Kishore Kumar:किशोर कुमार को अपनी जन्मभूमि खंडवा से बहुत प्यार था और वो हमेशा कहते थे किमैं 'किशोर कुमार खंडवा वाला'हूं.
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प्रमोद सिन्हा/खंडवा:हिंदी फिल्मों के इतिहास के अब तक के सबसे सर्वश्रेष्ठ सिंगरों में से एक किशोर कुमार का 13 October 1987 को निधन हुआ था. उनको गुजरे हुए 35 साल हो गए ,लेकिन आज भी लोग उनको याद करते हैं और उनके गाने हर उम्र के लोग सुनते हैं.किशोर कुमार अपने हर कार्यक्रम से पहले बोलते थे, मैं 'किशोर कुमार खंडवा वाला' और इसी से आप समझ सकते हैं कि उनको खंडवा से कितना प्यार था और हो भी क्यों ना उनका जन्म खंडवा में जो हुआ था.
बता दें कि बॉलीवुड के हरफनमौला कलाकार किशोर कुमार की गुरुवार को पुण्यतिथि है.किशोर कुमार का 35 साल पहले मुंबई में निधन हो गया था.महान गायक किशोर कुमार की अंतिम इच्छा खंडवा में रहने की थी,लेकिन यह संभव नहीं हो सका. हालांकि उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उनका पार्थिव शरीर उनकी जन्मभूमि खंडवा में लाया गया था.यहीं उनका अंतिम संस्कार किया गया था.खड़वा में हीं उनकी समाधि बनी हुई है.देश भर से उनके प्रशंसक यहां पहुंचते हैं.
दूध जलेबी का भोग लगेगा
दूध जलेबी खाएंगे, खंडवा में बस जाएंगे कहने वाले किशोर कुमार की समाधि पर दूध जलेबी का भोग लगेगा.देशभर से किशोर प्रेमी इस दिन यहां आते हैं और उन्हें सुरमई श्रधांजलि अर्पित करते हुए अपने किशोर दा को याद करते हैं.
हर साल किशोर कुमार को लेकर होते हैं कार्यक्रम आयोजित
किशोर दा के स्थानीय प्रशंसकों का कहना है कि किशोर कुमार जिस तरह से खंडवा से प्यार करते थे, उससे कहीं ज्यादा खंडवा के लोग किशोर कुमार को प्यार करते हैं. उनकी पुण्यतिथि हो या उनका जन्मदिन, हर साल किशोर कुमार को लेकर कार्यक्रम आयोजित होते हैं और उनकी समाधि पर उनके प्रशंसकों का जमावड़ा होता है.
कुछ किशोर प्रेमी यहां आज भी मौजूद है जो उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे.ऐसे ही एक किशोर प्रेमी ने बताया कि जब उनकी पार्थिव देह को खंडवा लाया गया था. तब हर कोई उनके अंतिम दर्शन पाना चाहता था. देशभर से किशोर प्रेमी खंडवा आए थे, उनकी अंतिम यात्रा में बहुत भीड़ थी.साथ ही उन्होंने कहा कि भले ही किशोर कुमार हमारे बीच नहीं है, पर आज भी किशोर दा हमारे दिलों में धड़कते हैं.
किशोर कुमार के मकान को संग्रहालय बनाने की मांग उठी
जिस घर में किशोर कुमार का बचपन बीता, वो घर जर्जर हो गया है.कई बार इस मकान को संग्रहालय बनाने की मांग उठी, लेकिन किशोर के परिजनों ने कोई ध्यान नहीं दिया.वर्षों से इस घर की देखरेख करने वाले चौकीदार सीताराम आज भी किशोर कुमार को याद करते हैं.