तुलसी विवाह का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है इसे शालीग्राम विवाह भी कहा जाता है. इसे हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है, इस दिन, भगवान विष्णु के अवतार शालीग्राम और तुलसी का विवाह कराया जाता है.
तुलसी विवाह का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है इसे शालीग्राम विवाह भी कहा जाता है. इसे हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है, इस दिन, भगवान विष्णु के अवतार शालीग्राम और तुलसी का विवाह कराया जाता है.
इस साल तुलसी विवाह 24 नवंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा, उदयातिथि के आधार पर तुलसी विवाह का आयोजन भी 24 नवंबर को किया जाएगा. इसकी तिथि 23 नवंबर को रात 11 बजकर 03 मिनट से 24 नवंबर को रात 09 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी.
तुलसी विवाह के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहन लें, तुलसी और शालीग्राम के प्रतिमा के नीचे बैठकर भगवान विष्णु और तुलसी के मंत्रों का जाप करें. अंत में पूजा पाठ कर पुष्प मिठाई आदि भेट करें.
इस दिन भगवान विष्णु के अवतार शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. माना जाता है कि यह विवाह शुद्ध प्रेम, भक्ति, और समर्पण का प्रतीक है. इस दिन लोग सुबह से व्रत रहते हैं और शाम में माता तुलसी भगवान विष्णु के आरती के बाद पारण करते हैं.
तुलसी विवाह और शालीग्राम के विवाह का उल्लेख कई पुराणों में भी मिलता है, वहीं एक अन्य प्राचीन कथा के अनुसार, भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद का अत्याचारी राजा हिरण्यकश्यप सताता था, भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया और हिरण्यकश्यप का वध कर दिया. माना जाता है कि भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार में चार महीने तक शयन किया, और देव उठानी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का शयन समाप्त होता है और वे जागते हैं.
इस दिन को बडा ही शुभ माना जाता है, इस दिन मांगलिक कार्यों जैसे शादी-विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, आदि जैसे शुभ कार्यों की शुरुआत की जाती है. तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पौधे को घर में लाना शुभ माना जाता है, तुलसी का पौधा घर में सुख-शांति और समृद्धि लाता है.
ट्रेन्डिंग फोटोज़