Dholkal Ganesh: दंतेवाड़ा में बैलाडिला पहाड़ी में विराजित ढोलकल पर्वत श्रृंखला की गणेश मूर्ति को एक बार फिर छति पहुंचाने की कोशिश की गई है. मूर्ती की सूंड पर कुछ असमाजित तत्वों ने खरोंचमारकर नाम लिखने की कोशिश की है.
असमाजिक लोग अपनी करतूत से कठिन से कठिन स्थानों पर बचे पुरातत्व को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं. इसका ताजा उदहरण छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में ढोलकल गणेश मूर्ति पर मिले खरोच हैं. इससे पहले भी लोगों ने इस मुर्ती को छति पहुंचाने की कोशिश की थी.
इस प्रतिमा की लगातार हो रही नुकसान को लेकर पर्यटन प्रेमी और पुरातत्वविद काफी चिंतित हैं. उन्होंने स्थान के संरक्षण के लिए प्रशासन से अपील की है. वहीं लोगों से भी अपने पुरातत्व को सहेजने के लिए अपील की है.
इससे पहले भी 3 वर्ष पहले इस मूर्ति के किसी ने पहाड़ की चोटी से नीचे गिरा दिए थे, जिसे बड़े मुश्किल से पुरातत्वविदों ने खोज कर निकाला था. पहाड़ के इतने ऊंचाई से गिरने के कारण यह प्रतिमा काफी छतिग्रस्त हो चुका था.
विश्वप्रसिद्ध ढोलकल पर्वत श्रृंखला में यह गणेश की मूर्ति पहाड़ की एक चोटी पर स्थापित है. जो कि समुद्र तल से करीब 3 हजार किलोमीटर ऊंचाई पर स्थित है.
ढोलकल गणेश जिला दंतेवाड़ा में बैलाडिला पहाड़ी में 3000 फीट ऊंचा एक सुंदर स्थान है. माना जाता है कि भगवान गणेश की 3 फीट सुंदर पत्थर की मूर्ति 10 वीं और 11 वीं शताब्दी के बीच नागा वंश के दौरान बनाई गई थी.
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