Bihar Political Scenario: RCP सिंह मंत्री बनने के बाद दिल्ली चले गए तो पटना में ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के आंख और कान बन गए. ऐसे में जब यूपी चुनाव आया और उस समय RCP सिंह को BJP से गठबंधन करने की जिम्मेदारी दी गई तो RCP सिंह असफल हो गए.
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Bihar JDU-BJP Dispute: बिहार में भी महाराष्ट्र जैसा ही गेम होने वाला था. लेकिन फर्क ये रहा कि इस संभावित गेम को नीतीश कुमार ने पहले ही भांप लिया जिसको उद्धव ने समझने में देरी कर दी थी. बिहार की राजनीति में संभावित उलट-पलट का खेल जैसे ही नीतीश को समझ में आया उन्होंने RCP के लिए पूरी फील्डिंग लगा दी. अब आप इस पूरी खबर को विस्तार से समझिए.
कैसे तैयार की गई RCP सिंह के JDU से एक्जिट की स्क्रिप्ट
RCP सिंह कुछ दिनों पहले नालंदा पहुंचे थे, जहां 'हमारा मुख्यमंत्री RCP जैसा हो' के नारे लगे थे. इस प्रकरण के बाद से ही JDU ने उनको घेरना शुरू कर दिया था. इससे पहले कि वो पार्टी के लिए एकनाथ शिंदे साबित होते उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
RCP सिंह ने अपनी पार्टी JDU से इस्तीफा तो दे दिया लेकिन ये स्थिति क्यों और कैसे तैयार की गई अब ये जान लीजिए. पूरी स्क्रिप्ट कुछ महीने पहले से लिखी जाने लगी थी. जब तक वे CM नीतीश कुमार के साथ रहे उनके सबसे खास लोगों में से एक बनकर रहे. लेकिन जैसे ही नीतीश कुमार ने RCP को 'पावर ऑफ अटर्नी' दी, वो हाथ से निकल गए.
जिस केंद्र की सरकार में संख्या के आधार पर नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए. जनता दल यूनाइटेड का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद RCP ने अपने आप को केंद्र में पूरी तरह सेट कर लिया और यहीं से नीतीश और RCP दोनों के रास्ते अलग हो गए.
केंद्र में मंत्री बनते ही नीतीश से दूर हो गए RCP
RCP सिंह मंत्री बनने के बाद दिल्ली चले गए तो पटना में ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के आंख और कान बन गए. ऐसे में जब यूपी चुनाव आया और उस समय RCP सिंह को BJP से गठबंधन करने की जिम्मेदारी दी गई तो RCP सिंह असफल हो गए.
इसका असर नीतीश कुमार पर काफी पड़ा. इधर, जातीय जनगणना, जनसंख्या नियंत्रण पर JDU और नीतीश की राय से अलग RCP सिंह BJP की भाषा बोलने लगे थे. ऐसे में नीतीश कुमार को RCP सिंह खटकने लगे.
JDU ने RCP से एक-एक कर सबकुछ ले लिया
जब RCP सिंह का राज्यसभा में कार्यकाल समाप्त हो रहा था तो JDU ने उन्हें दोबारा टिकट नहीं दिया. उनकी जगह झारखंड के खीरु महतो को राज्यसभा का सांसद बना दिया गया. ऐसे में RCP बिना किसी सदन के सदस्य रहे डेढ़ महीने तक तो केंद्र में मंत्री रहे, लेकिन आखिरकार जुलाई में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद उनसे पटना का आवास ले लिया गया. वे अपने पुश्तैनी आवास नालंदा के मुस्तफापुर में जाकर रहने लगे और इसी दौरान वे कई राजनीतिक कार्यक्रमों में भी जाने लगे.
कहीं 'एकनाथ शिंदे' तो नहीं बनने वाले थे RCP सिंह ?
इधर गुप्त आधार पर नीतीश कुमार तक ये सूचना पहुंचने लगी कि RCP सिंह पार्टी को तोड़ने की कोशिश में जोर-शोर से जुटे हुए हैं. JDU के एक बड़े नेता ने नाम का खुलासा नहीं करने के अनुरोध के साथ ये बताया कि RCP सिंह बिहार में 'महाराष्ट्र वाला गेम' करने की फिराक में थे, लेकिन इस खेल का पूरा प्लॉट पहले ही लीक हो गया और 'ऑपरेशन RCP' शुरू हो गया. उसी का नतीजा है कि उनके खिलाफ JDU ने अकूत संपत्ति का नोटिस जारी किया. ये वही JDU है जिसके सर्वेसर्वा RCP सिंह हुआ करते थे और कहते हैं कि उनके आदेश के बगैर JDU में एक पत्ता भी नहीं हिलता था. लेकिन अब खुद JDU ने ही उनका पत्ता काट दिया है और उन्हें पूरी तरह से अलग-थलग कर दिया है.
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