Zee Special Report: छत्तीसगढ़ राज्य अपने आप में कई रहस्यों को इतिहास में समेटे हुए हैं. उन्हीं में से एक है सरगुजा रियासत में आने वाली रामगढ़ की पहाड़ी. यहां दो गुफाएं हैं, जिनसे इतिहास और पुराण के बड़े-बड़े किस्से और कहानी के साथ-साथ मान्यताएं जुड़ी हैं. ZEE स्पेशल रिपोर्ट में जानिए हसदेव के जंगलों के बीच बसे रामगढ़ और उसकी गुफाओं के बारे में-
Zee MP-Chhattisagrh Special Report: ZEE मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ की स्पेशल रिपोर्ट में आज जानिए छत्तीसगढ़ स्थित रामगढ़ की पहाड़ी के बारे में. मैकाले श्रृंखला और छोटा नागपुर के पठार के बीच बसी इस पहाड़ी से कई बड़े-बड़े किस्से-कहानी और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. यहां भगवान राम-सीता और लक्ष्मण, हड़प्पा, सम्राट अशोक, महाकवि कालिदास और सुतनुका और देवदीन से जुड़ी कई कहानियां मौजूद हैं. जानिए रामगढ़ और उसकी गुफाओं के बारे में-
सरगुजा रियासत की राजधानी अंबिकापुर से करीब 40 किलोमीटर दूर... मैकाले श्रृंखला और छोटा नागपुर के पठार के बीच एक छोटी सी पहाड़ी है- रामगढ़... इस छोटी सी पहाड़ी से इतिहास और पुराण के बड़े-बड़े किस्से- कहानियां और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. यहां भगवान राम-सीता और लक्ष्मण, हड़प्पा, सम्राट अशोक, महाकवि कालिदास और सुतनुका और देवदीन- इन सभी किरदारों के सूत्र या कोई न कोई कहानियां हैं.
हसदेव के जंगलों के बीच स्थित रामगढ़ और उसकी गुफाओं की कहानियों के कुछ पन्ने आज तक गुम ही हैं. पुरात्वविद, इतिहासकार और साहित्यकार पिछले 100 सालों से इन्हीं गुम पन्नों को ढूंढ़ने बार-बार रामगढ़ आते हैं. कभी इन वादियों से आने वाली प्रकृति की आवाज में तो कभी इस गुफे की बनावट और आर्किटेक्ट में. कभी यहां उकेरे गए बारीक चित्रों में तो कभी तराशे गए पत्थरों में. कभी ब्राम्ही लिपि में खुदी लाइनों में तो कभी प्रचलित मान्यताओं और किवदंतियों में.
रामगढ़ की गुफाओं में कई किरदारों के मोहब्बत की निशानियां आज भी मौजूद हैं. मान्यता है कि रामगढ़ में वनवास के दौरान भगवान राम और सीता भी रुके थे. भगवान राम औ सीता ने यहां काफी समय साथ में व्यतीत किया.
इस पहाड़ी की दो गुफाओं में दो किरदार के नाम दर्ज हैं- देवदीन और सुतनुका, जिनके बारे में चर्चा कम होती है. लेकिन इन गुफाओं में लिखे गए शब्द और बनाए गए चित्र प्रेम की कहानी की निशानी मानी जाती है. पहली गुफा है सीताबेंगरा, जिसे दुनिया की सबसे प्राचीन नाट्यशाला होने का गौरव है. इसमें ब्राह्मी लिपि में जो लिखा है- उसके मुताबिक ये महान सम्राट अशोक के काल की ब्राम्ही लिपि है. इस आधार पर माना जाता है कि नाट्यशाला ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी का है.
सीताबेंगरा से थोड़ी दूरी पर जोगी मारा गुफा है. कहा जाता है कि ये गुफा कलाकारों के लिए थी. इसी गुफा में ब्राह्मीलिपि में सबसे ज्यादा पक्तियां लिखी हैं. यहां बहुत सुंदर-सुंदर रॉक पेंटिंग बनी हुई हैं. रॉक पैंटिंग में भगवान राम-सीता और हनुमान आदि बने हुए हैं.
इस गुफा के पीछे लक्ष्मण बेंगरा है, जिसमें जाने का रास्ता बड़ा रोमांचकारी है. सीताबेंगरा और जोगीमारा के नीचे एक प्राकृतिक सुरंग है, जिसमें पानी बहता है. इसे स्थानीय लोग हाथीफोड़ कहते हैं. इसके बाद करीब आधा किलोमीटर चलने के बाद पहाड़ पर चढ़ने के लिए सीढ़ियों के अवशेष हैं, जिस पर चढ़कर लक्ष्मण गुफा जाना होता है. हालांकि, लक्ष्मण गुफा संरक्षण के अभाव में नष्ट हो रही है.
मान्यता है कि सीता बेंगरा में महान कवि कालीदास ने मेघदूतम की रचना की थी. इसे विश्व की सबसे प्राचीन नाट्यशाला कहा जाता है.
रामगढ़ की पहाड़ीं पर वो बीट्स मिले हैं, जिसकी शुरुआत हड़प्पा काल से होती है. रामगढ़ की पहाड़ी से इतिहास के कई ऐसे पन्ने जुड़े हैं, जो आज भी किताबों में गुम हैं.
इनपुट- रामगढ़ से रुपेश गुप्ता की रिपोर्ट, ZEE मीडिया
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