श्राद्ध पक्ष की अमावस्या पर सिद्ध वट पर दान पुण्य तर्पण के लिए व 52 कुंड स्थित स्थान पर बुरी आत्माओं के साए से छुटकारे के लिए आम जन का जनसेलाब उमड़ा है.
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उज्जैन: धर्मिक नगरी में हर एक पर्व का अपना पौराणिक महत्व है. यहां पर कालसर्प, मंगलदोष व अन्य दोषों से मुक्ति के लिए पूजन अभिषेक तो किया जाता ही है लेकिन मृत आत्माओं के मोक्ष के लिए भी यहां पर दान, पुण्य, पूजन तर्पण का अपना महत्व है.
16 दिनों के श्राद्ध का एक साथ पुण्य लाभ
रविवार पितृमोक्ष अमावस्या पर विशेष सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग भी है. दरअसल, 16 दिवसीय श्राद्ध पक्ष आज पूरे हो रहे हैंं. कल से नवरात्र है. मान्यता है कि आज के दिन दान-पुण्य तर्पण करने से 16 दिनों के श्राद्ध का एक साथ पुण्य लाभ मिलता है. यानी जो बीते 15 दिन में किसी कारण से अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध नहीं कर पाए, वे आज शहर में स्थित तीर्थ सिद्ध वट पर पूजन कर पुण्य लाभ व पितरों को मोक्ष की प्राप्ति दिलवा सकते हैं. इसी के चलते आज के दिन बड़ी संख्या में आमजन का तांता लगा रहा जिसे आप तस्वीरों के माध्यम से भी देख सकते हैंं. यहीं नहीं शहर में गया कोटा, राम घाट, 52 कुंड पर भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं.
क्या है सिद्ध वट व 52 कुंड का महत्व
दरअसल, सिद्ध वट ले लिए कहा गया है कि भारत में चार वटवृक्ष महत्वपूर्ण माने गए हैं. प्रयाग का अक्षयवट, वृंदावन का वंशी वट, गया का बौद्धवट और उज्जैन का सिद्धवट. स्कंद पुराण के अनुसार शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिक स्वामी इस वट के नीचे सेनापति नियुक्त हुए और तारकासुर का वध किया. यहां तीन प्रकार की सिद्धि संतति, संपत्ति और सद्गति होती है. तीनों की प्राप्ति के लिए लोग सिद्धवट दूध चढ़ाने आते हैं. सद्गति अर्थात पितरों के लिए पिंडदान-तर्पण, संपत्ति अर्थात लक्ष्मी प्राप्ति के लिए रक्षासूत्र बांधने और संतति अर्थात पुत्र प्राप्ति के लिए उल्टा सांतिया (स्वास्तिक) बनाने आते हैं. इसी वजह से इसका नाम सिद्धवट पड़ा.
इस जगह होती है पूजा
इसी तरह 52 कुंड हैं जो कि शहर के एक कोने पर कालियादेह महल के यहां है. जहां मान्यता है कि सूर्य मंदिर में पूजन के बाद जिन्हें बुरी आत्माओं के साये ने जकड़ रखा है. वे स्नान कर दान पुण्य करें जिससे उन्हें आत्माओं से छुटकारा और आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है. हालांकि इसका महत्व भूतड़ी अमावस्या पर खास होता है लेकिन इसी मान्यता के चलते आज श्राद पक्ष के अंतिम दिन लोग पहुंचते हैंं.
जानिए शहर के अन्य दो और तीर्थो के बारे में
एक गया कोटा जहां मान्यता है कि श्री कृष्ण ने स्थान की स्थापना की गई. गया कोटा के मुख्य पुजारी ने महत्व को बताते हुए कहा कि गया कोटा तीर्थ का स्कन्द पुराण में उल्लेख मिलता है. कहते हैं कि भगवान श्री कृष्ण जब शिक्षा प्राप्त कर लौट रहे थे तो मां अरुंधति ने उनसे कहा कि प्रभु मेरे 7 बच्चे हैं. जिनमें से 6 को गया सुर राक्षस नाम का राक्षस खा गया. 7वां बच्चा उसके पास है, उसे ला दीजिये. श्री कृष्ण ने गया सुर का वध कर 7वें बच्चे को मां अरुंधति को लौटाया. इसी बीच गुरु सांदीपनि ने प्रभु कृष्ण से प्रार्थना की कि बच्चों के लिए मोक्ष का स्थान आप यहां बनाइये. जिसके बाद श्री कृष्ण ने बिहार में प्रवाहमान फल्गु नदी से आग्रह कर यहां कुंड में विराजमान होने को कहां सप्त ऋषियों ने संदीपनि के 6 बच्चो को मोक्ष दिलवाया. लेकिन सांदीपनि ने आने वाले समय के लिए मोक्ष स्थान बनाने का आग्रह किया जिसपर श्री कृष्ण ने 16 चरणों को स्थापित 16 तिथियों अनुसार स्थापित किया जहां फल मुक्त बीच दूध में मिलाकर अर्पित करने की मान्यता है. राम घाट की बात करें तो सप्तपुरियों में से एक नगरी है उज्जैन. यहां शिप्रा किनारे स्थित भगवान राम ने राम घाट पर अपने पिता की मृत्यु पश्चात उनके मोक्ष के लिए पूजन तर्पण किया.
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