फिल्म रक्षाबंधन को मिला 'U' सर्टिफिकेट, जानिए सेंसर बोर्ड की कार्यप्रणाली और प्रमाणपत्र के प्रकार
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फिल्म रक्षाबंधन को मिला 'U' सर्टिफिकेट, जानिए सेंसर बोर्ड की कार्यप्रणाली और प्रमाणपत्र के प्रकार

5 साल बाद सेंसर बोर्ड ने किसी फिल्म को 'U' सर्टिफिकेट दिया है. आज इस रिपोर्ट के जरिए हम आपको बतांएगे कि सेंसर बोर्ड क्या है. और भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में यह किस तरह से कार्य करता है.

फिल्म रक्षाबंधन को मिला 'U' सर्टिफिकेट, जानिए सेंसर बोर्ड की कार्यप्रणाली और प्रमाणपत्र के प्रकार

पल्लवी सिंह/नई दिल्ली: रक्षाबंधन के दिन यानि 11 अगस्त को रिलीज होने वाली अक्षय कुमार की फिल्म रक्षाबंधन को सेंसर बोर्ड ने 'U' सर्टिफिकेट दिया है. 5 साल बाद सेंसर बोर्ड ने किसी फिल्म को 'U' सर्टिफिकेट दिया है. इससे पहले 2017 में आई फिल्म हिंदी मीडियम को 'U' सर्टिफिकेट मिला था. 'U' सर्टिफिकेट का मतलब होता है कि पूरे परिवार के साथ फिल्म को देखा जा सकता है.

क्या है सेंसर बोर्ड ?
1952 में सिनेमेटोग्राफी एक्ट लाया गया था. जिसका उद्देश्य सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित होने वाले टीवी धारावाहिकों, विज्ञापन, और फिल्मों की समीक्षा करना होता है. किसी भी फिल्म को बनाने के बाद उसे प्रदर्शित करने के लिए निर्माता को सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट लेना होता है. सेंसर बोर्ड द्वारा अनुमति मिलने के बाद ही किसी दृश्य सामग्री को सार्वजनिक रूप से दिखाया जा सकता है.

सेंसर बोर्ड कैसे देता है सर्टिफिकेट
फिल्म के निर्माण के बाद सबसे पहले सेंसर बोर्ड के सदस्य उसे देखते है. बोर्ड के सदस्यों का मुख्य उद्देश्य रहता है, कि एंटरटेनमेंट के नाम पर फिल्म में अश्लील कॉमेडी और सॉग्स, गाली-गलौज और डबल मीनिंग डायलॉग को ना दिखाया जाए. साथ ही फिल्म में दिखाए जा रहे किसी की भी दृश्य से किसी की धार्मिक भावनाएं आहत  न हों, ताकि समाज में अराजकता का माहौल न पैदा हो और शांति बनी रहे. सेंसर बोर्ड द्वारा सर्टिफिकेट दिए जाने के बाद ही किसी फिल्म को रिलीज किया जाता है. बोर्ड किसी भी प्रकार के नाटक और फिल्म को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित कर सर्टिफिकेट देता है. सर्टिफिकेट देकर सेंसर बोर्ड यह बताता है, कि फिल्म किस वर्ग के लोगों के लिए देखने लायक है. बता दें सेंसर बोर्ड के देश में 9 कार्यालय हैं, जो मुंबई, नई दिल्ली, तिरुवनंतपुरम, चेन्नई, बेंगलुरू, कटक, कोलकाता, गुवाहाटी और हैदराबाद में स्थित है. 

कितने प्रकार के होते हैं सर्टिफिकेट
जब सिनेमेटोग्राफी एक्ट लाया गया था तब  सिर्फ 2 तरह के सर्टिफिकेट सेंसर बोर्ड द्वारा दिए जाते थे. जून 1983 में इनकी संख्या में इजाफा कर 4 कर दिया गया. जिनमें U, U/A, A, और S शामिल हैं.

'U' सर्टिफिकेट - सेंसर बोर्ड U सर्टिफिकेट उन फिल्मों को देता है, जिनमें अश्लील सामग्री, हिंसा और गाली-गलौज नहीं होता है. बोर्ड का मानना है कि ऐसी फिल्मों को पूरे परिवार के साथ देखा जा सकता है. 

'U/A' सर्टिफिकेट- ये सर्टिफिकेट सबसे ज्यादा फिल्मों को दिया जाता है. इस श्रेणी की फिल्मों में हिंसा और अश्लील भाषा का अंश होता है. 12 साल से ऊपर के लोग परिवार की मौजूदगी में ये फिल्में देख सकते हैं. 

'A' सर्टिफिकेट- जिन फिल्मों को ये सर्टिफिकेट दिया जाता है, उन्हें सिर्फ वयस्क यानि 18 साल से ऊपर के लोग देख सकते हैं. बता दें सिर्फ बोल्ड सीन वाली फिल्मों को ही ये सर्टिफिकेट दिया जाता है. 

'S' सर्टिफिकेट - यह स्पेशल कैटेगरी का सर्टिफिकेट होता है. इसे उन फिल्मों को दिया जाता है जो किसी वर्ग विशेष के लिए बनाई जाती है. जैसे- इंजीनियर, डॉक्टर, सेना के जवान आदि.

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