प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में फर्जीवाड़ा, सरकार को लगी 637 करोड़ रुपये की चपत
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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में फर्जीवाड़ा, सरकार को लगी 637 करोड़ रुपये की चपत

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में वो लोग भी फर्जी तरीके से इस योजना का फायदा उठा रहे हैं जो इनकम टैक्स देते हैं. आंकड़ों की माने तो कुल  8 लाख 83 हजार किसान ऐसे हैं जो योजना के लिए अपात्र हैं.

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में फर्जीवाड़ा, सरकार को लगी 637 करोड़ रुपये की चपत

नई दिल्ली: केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है. छत्तीसगढ़ में ऐसे लोगों ने भी योजना का फायदा उठाया है जो गरीब तो दूर किसान भी नहीं है. यही नहीं वो लोग भी फर्जी तरीके से इस योजना का फायदा उठा रहे हैं जो इनकम टैक्स देते हैं. आंकड़ों की माने तो कुल  8 लाख 83 हजार किसान ऐसे हैं जो योजना के लिए अपात्र हैं, लेकिन फिर भी योजना का फायदा उठा रहे हैं. इससे प्रशासन की लापरवाही सामने आ रही है.

ई-केवायसी के बाद हुआ खुलासा
साल 2018 में शुरु हुई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में केवल छत्तीसगढ़ में 40 लाख 65 हजार से ज्यादा लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. योजना के तहत गरीब किसान के बैंक खाते में साल में तीन बार दो-दो हजार रुपए की किश्त डाली जाएगी. यानी साल भर में कुल 6 हजार रुपए देने का प्रावधान है. इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब छह माह पहले केंद्र सरकार ने प्रदेश में रजिस्टर्ड गरीब किसानों की ई-केवायसी करने का आदेश दिया.

हर 5वां लाभार्थी फर्जी
सूची में अब तक 40 लाख 65 हजार में से 8 लाख 83 हजार किसान फर्जी पाए गए हैं. लाभार्थी या तो किसान हैं ही नहीं और या तो वो पात्र गरीब किसान नहीं हैं. यानी योजना का हर 5वां लाभार्थी फर्जी है. इन्हीं फर्जी लोगों के खाते में सरकार के 637 करोड़ रुपए चले गए हैं. यहां सवाल सरकार पर भी उठते हैं कि आखिर कैसे लाखों अपात्र लोग योजना का फायदा उठाते रहे. यह सीधे तौर पर उन गराब किसानों के साथ अन्याय है जिन्हें इस योजना का फायदा मिलना चाहिए.

सरकार ने शुरु की राशि वापसी की कवायद
कृषि विभाग ने जिला कलेक्टरों को फर्जी लाभार्थियों से राशि वसूल करने का निर्देश दिया है. सभी अपात्र किसानों से अपील की जा रही है कि वे सरकारी बैंक और पीएम किसान वेबसाइट पर जाकर अपना पैसा वापस भेज सकते हैं. जिला स्तर पर वसूली के लिये कैंप लगाए जाएंगे. अगर इसके बाद भी किसी ने पैसे नहीं दिए तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी, राजस्व कर्मचारी घर जाकर उनसे पैसा वसूली करेंगे. छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का कहना है कि "मैंने केंद्रीय कृषि मंत्री से आग्रह किया है कि इस राशि की रिकवरी मुश्किल होगी, इसलिए माफी पर विचार करें.

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