Omkareshwar Jyotirlinga: मां नर्मदा के किनारे मौजूद एक मात्र ज्योर्तिलिंग ओंकारेश्वर की कहानी
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Omkareshwar Jyotirlinga: मां नर्मदा के किनारे मौजूद एक मात्र ज्योर्तिलिंग ओंकारेश्वर की कहानी

Omkareshwar Jyotirlinga Story: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में ओम आकार के द्वीप पर स्थित ओंकारेश्वर मंदिर का विशेष महत्व है. आज हम आपको इस ज्योर्तिलिंग की धार्मिक कहानी बताने जा रहे हैं.

 

 

Omkareshwar Jyotirlinga: मां नर्मदा के किनारे मौजूद एक मात्र ज्योर्तिलिंग ओंकारेश्वर की कहानी

Omkareshwar Jyotirlinga Story: भगवान शिव से जुड़े बारह ज्योतिर्लिंगों में मध्य प्रदेश में स्थित ओंकारेश्वर चौथे स्थान पर आता है. यहां नर्मदा नदी के तट पर ॐ आकार के पर्वत पर भगवान शिव विराजमान हैं. हिंदू धर्म में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को लेकर कई मान्यताएं हैं. आज हम आपको इससे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से बताने जा रहे हैं.

कैसे पड़ा नाम ओंकारेश्वर ? 
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के इंदौर से लगभग 80 किमी दूर नर्मदा नदी के तट पर एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है. पहाड़ी के चारों ओर नर्मदा नदी बहती है. यह ज्योतिर्लिंग औंकार यानि ॐ के आकार का है. इसी कारण इस ज्योतिर्लिंग को ओंकारेश्वर कहा जाता है. शिव पुराण में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को परमेश्वर लिंग भी कहा गया है.

रात्रि में सोने आते हैं भगवान शिव और पार्वती
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में धार्मिक मान्यता है कि बाबा भोलेनाथ रात्रि में शयन के लिए यहां आते हैं. ऐसा कहा जाता है कि यह पृथ्वी पर एकमात्र मंदिर है जहां शिव और पार्वती हर दिन चौसर खेलते हैं. रात्रि में शयन आरती के बाद प्रतिदिन यहां चौपड़ बिछाई जाती है और गर्भगृह बंद कर दिया जाता है. अगली सुबह ये पासें बिखरे हुए मिलते हैं. आश्चर्य की बात ये है कि जिस मंदिर में रात के समय पक्षी भी नहीं उड़ पाते, वहां आए दिन चौपड़ बिखरे मिलते हैं.

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मंदिर से जुड़ी धार्मिक कथा
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी एक धार्मिक कहानी है, जिसके अनुसार एक बार राजा मांधाता ने भगवान शिव की कठिन तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर महादेव उनके सामने प्रकट हुए और उनसे दो वरदान मांगने को कहा. जिसके बाद मांधाता ने उन्हें इसी स्थान पर विराजमान होने को कहा. परिणाम स्वरूप राजा मंधाता के कहने पर भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में यहां विराजमान हो गए. मान्यता है कि तभी से भगवान शिव यहां पर विराजमान हैं और लोग इस क्षेत्र को मांधाता के नाम से जानते हैं.

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