कृष्ण जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल का श्रृंगार अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है. इसमें मोर मुकुट, बांसुरी, कुंडल, पाजेब और वैजयंती माला को शामिल किया जाता है.
इस साल 20 अगस्त 2024 से भाद्रपद महीने की शुरुआत हो चुकी है, जिसमें तीज, गणेश चतुर्थी, एकादशी और ऋषि पंचमी जैसे व्रत और त्योहार आते हैं. यह महीना कृष्ण भक्तों के लिए विशेष होता है क्योंकि इसी महीने में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था.
भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस वर्ष 26 अगस्त 2024 को जन्माष्टमी मनाई जाएगी. इस दिन भक्त श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा विधि-विधान से करते हैं.
जन्माष्टमी पर कृष्ण मंदिरों को भव्य रूप से सजाया जाता है. खासकर मथुरा, वृंदावन और इस्कॉन मंदिरों में विशेष सजावट देखने को मिलती है. लड्डू गोपाल के विशेष श्रृंगार पर इस दिन विशेष ध्यान दिया जाता है क्योंकि बिना श्रृंगार के पूजा अधूरी मानी जाती है.
कृष्ण जन्माष्टमी पर बाल गोपाल के लिए पीले, हरे और लाल रंग के कपड़े चुने जाते हैं. माना जाता है कि ये रंग कान्हा जी को विशेष रूप से प्रिय हैं. इसलिए भक्त इन्हीं रंगों के कपड़े बाल गोपाल को पहनाते हैं.
कृष्ण जी के कानों में कुंडल पहनाना उनके श्रृंगार का महत्वपूर्ण हिस्सा है. कुंडल को कानों में पहनाने से उनका रूप और भी सुन्दर हो जाता है. बिना कुंडल के उनका श्रृंगार अधूरा माना जाता है.
जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को पाजेब और कमरबंद पहनाने से उनकी सुंदरता में वृद्धि होती है. साथ ही उनके माथे पर रोली और चंदन का टीका लगाने से जीवन में शीतलता और शांति का अनुभव होता है.
लड्डू गोपाल के श्रृंगार में मोतियों की माला का विशेष महत्व है. इसे पहनाने से उनका रूप और भी मनमोहक लगता है. वैजयंती माला उनके श्रृंगार को और भी आकर्षक बनाती है.
श्रीकृष्ण के हाथ में बांसुरी का विशेष महत्व है. बांसुरी के बिना कान्हा जी को अधूरा माना जाता है, इसलिए जन्माष्टमी के दिन बांसुरी को कान्हा जी के पास रखना शुभ माना जाता है.
कृष्ण जी के श्रृंगार में मोर मुकुट भी एक अहम आभूषण है. मोर मुकुट उनके दिव्य रूप को पूरा करता है और उनकी शोभा को बढ़ा देता है. इसलिए जन्माष्टमी पर उन्हें मोर मुकुट अवश्य पहनाना चाहिए.
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