ज्योतिरादित्य सिंधिया को PM मोदी ने सौंपे अपने ड्रीम प्रोजेक्ट, क्यों खास है टेलीकॉम मंत्रालय
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ज्योतिरादित्य सिंधिया को PM मोदी ने सौंपे अपने ड्रीम प्रोजेक्ट, क्यों खास है टेलीकॉम मंत्रालय

Jyotiraditya Scindia: पीएम मोदी ने एक बार फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है, इस बार सिंधिया को टेलीकॉम मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है, जो अहम मानी जा रही है. 

ज्योतिरादित्य सिंधिया को मिली बड़ी जिम्मेदारी

Jyotiraditya Scindia Telecom Minister: पीएम मोदी ने अपने मंत्रियों को मंत्रालयों का बंटवारा कर दिया है. ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस बार पीएम मोदी ने दूरसंचार मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी है, इसके अलावा उन्हें पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी भी मिली है. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में सिंधिया के पास सिविल एविएशन मंत्रालय था, लेकिन इस बार इसकी जिम्मेदारी टीडीपी के सांसद राम मोहन नायडू को दी गई है. ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस बार संचार मंत्रालय की जिम्मेदारी देने के पीछे कई वजहें मानी जा रही है, क्योंकि वर्तमान और आने वाले समय में यह मंत्रालय भारत के नजरिए से अहम माना जा रहा है. 

पीएम मोदी ने सिंधिया पर दिखाया भरोसा 

दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया को टेलीकॉम मंत्रालय देने के बाद माना जा रहा है कि पीएम मोदी सिंधिया के अनुभव का फायदा उठाना चाहते हैं, क्योंकि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह मंत्रालय पीएम मोदी ने अपने भरोसेमंद अश्विनी वैष्णव को दिया था, लेकिन इस बार यह जिम्मेदारी सिंधिया को मिलने के बाद माना जा रहा है कि पीएम मोदी ने उन पर बड़ा भरोसा जताया है. क्योंकि इस मंत्रालय में जितने अवसर हैं उतनी ही चुनौतियां भी हैं. 

3 साल में बढ़ा 32 हजार करोड़ का बजट 

टेलीकॉम मंत्रालय तेजी से ग्रोथ करने वाला विभाग है, क्योंकि दूरसंचार के क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन साल में टेलीकॉम मंत्रालय का बजट 32 हजार करोड़ रुपए बढ़ा है. साल 2022 से 23 के बीच में इस विभाग का बजट 1.05 लाख करोड़ था, जबकि 2023 से 24 के बीच 1.23 लाख करोड़ पहुंच गया. जबकि 2024 से 25 के बीच इस विभाग का बजट अब 1.37 लाख करोड़ के पास पहुंच गया है. यानि टेलीकॉम मंत्रालय में रोजगार के साथ-साथ संचार क्रांति लाने का सबसे ज्यादा मौका है. ऐसे में जानकार मानते हैं कि पीएम मोदी ने एक तरह से सिंधिया को बड़ी जिम्मेदारी ही सौंपी है. 

अनुभव और स्किल 

सिंधिया करीब डेढ़ दशक के बाद इस मंत्रालय में लौटे हैं. ऐसे में राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास अनुभव और स्किल दोनों हैं. जबकि उन्हें पहले भी इस मंत्रालय में काम करने का अनुभव है. कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने यूपीए सरकार में भी इसी मंत्रालय में काम किया है. मनमोहन सरकार में रहते हुए सिंधिया ने संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री के रूप में काम किया था. इस दौरान उन्होंने इस सेक्टर जो काम किए थे, उसके परिणाम अच्छे रहे थे. इसलिए इस बार पीएम मोदी उनके पिछले कामकाज के अनुभव का फायदा उठाना चाहती है. 

5जी स्पेक्ट्रम नीलामी की जिम्मेदारी

हालांकि सिंधिया के पास इस मंत्रालय में चुनौतियां भी रहेंगी, क्योंकि इस महीने के अंत में 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी होने वाली है, जिसे पूरा करवाने की जिम्मेदारी अब सिंधिया के कंधों पर ही होगी. यह नीलामी  96,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की होने वाली है. ऐसे में अब इस नीलामी पर सबकी नजरें रहेंगी. इसके अलावा टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया को भी फिर से एक्टिव करना भी एक चुनौती रहेगी. इसके अलावा एलन मस्क के नेतृत्व वाले स्टार्टलिंक की सुरक्षा को भी मंजूरी दिलवाना एक बड़ी प्राथमिकता होगी. 

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पूर्वोत्तर पीएम मोदी का बड़ा प्रोजेक्ट 

ज्योतिरादित्य सिंधिया को पीएम मोदी ने दूरसंचार के अलावा पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी भी दी है. यह मंत्रालय खुद पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है. क्योंकि पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास पर मोदी सरकार ने सबसे ज्यादा काम किया है. इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पीएम मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान उत्तर पूर्वी राज्यों का सबसे ज्यादा दौरा किया है. साल 2022-23 के केंद्रीय बजट पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए पीएम मोदी की पहल पर ही पीएम-डिवाइन स्कीम को भी घोषित किया गया था. जिसके बाद 12 अक्टूबर 2022 मंत्रिमंडल से इस स्कीम को भी मंजूरी मिली थी. जिससे समझा जा सकता है कि इस बार भी सरकार का इस योजना पर खास फोकस रहेगा. 

6600 करोड़ का बजट 

पूर्वोत्तर राज्य के विकास के लिए पहले सालाना बजट 1503 करोड़ का था, लेकिन 2025 से 26 के बीच इस विभाग का बजट 6600 करोड़ रुपए के पार पहुंचने की उम्मीद है. यानि आने वाले 4 साल में इस विभाग में तेजी से काम होना है, ऐसे में सिंधिया के ऊपर यहां भी कई जिम्मेदारियां होगी. वो भी तब जब मणिपुर और मिजोरम में बीजेपी को झटका लगा है. क्योंकि यहां पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है. लेकिन जानकार कहते हैं कि सिंधिया अब इन चुनौतियों से कैसे पार पाते हैं यह देखना दिलचस्प होगा. क्योंकि पीएम मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल में उन्हें जिम्मेदारी तो बड़ी सौंपी है. 

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