Tiger State Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के बाघों की दहाड़ अब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और ओड़िशा में भी सुनाई देगी. मोहन सरकार गुजरात के बाद बीजेपी शासित इन तीनों राज्यों को 15 बाघ देने जा रही है. आइए जानते हैं किस राज्य को कितने बाघ दिए जाएंगे.
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Tiger Reserve in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के बाघों की प्रसिद्धी दूर दूर तक रही है. यही वजह है कि अब पड़ोसी राज्य भी मध्य प्रदेश के बाघों की दहाड़ सुनना चाहते हैं. हाल ही में मध्य प्रदेश ने गुजरात को बाघ दिया है. वहीं, अब राजस्थान, ओडिशा और छत्तीसगढ़ को भी एमपी के बाघों की दहाड़ सुनाई देगी. दरअसल, प्रदेश की मोहन सरकार इन तीनों राज्यों को 15 बाघ देगी. इसमें छत्तीसगढ़ को 8, राजस्थान को 4 और ओडिशा को तीन बाघ दिए जाएंगे.
मध्य प्रदेश वन विभाग मुख्यालय के मुताबिक, तीनों राज्यों को बांधवगढ़, पेंच एवं कान्हा टाइगर रिजर्व से ये बाघ भेजे जाएंगे. इनमें छत्तीसगढ़ को दो बाघ और छह बाघिन, राजस्थान को चार बाघिन, और ओडिशा को एक बाघ और दो बाघिन दिए जाएंगे. बाघ और बाघिन के भेजने की प्रकिया पशु चिकित्सकों की टीम की देखरेख में की जाएगी.
राज्य सरकार से मिली मंजूरी
बता दें कि छत्तीसगढ़, ओडिशा और राजस्थान सरकार की तरफ से एमपी के बाघों की डिमांड की गई थी. लेकिन राज्य सरकार की तरफ से अब तक ट्रांसफर की मजूंरी नहीं दी गई थी. वहीं, अब जाकर राज्य सरकार की तरफ से पड़ोसी राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और ओडिशा को 15 बाघ देने पर सहमति दी गई है.
केंद्र की मंजूरी के बाद शुरू होगी प्रकिया
मप्र के पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ शुभोरंजन सेन के मुताबिक, मध्य प्रदेश वन विभाग नेशनल टाइगर कंजर्वेशन को राज्य सरकार की मंजूरी का प्रस्ताव भेजेगा. केंद्र की मंजूरी के बाद ही दूसरे राज्यों को बाघ देने की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी. बाघों को बांधवगढ़, पेंच और कान्हा टाइगर रिजर्व से भेजा जाएगा. बताते चले कि मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ और पेंच समेत कई टाइगर रिजर्व में क्षमता से अधिक बाघ मौजूद हैं.
संबंधित राज्य को उठाना होगा खर्च
बताते चले कि मध्य प्रदेश में सर्वाधिक बाघ हैं. इसी वजह से इसे टाइगर स्टेट का दर्जा भी प्राप्त है. मध्य प्रदेश सरकार जिन तीनों राज्यों में अपने बाघों को भेज रही है, वे बीजेपी शासित हैं तथा ये तीनों राज्य लंबे समय से मध्य प्रदेश से बाघ मांग रहे थे. बाघों को भेजने का पूरा खर्च संबंधित राज्य को उठाना होगा. इसकी अनुमति भारत सरकार से लेनी होगी.
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