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मध्य प्रदेश के इस मंदिर में जंजीरों से बंधे हैं भगवान, प्रसाद में चढ़ती है मदिरा

मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में स्थित केवड़ा स्वामी मंदिर भगवान भैरव को समर्पित है. इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां भगवान भैरव की मूर्ति को जंजीरों से बांधकर रखा गया है.

जंजीरों में बंधे भगवान

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जंजीरों में बंधे भगवान

शायद ही आपने देखा हो कि किसी पूजा स्थल पर किसी देवी-देवता या आराध्य देव की मूर्ति को जंजीरों से बांधकर रखा गया हो. मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में जहां भैरव बाबा जंजीरों में कैद हैं. बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर आगर मालवा के इस प्राचीन भैरव बाबा मंदिर में हर साल की तरह इस साल भी भक्तों की भीड़ उमड़ी है.

 

केवड़ा स्वामी मंदिर

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केवड़ा स्वामी मंदिर

आगर मालवा का केवड़ा स्वामी मंदिर भैरव महाराज का मंदिर है जो पूरे देश में प्रसिद्ध है, इस मंदिर की खासियत और मान्यताओं के कारण जो भी भक्त इसके बारे में सुनता है. वह दर्शन के लिए दौड़ा चला आता है. इस मंदिर का इतिहास भी पुराना है. 

 

केवड़ा स्वामी मंदिर की मान्यता

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केवड़ा स्वामी मंदिर की मान्यता

इस मंदिर की मान्यता है कि वर्ष 1424 में केवड़ा स्वामी मंदिर के निर्माण से पहले झाला राजपूत परिवार के कुछ लोग गुजरात से अपने भैरव को लेकर जा रहे थे. जब वे रत्नसागर तालाब से गुजरे तो उनका चक्का थम गया और नतीजा यह हुआ कि भैरव महाराज यहीं बस गए. ऐसा माना जाता है कि झाला वंश के राजा राघव देव ने इस मूर्ति की स्थापना की थी, यह झाला राजपूत समाज की कुल देवी भी हैं.

 

जानिए मंदिर का इतिहास

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जानिए मंदिर का इतिहास

इस मंदिर में भैरव बाबा की प्रतिमा को जंजीरों से बांध कर रखा गया है. कहा जाता है कि भैरव बाबा अपने मंदिर को छोड़कर बच्चों के साथ खेलने चले जाया करते थे और जब उनका मन खेलने से भर जाता, तो वे बच्चो को उठा कर तालाब में फेंक देते थे.

इसलिए जंजीरो से बांधा गया

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इसलिए जंजीरो से बांधा गया

इसी कारण केवड़ा स्वामी के भैरव नाथ को जंजीरो से बांध दिया गया तथा उन्हें रोकने हेतु उनके आगे एक खम्बा लगा दिया है. ताकि भैरव भगवान उत्पात ना मचाएं लोगों को परेशान ना करें.

 

मंदिर का नामकरण

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मंदिर का नामकरण

यह मंदिर आगर मालवा के सबसे बड़े तालाब मोती सागर के समीप स्थित है. तालाब के पास मंदिर होने से यह और भी मनोहारी लगता है. मंदिर के समीप ही केवड़े के फूलों का बगीचा है. यहां केवड़े की खुशबू आती रहती है और इतनी अधिक मात्रा में केवड़े होने के कारण मंदिर का नाम भी केवड़ा स्वामी हुआ है. लोग यहां केवड़ा स्वामी के नाम से ही भैरव महाराज के मंदिर को जानते है. 

 

मदिरा का लगता है भोग

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मदिरा का लगता है भोग

प्रतिवर्ष भैरव पूर्णिमा व अष्‍टमी पर बडी संख्‍या में यहां दर्शनार्थी आते हैं, यह दर्शनार्थी मंदिर के परिसर में ही दाल बाटी बनाते हैं. भगवान को भोग लगाते हैं. इसके अलावा यहां आने वाले भक्‍त भैरव बाबा को मदिरा का भी भोग लगाते हैं. 

 

दूल्हा-दुल्हन की काफी भीड़

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दूल्हा-दुल्हन की काफी भीड़

भैरव महाराज के मंदिर में दूल्हा-दुल्हन की भी काफी भीड़ दिखाई देती है, जिन भी परिवार के कुल भैरव है. वह अपने नव विवाहित बच्चों को यहां आशीर्वाद दिलवाने के लिए लाते हैं.