Satna News: मुरैना के पुलिस अधीक्षक आशुतोष बागरी के शिक्षक पिता ने मप्र सरकार मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के लिए आवेदन किया था और उनका नाम सुर्खियों में आने के बाद कलेक्टर ने एसपी के पिता को सस्पेंड कर दिया है.
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SP Father Applied for Tirth Darshan Yojana (संजय लोहानी/सतना): मुरैना के पुलिस अधीक्षक आशुतोष बागरी (Morena Superintendent of Police Ashutosh Bagri) एक बार फिर सुर्खियों में हैं और इस बार उनके खबरों में होने की वजह मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना(Mukhyamantri Tirth Darshan Yojana) है. बता दें कि पुलिस अधीक्षक आशुतोष बाग़री के पिता लालाजी बाग़री सतना में सरकारी शिक्षक हैं. जबकि माता गृहणी. दोनों इनकम टैक्स पेयर भी हैं और इसके बावजूद तीर्थ दर्शन योजना के तहत सरकारी खर्च पर तीर्थ यात्रा करने का आवेदन भरा. यहां तक कि पिता-माता के नाम की टिकट भी बन गई. हालांकि ये सूची सार्वजनिक होते ही बबाल बच गया. जिसके बाद प्रशासन ने जांच की और पति-पत्नी अपात्र निकले. ऐसे में पुलिस अधीक्षक के पिता लालजी बाग़री को जिला कलेक्टर ने निलंबित कर दिया और उनका नाम भी सूची से हटा दिया गया.
उठ रहे हैं ये सवाल
राज्य सरकार द्वारा बुजुर्गों के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना के तहत आज सतना जिले के 250 तीर्थयात्री द्वारकापुरी की यात्रा पर जा रहे हैं. इन तीर्थ यात्रियों में से लालजी बागरी और विद्या बागरी निवासी पडरौत का नाम भी चयनित था. बता दें कि लालजी बागरी मुरैना पुलिस अधीक्षक के पिता और विद्या बागरी मां है. लालजी सहायक शिक्षक है. जबकि माता गृहणी हैं और दोनों इनकम टैक्स पेयर भी हैं और नियम के तहत तीर्थ दर्शन योजना के पात्र भी नहीं है.इसके बाबजूद दोनों ने फार्म भरा यहां सवाल ये भी उठता है कि इनका चयन सूची में कैसे हुआ.
कलेक्टर ने कर दिया निलंबित
बता दें कि ये सूची सार्वजनिक होते ही मुरैना के पुलिस अधीक्षक आशुतोष बागरी विवादों में आ गए और जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया. दोनों को अपात्र माना गया और इस मामले में सहायक शिक्षक लालजी बागरी को भी बिना विभागीय अनुमति लिए तीर्थ यात्रा पर जाने का प्रयास करने पर निलंबित कर दिया गया है. हालांकि, लालजी बागरी के मुताबिक वे यात्रा नहीं करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने विभागीय अनुमति नहीं ली. उनके परिचित ने फॉर्म भरा और सिर्फ उन्होंने साइन किए. उन्होंने कहा कि आयकर दाता व शासकीय सेवक के फार्म में अपात्र होने का कॉलम नहीं था और न ही उन्हें नियम-कायदों की जानकारी थी.