मानसून में छत्तीसगढ़ की शिवनाथ नदी आसपास के गांवों में कहर ढाती है. इसी से बचाव के लिए मानसून आने के पूर्व ही इस बार जिला प्रशासन ने बाढ़ से बचाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं. किसी भी आपदा के समय क्या स्टेप उठाए जाएंगे, इसे लेकर एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम ने कलेक्टर के सामने मॉकड्रिल की.
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हितेश शर्मा/दुर्ग: मानसून आने के पूर्व छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में बाढ़ को लेकर होने वाली अप्रिय स्थिति और घटना से बचने के लिए जिला प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. दुर्ग में बाढ़ के दौरान होने वाली अप्रिय घटनाओं को रोकने व बचाव को लेकर एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम ने गुरुवार को शिवनाथ नदी में मॉकड्रिल की.
दुर्ग जिला, शिवनाथ नदी के मुहाने पर बसा हुआ है. जहां 3 दर्जन से ज्यादा गांव हर साल नदी के बढ़ते जलस्तर की चपेट में आ जाते हैं. मानसून आने के पूर्व ही इस बार जिला प्रशासन ने बाढ़ से बचाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसी को लेकर शिवनाथ नदी में गुरुवार को एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम ने डेमोस्ट्रेशन किया. जिसमें जिला प्रशासन के तमाम अधिकारियों के साथ-साथ कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर भूरे भी उपस्थित रहे. इस मौके पर अफसरों ने बाढ़ के दौरान बचाव तकनीक की बारीकी से समीक्षा की.
कलेक्टर ने लिया जायजा
दरअसल, बाढ़ के दौरान नाव से लोगों के नदी में गिरने, नालों के उफान से रास्ता बाधित होने पर सेवाएं कैसे पहुंचाई जाए और व्यक्ति के नदी में लापता होने पर किस तरह से खोजा जाता है, इन सबका नाटकीय ढंग से उदाहरण एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम ने शिवनाथ में प्रदर्शित किया. प्राकृतिक आपदा के समय टीम द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण किस तरह से काम में लाए जाते हैं, उसको लेकर भी कलेक्टर द्वारा जायजा लिया गया.
आपको बता दें कि वैसे तो दुर्ग जिले की जीवनदायिनी शिवनाथ नदी में बाढ़ का असर काफी कम होता है, लेकिन हर साल बाढ़ आने पर तीन दर्जन से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं. इसी लिए तो उससे कैसे निपटा जाये, इसको लेकर राष्ट्रीय व राज्य आपदा बल ने बारिश से पहले पूर्वाभ्यास किया.
इस बारे में दुर्ग के कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर भूरे ने कहा कि आपदा के समय चुनौतियों से निपटने के जिले की एसडीआरएफ व एनडीआरएफ के जवान पूरी तरह से मुस्तैद हैं.