निकाय चुनाव के नतीजों से CM शिवराज हुए मजबूत! जानिए चुनाव नतीजों के 4 बड़े संदेश
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निकाय चुनाव के नतीजों से CM शिवराज हुए मजबूत! जानिए चुनाव नतीजों के 4 बड़े संदेश

MP Nikay Chunav Result: पहले चरण के चुनाव नतीजे सामने आ चुके हैं. इन चुनाव नतीजों में भाजपा को 7, कांग्रेस को 3 और आप को एक नगर निगम में जीत मिली है. 2023 विधानसभा चुनाव के लिए इन निकाय चुनाव के नतीजों में कई अहम संदेश छिपे हुए हैं. आइए जानते हैं..

निकाय चुनाव के नतीजों से CM शिवराज हुए मजबूत! जानिए चुनाव नतीजों के 4 बड़े संदेश

MP Nikay Chunav Result: रविवार को एमपी नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण के नतीजे जारी हो गए. जिनमें 11 नगर निगम में से 7 पर बीजेपी का कब्जा हो गया. कांग्रेस 3 नगर निगम पर काबिज हुई तो एक नगर निगम पर आप का मेयर चुना गया. चुनाव नतीजों ने कहीं चौंकाया तो कहीं अपेक्षाओं के अनुरूप ही नतीजे रहे. कई दिग्गजों के गढ़ में जहां उनकी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा, वहीं आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की भी एमपी की राजनीति में एंट्री हो गई. चुनाव नतीजे देखकर लग सकता है कि बीजेपी का दबदबा रहा लेकिन पिछले महापौर चुनाव नतीजों को देखें तो बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा है. अगले साल एमपी में विधानसभा चुनाव होने हैं तो आइए जानते हैं कि नगरीय निकाय चुनाव के नतीजों पर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए क्या संदेश मिल रहे हैं.

सीएम शिवराज हुए मजबूत
रविवार को जारी हुए 11 नग निगम के चुनाव नतीजों में बीजेपी को 7 में जीत मिली है. भोपाल, इंदौर, खंडवा, बुरहानपुर, उज्जैन, सतना और सागर में बीजेपी जीती है. इसके अलावा तीन चौथाई नगर पालिका और नगर परिषद के परिणाम भी भाजपा के पक्ष में रहे हैं. ग्वालियर, जबलपुर में भले ही बीजेपी के मेयर नहीं बन पाए लेकिन दोनों ही जगह परिषद बीजेपी की बनी है. ऐसे में सीएम शिवराज के नेतृत्व को मजबूती मिली है साथ ही नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं भी कमजोर हुई हैं. जिस तरह से बीजेपी के पार्षदों की बंपर जीत हुई है. उससे बीजेपी के संगठन की ताकत का एहसास हुआ है कि किस तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं ने सीएम शिवराज के नेतृत्व में पूरी मेहनत की और एंटी इंनकंबेंसी की आशंकाओं को खारिज करते हुए पार्टी को शानदार जीत दिलाई. 2023 के विधानसभा चुनाव में यकीनन पार्टी को इससे संजीवनी मिलेगी. 

दिग्गजों को करना होगा आत्ममंथन
ग्वालियर ज्योतिरादित्य सिंधिया और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर का गढ़ माना जाता है. हालांकि निकाय चुनाव में ग्वालियर में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. गौरतलब है कि 57 साल बाद ग्वालियर मेयर चुनाव में बीजेपी को हार मिली है. इसी तरह जबलपुर भाजपा सांसद राकेश सिंह का गढ़ है लेकिन वहां भी पार्टी को 23 साल बाद हार का सामना करना पड़ा है. 

कांग्रेस की बात करें तो दिग्विजय सिंह, अरुण यादव, जीतू पटवारी अपने गढ़ में पार्टी को हार से नहीं बचा सके. खंडवा, भोपाल और इंदौर में पार्टी के मेयर उम्मीदवार जीत नहीं सके. बुरहानपुर में पार्टी को जीत की उम्मीद थी लेकिन वहां भी बीजेपी जीत हासिल करने में सफल रही.  

कांग्रेस के लिए सबक
निकाय चुनाव में कांग्रेस के लिए भी सबक है कि पार्टी को विधानसभा चुनाव में जीत के लिए अपने संगठन को और मांजना होगा और जमीन पर उतरकर काम करना पड़ेगा. बीजेपी को राज्य की सत्ता में करीब 17 साल हो गए हैं, इसके बावजूद निकाय चुनाव में भाजपा का दबदबा कांग्रेस के लिए चिंता का सबब हो सकता है. हालांकि कांग्रेस के लिए अच्छी बात ये है कि पिछले निकाय चुनाव में जहां कांग्रेस का एक भी मेयर नहीं था, वहीं इस बार वह अभी तक 3 मेयर बनाने में सफल रही है. पार्टी ने कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा और ग्वालियर और जबलपुर जैसे बीजेपी के किलों पर कब्जा किया है. 

आप-एआईएमआईएम की एंट्री
एमपी की राजनीति में दो नए खिलाड़ियों की एंट्री हो गई है. दरअसल निकाय चुनाव में सिंगरौली नगर निगम में आम आदमी पार्टी अपना मेयर बनाने में सफल रही है. वहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम खंडवा और जबलपुर में अपने पार्षद बनाने में सफल रही. एआईएमआईएम की जीत कांग्रेस के लिए झटका हो सकती है क्योंकि एमपी में मुस्लिम वोटबैंक परंपरागत तौर पर कांग्रेस समर्थक माना जाता है लेकिन अब ओवैसी की एंट्री से कांग्रेस के इस वोटबैंक में सेंध भी लग सकती है. बुरहानपुर नगर निगम में एआईएमआईएम ने सीधे तौर पर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है, जहां कांग्रेस प्रत्याशी कुछ सौ वोटों के अंतर से हारी हैं, जबकि एआईएमआईएम प्रत्याशी 10 हजार के करीब वोट लेने में सफल रहे. ऐसे में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस को आप और एआईएमआईएम की चुनौती से भी जूझना होगा. 

अब दूसरे चरण के चुनाव नतीजे 20 जुलाई को घोषित किए जाएंगे. अभी 5 नगर निगम के चुनाव नतीजे आने बाकी हैं. ऐसे में अब सभी की निगाहें उन नतीजों पर लगी हैं, जिसके बाद सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे निकाय चुनाव का पूरा विश्लेषण किया जा सकेगा और 2023 के लिए तस्वीर ज्यादा बेहतर साफ होगी. 

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