संसद में कैश फॉर वोट के बाद कैश फॉर क्वेरी का मामला गरमाया हुआ है. टीएमसी की फायर ब्रांड नेता महुआ मोइत्रा सवालों के घेरे में हैं. यहां हम बताएंगे कि संसद में किस तरह से सवालों को उठाया जाता है, किन सवालों को पूछने की इजाजत मिलती है और किन सवालों को नहीं पूछा जा सकता.
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महुआ मोइत्रा, टीएमसी की फायर ब्रांड नेता है, सड़क से लेकर संसद तक वो मोदी सरकार को घेरती हैं. लेकिन जब उनका नाम पैसे लेकर सवाल पूछने का आया तो हर कोई दंग था. दरअसल झारखंड के गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे इस तरह का आरोप पहले भी लगा चुके थे. इस मामले में सरगर्मी तब बढ़ी जब यह खबर आई कि मुंबई के रियल एस्टेट बिजनेस के बड़े नाम दर्शन हीरानंदानी सरकारी गवाह बन गए हैं. दरअसल उन्होंने कहा था कि महुआ मोइत्रा की संसदीय लॉगइन का यूज किया था.
सवाल पूछ घिर गईं महुआ मोइत्रा
कैश के बदले सवाल पूछने का मामला संसद की एथिक्स कमेटी के पास है और 26 अक्टूबर को सुनवाई होनी है. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि मोइत्रा के खिलाफ शिकायत की थी उन्होंने अडानी समूह और पीएम मोदी को निशाना बनाने के लिए दर्शन हीरानंदानी से पैसे लिए थे. यहां हम बताएंगे कि लोकसभा और राज्यसभा में जनप्रतिनिधि सवाल पूछते हैं तो उसका तरीका क्या है.
क्या हैं सवाल पूछने के नियम
लोकसभा की कार्यवाही जब शुरू होती है पहला घंटा और राज्यसभा में दोपहर 12 बजे के बाद सवाल पूछने के लिए समय नियत किया गया है. इस समय को प्रश्नकाल के नाम से जाना जाता है, इन सवालों के जरिए जनप्रतिनिधि अपने इलाकों के बारे में सरकार तक बात पहुंचाते है. या राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर भी सवाल पूछा जाता है, जिस मंत्रालय से सवाल जुड़ा होता है उस विभाग का मंत्री जवाब देता है, कभी कभी जब कोई सवाल गंभीर प्रकृति का होता है उसके लिए अनुसंधान की जरूरत भी पड़ जाती है.
सवालों की अलग अलग श्रेणी
सवालों की अलग अलग श्रेणियां निर्धारित की गई हैं. किसी सदस्य के सवाल को मौखिक जवाब की श्रेणी में रखा जाता है, ऐसी सूरत में संसद सदस्य अपने सवाल की बारी आने का इंतजार करते हैं और सवाल पूछते हैं, सवाल के जवाब में संबंधित मंत्री जवाब देता है. अगर संसद सदस्य जवाब से संतुष्ट नहीं है तो वो दो सप्लीमेंट्री या अनुपूरक सवाल पूछ सकता है. अगर उसी सवाल से किसी और सदस्य का सवाल है तो वो भी एक सप्लीमेंट्री सवाल कर सकता है. प्रश्न काल के अंत में अल्प सूचना वाले प्रश्नों को भी लिया जाता है और उसी तरह से उत्तर दिए जाते हैं.
सवाल करने के बारे में लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम 32 से 54 तक दर्ज हैं. सवाल पूछने के लिए सांसद पहले लोकसभा के महासचिव को एक नोटिस देता है जिसमें सवाल का जिक्र होता है. नोटिस में मंत्रालय और ऑफिसियल पदनाम के साथ साथ उस तारीख का जिक्र होता है जिस दिन जवाब मंत्री को देना होता है. संसद सदस्य एक दिन में एक से अधिक सवालों के संबंध में नोटिस भेज सकता है. हालांकि मौखिक और लिखित जवाब के लिए कुल पांच से अधिक नोटिफिकेशन की अनुमति नहीं है. इन सबके बीच किसी प्रश्न की सूचना अवधि 15 दिन से कम नहीं होती है.
इन सवालों को पूछने की इजाजत नहीं
क्या संसद सदस्य सभी तरह के सवाल पूछ सकते हैं तो इसका जवाब यह है कि नहीं. संसद सदस्य कोई ऐसा सवाल नहीं कर सकता जिसके किसी का चरित्र हनन होता है, आचरण से जुड़ा सवाल नहीं कर सकते. या ऐसे सवाल जो पहले किए जा चुके हों और उसे दोबारा पूछा जा रहा तो उन सवालों की भी अनुमति नहीं है. इसके अलावा अगर कोई मामला कोर्ट या किसी संसदीय समिति के विचारधीन हो तो उसे भी पूछने की इजाजत नहीं है, इसके साथ ही किसी मित्र देश के संबंध में मानहानि करने वाले सवालों को नहीं पूछा जा सकता.