पंचतत्व में विलीन हुए CM मोहन यादव के पिता, शिप्रा के तट पर हुआ अंतिम संस्कार, कई VIP रहे मौजूद
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पंचतत्व में विलीन हुए CM मोहन यादव के पिता, शिप्रा के तट पर हुआ अंतिम संस्कार, कई VIP रहे मौजूद

CM Mohan Yadav Father Last Rites: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के पिता पूनमचंद यावद का मंगलवार को निधन हो गया था. वे करीब 100 साल के थे और बीमारी की वजह से उज्जैन के हॉस्पिटल में भर्ती थी. आज उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. 

पंचतत्व में विलीन हुए CM मोहन यादव के पिता, शिप्रा के तट पर हुआ अंतिम संस्कार, कई VIP रहे मौजूद

CM Mohan Yadav Father Death: मुख्यमंत्री मोहन यादव के पिता पूनमचंद यावद पंचतत्व में विलीन हो गए. अंतिम संस्कार शिप्रा तट पर भूखी माता मंदिर के पास श्माशान घाट पर हुआ. इससे पहले अब्दालपुरा की गीता कॉलोनी निवास से दोपहर करीब 12 बजे अंतिम यात्रा शुरू हुई. इससे पहले उनके शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. इस दौरान मध्य प्रदेश सरकार की पूरी कैबिनेट ने अंतिम दर्शन किए. हाजरों की संख्या में उज्जैन के लोग भी आखिरी दर्शन के लिए पहुंचे. विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला, उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय समेत सरकार के कई मंत्री पूनम चंद यादव के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे. अंतिम संस्कार के वक्त श्मशान में कई बड़े नेता मौजूद रहे. 

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के पिता पूनमचंद यादव का 100 साल की उम्र में मंगलवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वे काफी समय से उज्जैन के अस्पताल में भर्ती थे. पिता के निधन की खबर मिलते ही सीएम मोहन यादव कल ही उज्जैन के लिए रवाना हो गए थे. सीएम डॉक्टर मोहन यादव के परिवार को ढांढस बांधने देश प्रदेश भर के लोग पहुंचे. अंतिम यात्रा के बाद पार्थिव शरीर को पंचतत्व में विलीन किया जाएगा. अंतिम यात्रा सुबह 11.30 बजे गीता कॉलोनी से शुरू होगी. 

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उपज बेचने खुद की मंडी जाते थे पूनमचंद
स्थानीय लोग बताते हैं कि पूनमचंद यादव का शुरुआती जीवन काफी संघर्ष भरा रहा. संघर्ष के दिनों में वे रतलाम से उज्जैन आ गए. उन्होंने सबसे पहले हीरा मिल में नौकरी की. इसके बाद शहर के मालीपुरा में भजिया और फ्रीगंज में दाल-बाफले की दुकान भी चलाई. उन्होंने अपने सभी बेटे-बेटियों को अच्छे से पढ़ाया. लोग बताते है कि पूनमचंद इतना ज्यादा उम्र होने के बाद वे मंडी में उपज बेचने के लिए खुद ही मंडी जाते थे.

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