बैतूल की स्कूटी वाली मैडमः ये सैंकड़ों बच्चों के लिए फरिश्ते से कम नहीं! आप भी करेंगे तारीफ
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बैतूल की स्कूटी वाली मैडमः ये सैंकड़ों बच्चों के लिए फरिश्ते से कम नहीं! आप भी करेंगे तारीफ

Baitul News: आज हम आपको ऐसी टीचर के बारे में बता रहे हैं, जो खुद बच्चों को अपनी स्कूटी पर स्कूल लेकर आती हैं. साथ ही उन्होंने अपने खर्च पर स्कूल में एक गेस्ट टीचर भी रखा है. इन टीचर का नाम है अरुणा म्हाले. तो आइए जानते हैं इनके बारे में..

baitul news: अरुणा म्हाले खुद बच्चों को स्कूल लेकर जाती हैं.

इरशाद हिंदुस्तानी/बैतूलः किसी भी देश के निर्माण में अध्यापकों की अहम भूमिका होती है. अध्यापक ही हैं जो संस्कारों और ज्ञान के भंडार को अगली पीढ़ी को सौंपते हैं. आज हम आपको ऐसी ही एक टीचर से मिलवा रहे हैं, जो बच्चों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं. दरअसल बैतूल के आदिवासी बहुल भैसदेही के एक स्कूल में पढ़ाने वाली टीचर अरुणा म्हाले खुद अपनी स्कूटी पर बच्चों को स्कूल लेकर जाती हैं. यही वजह है कि अरुणा म्हाले को इलाके में स्कूटी वाली मैडम के तौर पर जाना जाता है. 

बंद होने से बचाया स्कूल
दरअसल आदिवासी बहुल भैसदेही का धुडिया एक दुर्गम इलाका है, जहां सड़कें आदि नहीं हैं. स्कूल गांव से दो किलोमीटर दूर है. दुर्गम रास्ते होने के चलते अधिकतर बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया. इसका असर ये हुआ है कि स्कूल बंद होने के कागार पर पहुंच गया. ऐसे में यहां तैनात शिक्षिका अरुणा म्हाले की एक पहल ने कमाल कर दिया. दरअसल अरुणा म्हाले खुद अपनी स्कूटी पर बच्चों को स्कूल लाने लगीं. अपनी स्कूटी के कई फेरे लगाकर वह 20 के करीब बच्चों को स्कूल लेकर आती हैं. उनकी इस पहल का नतीजा हुआ कि अन्य परिजन भी अपने आस-पड़ोस के बच्चों को स्कूल लाने लगे और आज स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 85 तक पहुंच गई है. बच्चों की संख्या बढ़ने के बाद प्रशासन ने भी स्कूल को बंद नहीं करने का फैसला किया है. 

अपने खर्च पर रखा गेस्ट टीचर
टीचर अरुणा म्हाले पिछले 7 सालों से बच्चों को स्कूल लेकर आ रही हैं और वह यह काम बिना किसी फीस के कर रही हैं. इतना ही नहीं अरुणा म्हाले ने बच्चों को पढ़ाने के लिए अपने खर्च पर स्कूल में एक गेस्ट टीचर भी रखा है. वह अपनी सैलरी में से ही इस टीचर को सैलरी देती हैं. इतना ही नहीं जिन बच्चों के पास किताब कॉपी नहीं होती है, उन्हें भी खुद खरीदकर पेंसिल, रबर, कॉपी आदि देती हैं. कह सकते हैं कि टीचर म्हाले आदिवासी बच्चों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं. 

भैंसदेही के ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने भी टीचर के प्रयासों की तारीफ की. उन्होंने बताया कि अरुणा म्हाले की कोई संतान नहीं है इसलिए वह स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों पर ममता लुटा रही हैं. बच्चों के माता-पिता की टीचर की तारीफ करते नहीं थकते हैं. उनका कहना है कि आज के समय में ऐसी टीचर मिलना बेहद दुर्लभ बात है. परिजनों का कहना है कि अगर सभी बच्चों को ऐसी टीचर मिल जाएं तो देश का भविष्य उज्जवल होगा. 

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