Mohan Cabinet 2023: मोहन मंत्रिमंडल में 5 महिला मंत्री, पहली बार जीतने वाली ये नेत्री बनीं मंत्री, जानिए नाम
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Mohan Cabinet 2023: मोहन मंत्रिमंडल में 5 महिला मंत्री, पहली बार जीतने वाली ये नेत्री बनीं मंत्री, जानिए नाम

मध्यप्रदेश में सीएम मोहन यादव और दो डिप्टी सीएम के शपथ ग्रहण करने के बाद सभी की नजरें मंत्रिमंडल पर टिकी हुई थी. आखिरकार अब चुनाव नतीजों के 22 दिन और मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के 12 दिन बाद मध्यप्रदेश को नई कैबिनेट मिल गई है.

Mohan Cabinet 2023: मोहन मंत्रिमंडल में 5 महिला मंत्री, पहली बार जीतने वाली ये नेत्री बनीं मंत्री, जानिए नाम

Womans In Mohan Cabinet 2023: मध्यप्रदेश में सीएम मोहन यादव और दो डिप्टी सीएम के शपथ ग्रहण करने के बाद सभी की नजरें मंत्रिमंडल पर टिकी हुई थी. आखिरकार अब चुनाव नतीजों के 22 दिन और मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के 12 दिन बाद मध्यप्रदेश को नई कैबिनेट मिल गई है. कैबिनेट में 28 मंत्रियों के नाम तय कर दिए गए है. जिसमें 5 महिलाओं के नाम शामिल हैं. गौरतलब है कि इससे पहले शिवराज कैबिनेट में सिर्फ 3 महिलाएं ही थी.

बता दें कि सभी विधायकों ने राजपाल मांगू पटेल की मौजूदगी में शपथ ग्रहण की प्रक्रिया पूरी की है. हालांकि अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि किसे कौन सा मंत्रालय सौंपा जाएगा. 18 कैबिनेट, 4 राज्यमंत्री और 6 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को शपथ दिलाई गई है.

मोहन कैबिनेट में 5 महिला मंत्री को जानिए
राधा सिंह
भाजपा से आने वाली राधा सिंह चितरंगी विधानसभा सीट से विधायक हैं. उन्हें राजनीति विरासत में मिली है. उसके ससुर जगन्नाथ सिंह भाजपा में मंत्री पद पर रहे हैं, और शिक्षा मंत्री भी रहे हैं. उनके बाद राधा सिंह राजनीति में आईं. जो  पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुकी है. जगन्नाथ सिंह का आदिवासियों में बड़ा नाम है. चितरंगी विधानसभा सीट में ज्यादातर आदिवासी वोटर हैं. पिछली बार इस सीट से र जगन्नाथ सिंह के भाई अमर सिंह को टिकट दिया गया था. लेकिन इस बार राधा सिंह को मिला और उन्होंने  59879 वोट से कांग्रेस के प्रत्याशी मानिक सिंह को हरा दिया. अब उन्होंने राज्यमंत्री पद की शपथ ली है.

प्रतिमा सिंह बागरी
रैगांव विधानसभा सीट से बीजेपी की विधायक प्रतिमा बागरी ने राज्यमंत्री पद की शपथ ली है. उनको सांसद गणेश सिंह का करीबी माना जाता है. पहली बार विधायक चुनी गई प्रतिमा बागरी को राज्यमंत्री बनाया गया है. हालांकि रैगांव विधानसभा सीट से साल 2021 में उपचुनाव में बीजेपी की तरफ से उतरी थी, लेकिन तब हार का सामना करना पड़ गया था. लेकिन इस बार 30 हजार वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी को हराया है, और सीधे मोहन यादव के मंत्रिमंडल में जगह मिली है.

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार )
कृष्णा गौर
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री  बाबूलाल गौर की पुत्रवधू कृष्णा गौर को भी मोहन यादव के मंत्रिमंडल में जगह मिली है. उन्होंने राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार ) पद की शपथ ली है. कृष्णा गौर लगातार दूसरी बार विधायक चुनी गई हैं. उन्होंने कांग्रेस के गिरीश शर्मा 46 को 359 मतों से हराया था. कृष्णा गौर अपने क्षेत्र में काफी सक्रिय है. उन्होंने बुजुर्गों से बहू का रिश्ता जोड़ा, युवक-युवतियों से भाभी, दीदी का भी रिश्ता बनाया. इसका फायदा उन्हें सीधे मिला. राज्यमंत्री से पहले वो साल 2009 से 2014 तक भोपाल की महापौर रहीं. 2005 में मप्र राज्य पर्यटन निगम की अध्यक्ष का पद भी संभाला.

कैबिनेट मंत्री
संपतिया उईके
कैबिनेट मंत्री पद की शपथ लेने वाली संपतिया उईके मंडला विधानसभा सीट से विधायक हैं. संपतिया उईके राज्यसभा से सांसद भी रही हैं. उनका राजनीतिक करियर काफी संघर्षों के बीच गुजरा है. वो राजनीति से पहले मजदूरी करती थीं, इसके बाद उन्होंने ग्राम पंचायत टिकरवारा से सरपंच का चुनाव लड़ा, और जीत हासिल की. इसके अलावा उइके राज्यसभा सांसद एवं 3 बार जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुकी हैं.

निर्मला भूरिया
मोहन यादव सरकार में आदिवासी नेत्री निर्मला भूरिया को कैबिनेट मंत्री पद से नवाजा गया है. वो इस बार पेटलावाद सीट से 5वीं बार विधायक बनी हैं. इससे पहले उन्हें शिवराज सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री बनाया था. निर्मला के साथ बड़ा राजनीतिक तथ्य ये जुड़ा हुआ है कि उन्होंने झाबुआ-अलीराजपुर जिले में पहली बार कमल को जीत दिलाई थी. उनके पिता स्व दिलीप सिंह भूरिया कांग्रेस के दिग्गज नेता थे और 18 सालों कर सांसद रहने के अलावा कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे. निर्मला 1993 में पहली बार कांग्रेस के टिकट से जीती थी. 

लेकिन तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार के खिलाफ आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग को लेकर दिग्गज दिलीप सिंह भूरिया का कांग्रेस से मोहभंग हो गया. इसके बाद पिता-पुत्री कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए. 1998 से लेकर 2003 तक वो विधायक रही. 2008 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा फिर 2013 में जीत कर 2018 में हार का सामना करना पड़ा. अब 2023 में 5 हजार सीटों से उन्होंने जीत हासिल की है.

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