छत्तीसगढ़ में शाला प्रवेशोत्सव के दिन खिले बच्चों के चेहरे, CM ने दी छात्रों को शुभकामनाएं
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छत्तीसगढ़ में शाला प्रवेशोत्सव के दिन खिले बच्चों के चेहरे, CM ने दी छात्रों को शुभकामनाएं

  26 जून को छत्तीसगढ़ में शाला प्रवेशोत्सव मनाया गया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसकी शुरूआत की. बच्चों में शैक्षणिक प्रगति के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के साथ ही अधोसंरचना का किया जा रहा है.

छत्तीसगढ़ में शाला प्रवेशोत्सव के दिन खिले बच्चों के चेहरे, CM ने दी छात्रों को शुभकामनाएं

रायपुर:  26 जून को छत्तीसगढ़ में शाला प्रवेशोत्सव मनाया गया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसकी शुरूआत की. मन में उत्साह, उमंग लिए घर से पहली बार स्कूल जा रहे बच्चे हो या गर्मी की छुट्टी बिता कर आगे की कक्षा में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी. आगे बढ़ने की उम्मीद के साथ अपने सपनों को साथ लिए मेहनत कर रहे इन बच्चों से उम्मीदे सभी को होती है. सरकार और अभिभावकों की एक बड़ी जिम्मेदारी होती है कि इन बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलने के साथ ही उनका व्यक्तित्व विकास भी हो. सभी वर्गों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार बच्चों की शुरूआती शिक्षा उपलब्ध कराने के साथ ही उनके आगे की शिक्षा के लिए भी सुविधाएं उपलब्ध करा रही हैं.

आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ वनों से घिरा हुआ है. यहां पर 44 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने समग्र विकास की अवधारणा के आधार पर योजनाओं का निर्माण किया. राज्य सरकार ने न्याय योजना और दूसरी योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ ही इन इलाकों में अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने को एक चुनौती की तरह स्वीकार किया. 

आज यहां पर वैश्विक भाषा अंग्रेजी में गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने के लिए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल का निर्माण किया गया है. गरीब परिवारों के बच्चे भी निजी स्कूलों जैसी सुविधाओं के साथ उत्कृष्ट शिक्षा का लाभ ले सकें इसके लिए स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय योजना के माध्यम से आज अंग्रेजी माध्यम के 377 एवं हिंदी माध्यम के 350 स्कूल शुरू किए गए हैं. इसका असर यह हुआ की इन स्कूलों में प्रवेश लेने के लिए विद्यार्थियों की होड़ लगी हुई है. निजी स्कूल के बच्चें भी आज इन सरकारी स्कूलों में प्रवेश पाने के लिए जतन कर रहे हैं. स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान हर जगह इन स्कूलों की मांग की गई. 

निशुल्क किताबें-स्कूल यूनिफॉर्म दी जा रही
बच्चों के अभिभावकों पर आर्थिक बोझ ना हो इसके लिए स्कूल खुलते ही छात्रों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें, स्कूल यूनिफार्म इत्यादि प्रदान किए जा रहे हैं. छात्राओं को प्रोत्साहन देने के लिए कक्षा 9वीं में प्रवेश लेते ही निःशुल्क साइकल प्रदान की जा रही है. स्कूल के विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो इसके लिए जर्जर हो चुके स्कूल की मरम्मत भी की जा रही है. उनका रंग-रोगन किया जा रहा है. इसके लिए मुख्यमंत्री जतन योजना के माध्यम से 29 हजार 284 स्कूल भवनों के लिए 2 हजार करोड़ रूपए की योजना बनाई गई है. इसके साथ ही शासकीय स्कूलों में शिक्षकों की कमी नहीं रहे इसके लिए राज्य सरकार द्वारा 10 हजार 884 शिक्षकों की नियुक्ति की जा चुकी है और 12 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति किया जाना प्रक्रियाधीन है.

5 से 6 वर्ष तक की आयु के बच्चों को सीखने एवं समझने की क्षमता के विकास के लिए बालवाड़ी योजना संचालित की जा रही है. जिनमें बच्चों को सीखने एवं समझने की क्षमता का विकास खेल-खेल में किया जा रहा है. पिछले साल 5 हजार 173 बालवाड़ियां शुरू की गई थी. दूसरे चरण में 4 हजार 318 बालवाड़ियां का शुभारंभ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शाला प्रवेशोत्सव के दिन 26 जून को किया. इस प्रकार राज्य में बालवाड़ियों की संख्या 9 हजार 491 हो गई है.

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