Swaroopanand Saraswati Samadhi: ब्रह्मलीन हुए शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती: सनातन धर्म के ध्वजवाहक कहलाने वाले हिंदुओं के सबसे बड़े गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज को हजारों हजार लोगों ने नम आंखों से अंतिम यात्रा निकाल उन्हें समाधि दिलाई.
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नरसिंहपुर: बीते रोज निधन के बाद सनातन धर्म के ध्वजवाहक कहलाने वाले हिंदुओं के सबसे बड़े गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज को हजारों हजार लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को मध्य प्रदेश नरसिंहपुर स्थित तपस्थली में विधि विधान से समाधि दी गई. इस दौरान भारी संख्या में भक्त और कई दिग्गज अंतिम दर्शनों के लिए पहुंचे. भक्तों ने जय गुरुदेव के जयघोष...भजन-कीर्तन...और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ स्वामीजी को अलविदा कहा.
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की पार्थिव देह पर पुष्प अर्पित किए गए. फिर शंख से करीब 7 लीटर दूध से स्नान कराया गया. 108 कलश से जलाभिषेक किया गया. घी से स्नान के बाद चंदन का लेप लगाया गया. उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इस दौरान बराबर रामधुन गूंजता रहा. तिरंगा ओढ़ाकर राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी गई.
Shankaracharya Samadhi: वैदिक मंत्रोच्चार के साथ स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की अंतिम विदाई
मध्य प्रदेश में राजकीय शोक
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के समाधि के मौके पर सीएम शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत सैकड़ों VIP भी स्वामीजी को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे. सीएम शिवराज ने राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति बताया और उन्होंने राजकीय शोक की घोषणा की. उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया. इसके साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने प्रदेश में राजकीय शोक का ऐलान किया.
नम रहीं भक्तों की आंखें
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने रविवार की दोपहर 3 बजकर 21 मिनट पर झोतेश्वर परमहंसी आश्रम में अंतिम सांस ली थी. काफी दिनों से बीमार चल रहे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का ह्रदय गति रुक जाने से निधन हो गया था. अंतिम दर्शन के बाद भक्तों की भारी भीड़ के साथ गुरुगेव को अंतिम यात्रा निकली. इस दौरान सभी जय गुरुदेव के जयघोष...भजन-कीर्तन...और वैदिक मंत्रोच्चार कर रहे थे. भक्तों का आंखें इस दौरान नम रहीं.
हरिद्वार में संतों ने की भारत रत्न की मांग
ब्रह्मलीन जगतगुरु शकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को संतो ने भारत रत्न दिए जाने की मांग की है. सोमवार को धर्मनगरी हरिद्वार के संतों ने उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए शोक सभा का आयोजन किया. कनखल स्थित शंकराचार्य मठ में आयोजित शोक सभा मे संतों ने शंकराचार्य की विद्वता और सरल स्वभाव का जिक्र करते हुए कहा कि स्वामी जी को देश का सर्वोच्च सम्मान दिया जाना चाहिए.