Jal Satyagraha: मध्य प्रदेश के नीमच में शुरू हुआ जल सत्याग्रह, ग्रामीणों ने रखी अपनी मांग
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Jal Satyagraha: मध्य प्रदेश के नीमच में शुरू हुआ जल सत्याग्रह, ग्रामीणों ने रखी अपनी मांग

Jal Satyagraha: नीमच जिले के गांव मालाहेड़ा से कुणिखंमा तक ना रोड़ है ना पुलिया जिसके कारण ग्रामीणों लंबे समय से परेशान हैं. बारिश के समय उनकी समस्या बढ़ जाती है. इस कारण उन्होंने अपनी मांगों को मनवाने के लिए जल सत्याग्रह शुरू किया है.

Jal Satyagraha: मध्य प्रदेश के नीमच में शुरू हुआ जल सत्याग्रह, ग्रामीणों ने रखी अपनी मांग

Jal Satyagraha: प्रीतेश शारदा/नीमच। मध्यप्रदेश के नीमच जिले के गांव मालाहेड़ा से कुणिखंमा तक ना रोड़ है ना पुलिया जिसके कारण ग्रामीणों को बरसात में आना और जाना परेशानी का सबब बन गया है. मनासा तहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम मालाहेड़ा से कुणिखंमा तक लोगों ने पुलिया ओर रोड की मांग को लेकर नदी के पानी मे उतर कर जल सत्याग्रह शुरू कर दिया. जल सत्याग्रह में चारभुजा की बारद व देवरी पड़दा गांव के लोग भी इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं.

क्या है मांग
मामला मनासा तहसील क्षेत्र का है. मनासा के अंतर्गत आने वाले ग्राम मालाहेड़ा से कुणिखम्मा गांव तक लोगों ने पुलिया ओर रोड की मांग को लेकर मंगलवार सुबह नदी के पानी मे उतर गए और जल सत्याग्रह शुरू कर दिया. चारभुजा की बारद व देवरी पड़दा गांव के लोगों ने नदी के पास एकत्रित होकर जल सत्याग्रह शुरू किया, प्रशासन से रोड की व पुलिया की मांग की है.

Jal Satyagraha: मध्य प्रदेश में ग्रामीणों किया जल सत्याग्रह, मांगों को लेकर आवाज की बुलंद

मांगें पूरी होने तक जारी रहेगी आंदोलन
ग्रामीणों का कहना है कि सालों से हम लोग रोड की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है. हमने पहले भी कई बार अधिकारियों, स्थानीय विधायक को अवगत करवाया. इसके बाद भी इस समस्या का हल नहीं हुआ. उनका कहना है कि जब तक हमें लिखित में आश्वासन या मौखिक आकर कोई अधिकारी बात नहीं करता तब तक सत्याग्रह जारी रहेगा.

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बता दें मालाहेड़ा से कुणिखंमा सड़क और पुल न होने के कारण बारिश में यहां के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. कई बार ये समस्या हादसे का कारण बन जती है. इससे छुटमुट घटनाएं भी समाने आई है. खास तौर पर ये परेशानी छोटो बच्चों और बुजुर्गों के लिए काफी बड़ी हो जाती है. वहीं ऐसे हालात के कारण गांव में अन्य सुविधाएं नहीं पहुंच पाती. वहीं बच्चों को स्कूल जानें में भी समस्या होती है.

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