बड़ी खबर: इतने दिन के अंदर सभी नए मेयर को लेनी होगी शपथ, नहीं तो निर्वाचन होगा शून्य
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बड़ी खबर: इतने दिन के अंदर सभी नए मेयर को लेनी होगी शपथ, नहीं तो निर्वाचन होगा शून्य

मध्य प्रदेश निकाय चुनाव में निर्वाचित हुए प्रदेश के सभी 16 महापौर को अब शपथ ग्रहण करने की समय सीमा तय कर दी गई है. तय समय सीमा के तहत ही सभी महापौर को शपथ लेनी होगी, अगर तय समय में शपथ ग्रहण नहीं हुआ तो उनका निर्वाचन शून्य माना जाएगा. 

बड़ी खबर: इतने दिन के अंदर सभी नए मेयर को लेनी होगी शपथ, नहीं तो निर्वाचन होगा शून्य

आकाश द्विवेदी/भोपाल। मध्य प्रदेश में निकाय और पंचायत चुनाव के नतीजे आने के बाद अब अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है. इस बीच निर्वाचन आयोग ने नव नियुक्त महापौरों के शपथ को लेकर भी बड़ा निर्देश जारी कर दिया है. क्योंकि अगर इस अवधि में महापौर शपथ नहीं ले पाए तो उनका निर्वाचन शून्य माना जाएगा. जिले के कलेक्टरों को भी इसके निर्देश जारी किए गए हैं. वहीं महापौर भी शपथ की तैयारियों में जुट गए हैं. 

3 माह के अंदर लेनी होगी शपथ 
दरअसल, प्रदेश के सभी 16 नव निर्वाचित महापौरों को अब तीन महीने के अंदर शपथ लेनी होगी. उन्हें महापौर पद की शपथ कलेक्टर दिलाएंगे. राज्य निर्वाचन आयोग ने इसके निर्देश जारी कर दिए हैं. खास बात यह है कि निर्वाचित होने की तिथि से 3 माह के अंदर सभी को शपथ लेनी होगी. क्योंकि अगर उन्होंने 3 माह के अंदर शपथ नहीं ली तो फिर सभी का निर्वाचन शून्य माना जाएगा और उनकी जगह रिक्त मानी जाएगी. 

मध्य प्रदेश में हैं 16 नगर निगम 
मध्य प्रदेश में 16 नगर निगम हैं, जिनमें से इस बार 9 बीजेपी के महापौर चुनकर आए हैं, जबकि 5 महापौर कांग्रेस के बने हैं. इसके अलावा एक महापौर आम आदमी पार्टी और एक महापौर निर्दलीय बना है. ऐसे में अब इन सभी महापौरों को जिले के कलेक्टर पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगें. वहीं कलेक्टरों को निर्देश मिलने के बाद माना जा रहा है कि अब जल्द ही सभी महापौर शपथ लेंगे. 

अध्यक्षों के लिए भी शुरू हुई जोड़-तोड़ 
वहीं नगर निगम में महापौर के अलावा नगर पालिका और नगर परिषदों में अध्यक्ष पद के लिए भी जोड़ तोड़ शुरू हो गई हैं. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों का जहां स्पष्ट बहुमत मिला है. वहां दोनों पार्टियों ने अध्यक्ष बनाने की शुरूआत कर दी है. जबकि जहां दोनों ही दलों को बहुमत नहीं मिला है वहां निर्दलीय पार्षद अहम भूमिका में हैं, ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस ने निर्दलीय पार्षदों को भी साधना शुरू कर दिया है.

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