रेप के वो 6 मामले जिन्होंने दहला दिया था देश को, मजबूर हो सरकार को बदलने पड़े थे कानून
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रेप के वो 6 मामले जिन्होंने दहला दिया था देश को, मजबूर हो सरकार को बदलने पड़े थे कानून

देश में रेप की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. रेप के वो 6 बड़े मामले जिनके बाद बदला गया कानून

देश में हर घंटे 88 महिलाओं का रेप .

नई दिल्ली: 2012 में निर्भया केस के बाद से महिला अपराध के मामले लगातार बढ़ते चले गए. हाल ही में उत्तर प्रदेश के हाथरस और बलरामपुर और राजस्थान के बारां में हुए रेप के मामलों ने दुष्कर्म के खिलाफ एक बार फिर आवाज उठ रही है. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देश में हर घंटे 88 महिलाओं का रेप की घटनाएं होती हैं. गौर करने वाली बात ये है कि रेप के मामलों में सजा की दर सिर्फ 27 फीसद ही है, जो कि हत्या की कोशिश में सजा के मामलों से भी कम है.एनसीआरबी के मुताबिक महिला अपराध के सबसे ज्यदा मामले में राजस्थान में सामने आए हैं.

रेप की इन घटनाओं ने बदला कानून

1. फूलमोनी दासी रेप केस
साल 1889 में 10 साल की बंगाली लड़की फूलमोनी दासी की शादी अपने से दोगुनी उम्र के लड़के हुई थी. शारीरिक संबंध बनाने के दौरान फूलमोनी की मौत हो गई थी. मामला कोर्ट तक पहुंचा और कलकत्ता सेशन कोर्ट में केस चला. उस समय लड़कियों के लिए शादी की वैध उम्र 10 साल थी, पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में भी नहीं आता था.आरोपी पति को सिर्फ 1 साल की सजा हुई. 

बदला गया कानून
करीब साल भर बाद वायसराय लार्ड लैंसडाउन ने एक प्रस्ताव पारित किया और सहमति के साथ संबंध की उम्र 10 से 12 साल कर दी गई. इससे कम उम्र की लड़की से संबंध बनाने को दुष्कर्म माना गया.

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2. मथुरा गैंगरेप केस
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले की रहने वाली 16 साल की आदिवासी लड़की मथुरा के साथ साल 1972 में पुलिस थाने में दो कांस्टेबल ने दुष्कर्म किया था. बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपितों को दोषी पाया.1979 में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपितों को निर्दोष करार दे दिया. तर्क था कि मथुरा ने न विरोध किया था, न ही उसके शरीर पर चोट के निशान पाए गए.

बदला गया कानून
1983 में भारतीय दंड संहिता में बदलाव किया गया. रेप की धारा 376 में चार उपधाराएं जोड़कर सजा का प्रावधान किया गया.
आरोपी को साबित करना होगा कि वह निर्दोष है. पहले पीड़िता को साबित करना पड़ता था कि दुष्कर्म हुआ है. हिरासत में दुष्कर्म की सजा कम से कम 7 साल तय हुई. बंद कमरे में सुनवाई का प्रावधान हुआ.

3. भंवरी देवी रेप केस
22 सितंबर 1992 को राजस्थान के भटेरी गांव में दलित सामाजिक कार्यकर्ता भंवरी देवी से खेत में काम करते समय 5 लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म हुआ. मामले में कई लापरवाहियां हुईं. 52 घंटे बाद मेडिकल हुआ, बाद में मामला सीबीआई के पास पहुंचा. 1995 में जिला अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया. बाद में सरकार ने हाईकोर्ट में अपील की.

बदला गया कानून
1997 में विशाखा गाइडलाइंस आईं. कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाली छेड़छाड़ रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिशा-निर्देश जारी किए.

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4. निर्भया केस
16 दिसम्बर, 2012 को दिल्ली में पैरा मेडिकल छात्रा के साथ 6 लोगों ने चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया. 13 दिन बाद गंभीर चोटों के चलते निर्भया की मौत हो गई.
मामले में 5 वयस्क आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. सबसे बर्बर आरोपी नाबालिग था उसे तीन साल बाद सुधार केन्द्र से छोड़ दिया गया. एक आरोपी रामसिंह ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली. बाकी चार आरोपियों को 20 मार्च 2020 को फांसी दे दी गई.

बदला गया कानून
2013 में क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट ऑर्डिनेंस आया. दुष्कर्म के लिए फांसी का प्रावधान हुआ. 2015 में जुवेनाइल जस्टिस बिल पास हुआ. 16 साल या उससे ज्यादा उम्र के किशोर को जघन्य अपराध पर एक वयस्क की तरह केस चलाने का कानून बना.

5. कठुआ गैंगरेप केस
10 जनवरी 2018 को जम्मू के कठुआ में 8 साल की बच्ची को अगवा करने के बाद एक मंदिर में बंधक बनाकर सामूहिक दुष्कर्म किया गया. 13 जनवरी को उसकी हत्या कर दी गई. मामले में 6 लोगों को दोषी करार दिया गया. इसमें तीन पुलिसकर्मी भी शामिल थे. अदालत ने गैर पुलिस कर्मियों को उम्र कैद और पुलिस कर्मियों को 5-5 साल की सजा सुनाई.

बदला गया कानून
12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ दुष्कर्म होने पर दोषी को कम से कम 20 साल सजा का प्रावधान. सामूहिक दुष्कर्म की स्थिति में भी उम्रकैद या फांसी का प्रावधान. मामले का ट्रायल 2 महीने में पूरा करना होगा.

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6. हैदराबाद गैंगरेप केस
नवंबर 2019 को हैदराबाद के पास एक 26 साल की डॉक्टर की सामूहिक दुष्कर्म के बाद जलाकर हत्या कर दी गई. दो दिन बाद 28 नवंबर को उसका जला हुआ शव मिला. मामले को लेकर देश भर में लोगों का गुस्सा फूटा. पेशी पर ले जाते समय चारों आरोपी पुलिस एनकाउंटर में मारे गए.

बदला गया कानून
आंध्र प्रदेश दिशा कानून 2019 पास किया गया. इसके तहत 21 दिन के अंदर दुष्कर्म और गैंगरेप के मामलों का ट्रायल पूरा करना होगा. आरोपियों को फांसी की सजा का भी प्रावधान.

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