शिवराज के इस मंत्री पर करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप, कांग्रेस ने की इस्तीफे की मांग
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शिवराज के इस मंत्री पर करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप, कांग्रेस ने की इस्तीफे की मांग

मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे प्रदेश की भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप बढ़ते जा रहे हैं. अब कांग्रेस ने शिवराज के एक मंत्री पर करोड़ों रुपये का घोटाला करने का आरोप लगाया है. 

शिवराज के इस मंत्री पर करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप, कांग्रेस ने की इस्तीफे की मांग

MP NEWS: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही प्रदेश की भाजपा सरकार की पोल खुलती जा रही है. एक के बाद एक सरकार पर कई घोटाले के आरोप लग रहे हैं. अब शिवराज सरकार के पंचायत मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने आदिवासी वर्ग के प्रतिनिधियों की ट्रेनिंग के आवंटित पैसे का दुरुपयोग किया. मंत्री पर ट्रेनिंग में गैर आदिवासियों को प्रशिक्षण देकर गबन करने का भी आरोप है. 

कांग्रेस आरटीआई प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष पुनीत टंडन, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष जेपी धनोपिया और मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मंत्री सिसोदिया पर पंचायत राज प्रतिनिधियों की ट्रेनिंग के पैसे का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. आरोप है कि सिसोदिया ने कुल फर्जी दस्तावेज के जरिये कुल 8 करोड़ 82 लाख का गबन किया है. 

केंद्र ने दी थी इतनी राशि
कांग्रेस का कहना है कि इस मामले की शिकायत वे लोकायुक्त में करेंगे. इसके अलावा कांग्रेस ने मांग की है कि  जब तक जांच पूरी न हो तब तक के लिए सरकार  मंत्री से इस्तीफा लें, क्योंकि कांग्रेस को दस्तावेज बदले जाने का डर है. कांग्रेस ने बताया कि  केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने साल 2019-2020 में मध्य प्रदेश के नवनिर्वाचित पंचायत राज प्रतिनिधियों की कैपेसिटी बिल्डिंग ट्रेनिंग के लिए राशि दी थी. आदिवासी उपयोजना विशेष केंद्रीय सहायता मद के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 8 करोड़ 42 लाख रुपए का फंड दिया गया था. 

इस तरह हुआ घोटाला
कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार की ओर से मिले फंड में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है. ये फंड मध्य प्रदेश के सभी 52 जिलों में आदिवासी वर्ग के प्रतिनिधियों की ट्रेनिंग के लिए जारी किया गया था, लेकिन पंचायत मंत्री ने इसे मात्र तीन जिलों बड़वानी, सिवनी और धार में ट्रेनिंग दिखा दिया. विभागीय अफसरों के जांच में भी जमीनी स्तर पर ट्रेनिंग होना नहीं पाया गया. पंचायत मंत्री ने फाइल को बिना एसीएस और पीएस की अनुशंसा के सीधे प्रशासकीय स्वीकृति दे दी.

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