक्सपोर्ट को बढ़ाना होगा और इंपोर्ट को घटाना होगा. जब मैं मंत्री बना तो भारतीय अर्थव्यवस्था 7वें नंबर पर थी. अब हम जापान को पछाड़ कर तीसरे नंबर पर आ गए हैं. पहले नंबर पर अमेरिका, दूसरे नंबर पर चीन और तीसरे नंबर पर अब भारत है. मैं उम्मीद करता हूं कि पांच साल में हम नंबर 1 होंगे, इतनी क्षमता हमारे अंदर है.

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